मास्क में नमी के कारण फैल रहा ब्लैक फंगस

म्यूकोरमायसिस (ब्लैक फंगस) नामक इस रोग होने के पीछे लम्बी अवधि तक इस्तेमाल किया गया मास्क हो सकता है।

Update: 2021-05-21 07:34 GMT

सहारनपुर। देश में कोविड 19 के मरीजों में म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामलों वृद्धि को मास्क में नमी होना माना जा रहा है।

वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एस एस लाल ने आज यूनीवार्ता से बातचीत मे कहा कि म्यूकोरमायसिस (ब्लैक फंगस) नामक इस रोग होने के पीछे लम्बी अवधि तक इस्तेमाल किया गया मास्क हो सकता है। मास्क पर जमा होने वाली गन्दगी के कण से आंखो मे फंगस इन्फेकशन होने की सम्भावना रहती है । मास्क में नमी होने पर भी इस प्रकार के इन्फेक्शन हो सकते है‌।

डॉ. एस एस लाल ने बताया कि आईसीयू मे भर्ती कोविड-19 के मरीज को लम्बे समय तक इलाज के समय लगाये जा रहे ऑक्सीजन के कारण भी यह फंगल इन्फेक्शन हो सकता है।

उन्होंने बताया कोविड पेशन्ट को स्टेरॉयड की हाई डोज दी जाती है। तब मरीज का शुगर लेवल बढने से इस तरह के संक्रमण बढने की अपार सम्भावना होती है।

डॉ. एस एस लाल ने बताया कि फंगस के संक्रमण की शुरूआत नाक से होती है। नाक से ब्राउन या लाल कलर का म्यूकस जब बाहर निकलता है तो यह शुरुआती लक्षण ब्लैक फंगस का माना जाता है फिर यह धीरे धीरे आंखो मे पहुँच जाता है। नेत्रों में लाली पन, डिस्चार्ज होना, कन्जक्टिवाईटिस के लक्षण इस रोग में उभरते है। नेत्रों में भंयकर पीडा होती है और फिर विजन पूरी तरह समाप्त हो जाता है।

उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के इलाज के समुचित इन्तजाम किये गये हैं। इलाज समय पर होने से रोगी को बचाया जा सकता है।

जिला अस्पताल में ही कार्यरत नेत्र रोग विशेषज्ञ डा० केशव स्वामी ने बताया कि फंगस वातावरण में पाया जाता है। बरसात के मौसम में ब्लैक फंगस फैलने की आशंका अधिक होती है। कोविड-19 से रिकवर हुए लोग प्रतिदिन मास्क को डिटोल में धोकर धूप में सुखा कर ही पहने।

वार्ता

इस फंगस का असर नेत्रों के रेटिना पर पडता है फिर ब्रेन , नर्वस सिस्टम व ह्रदय तक हो जाने से मृत्यु तक हो जाती हैं।

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