भागवत का दशहरा पर CAA संदेश
मोहन भागवत ने सीएए से लेकर चीन तक की समस्याओं से निपटने में मोदी सरकार के प्रयासों को समयोचित बताया है।
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के मुख्यालय नागपुर में दशहरा की परम्परा का निर्वहन करते हुए बहुत सारगर्भित बातें कहीं हैं। उन्होंने विशेष रूप से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में एक विशेष सम्प्रदाय को सचेत किया और अपेक्षा की है कि वह सीएए के बारे में गंभीरता से समझेगा और किसी प्रकार की अशांति पैदा नहीं करेगा। इसी के साथ मोहन भागवत ने कोरोना महामारी और पड़ोसी देश चीन की साजिशों से भी सावधान रहने की सलाह दी है। संघ प्रमुख के दशहरा संदेश से नरेन्द्र मोदी सरकार को मनोबल भी मिला है। मोहन भागवत ने सीएए से लेकर चीन तक की समस्याओं से निपटने में मोदी सरकार के प्रयासों को समयोचित बताया है।
विजयादशमी के मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से किसी को खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में मुस्लिम समुदाय को भ्रमित करने की साजिश हुई है।
मोहन भागवत ने कहा, हमने देखा कि देश में सीएए विरोधी प्रदर्शन हुए जिससे समाज में तनाव फैला। उन्होंने कहा कि कुछ पड़ोसी देशों से सांप्रदायिक कारणों से प्रताड़ित होकर विस्थापित किए जाने वाले व्यक्ति जो भारत में आते हैं, उन्हें इस सीएए के जरिए नागरिकता दी जाएगी। भारत के उन पड़ोसी देशों में साम्प्रदायिक प्रताड़ना का इतिहास है। भारत के इस नागरिकता संशोधन कानून में किसी संप्रदाय विशेष का विरोध नहीं है। संघ प्रमुख ने कहा कि जो भारत के नागरिक हैं उनके लिए इस कानून में कोई खतरा नहीं था। बाहर से अगर कोई आता है और वह भारत का नागरिक बनना चाहता है तो इसके लिए प्रावधान है जो बरकरार हैं। वो प्रक्रिया जैसी की तैसी है। आरएसएस चीफ ने कहा कि बावजूद इसके कुछ अवसरवादी लोगों ने इस कानून का विरोध करना शुरू किया और ऐसा माहौल बनाया कि इस देश में मुसलमानों की संख्या न बढ़े इसलिए ये कानून बनाया गया है। इसके बाद इस कानून का विरोध शुरू हो गया। देश के वातावरण में तनाव आ गया। नागपुर में मोहन भागवत ने कहा कि सीएए पर सार्थक विचार होता, इस पर मंथन होता इससे पहले ही कोरोना महामारी आ गई और सांप्रदायिक आंच लोगों के मन में ही रह गई। मोहन भागवत ने कहा कि सीएए किसी धर्म विशेष के साथ भेदभाव नहीं करता है।
विजयदशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कोरोना महामारी से निपटने में नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों की तारीफ भी की है और कहा है कि दुनिया के मुकाबले भारत में इस बीमारी से भारत में कम नुकसान हुआ है। नागपुर स्थित संघ मुख्यालय से संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने सारी परिस्थिति में कोरोना से होने वाला नुकसान भारत में कम है। भारत ने कोरोना के बारे में पहले से अनुमान लगाया और शासन-प्रशासन ने नियम लागू किया और उपाय भी बताया। प्रशासन ने ये तय किया इन उपायों पर अमल हो ये भी सुनिश्चित किया। संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना के प्रभावों के बारे में बढ़ा चढ़ाकर बताया गया, इसका एक लाभ ये हुआ कि जनता अतिरिक्त सावधान रही और उसका नुकसान कम हुआ।
संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना काल में डॉक्टर, सफाईकर्मी, नर्स उच्चतम कर्तव्यबोध के साथ सेवा में जुट गए। लोग बिना आह्वान के सेवा में जुट गए। लोग अपनी तो चिंता कर रही रहे थे, दूसरों की भी चिंता कर रहे थे। जो पीड़ित थे वे अपनी पीड़ा भूलकर दूसरों की सेवा में लग गए, ऐसे कई उदाहरण सामने आए। उन्होंने कहा कि दूसरे की जरूरत ज्यादा अहम है, स्वतंत्रता संग्राम के बाद ये पहली बार देखने को मिला। शासन-प्रशासन और जनता ने समाज के लिए मिलकर काम किया। महिलाएं भोजन पहुंचाने लगीं, मास्क बनाने लगी। संघ प्रमुख ने कहा कि इस सेवा भाव को अंग्रेजी में सोशल कैपिटल कहा जाता है, लेकिन हमारे यहां तो ये गुण सहज है। मोहन भागवत ने कहा कि बाहर से आने के बाद हर बार हाथ धोने जैसे स्वच्छता के नियम हम भूलते जा रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान ये आदतें एक बार फिर से हमारी जिंदगी में शामिल हो गईं। कोरोना संक्रमण के दौरान बीमारी की चपेट में आकर जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे हुतात्माओं को वे हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही, यह तो कहा ही जा सकता है। परंतु अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास किया वह सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है।
मोहन भागवत ने आगे कहा कि भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर, खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया। इससे चीन को अनपेक्षित धक्का लगा है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा। मोहन भागवत ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि हम शांत हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम दुर्बल हैं। अब चीन को भी इस बात का एहसास तो हो ही गया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि हम इसके बाद लापरवाह हो जाएंगे। ऐसे खतरों पर नजर बनाए रखनी होगी।
वहीं, सेना के पराक्रम पर भागवत ने कहा कि हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है। हम सभी से मित्रता चाहते हैं, यह हमारा स्वभाव है परन्तु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले, झुका ले, यह हो नहीं सकता है। इतना तो अब समझ में आ जाना ही चाहिए। मोहन भागवत ने कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए। (मनीषा स्वामी कपूर-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)