अद्भुत नजाराः सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश

भारत का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। यहां विभिन्न रीति-रिवाजों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्मों के अनुसार रहते हैं।

Update: 2021-01-16 16:01 GMT

नई दिल्ली। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव, जिन्हें ग्रहों का राजा कहा जाता है, दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। यह बहुत ही शुभ मौका होता है। उत्तर भारत में इस परायण को मकर संक्रांति, तो गुजरात में उत्तरायण के नाम से श्रद्ध भाव से मनाया जाता है। सूर्य देव के दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करने के अद्भुत नजारे का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

भारत का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। यहां विभिन्न रीति-रिवाजों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्मों के अनुसार रहते हैं। भारतीय परम्पराएं अपने आप में अनूठी हैं और पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं। भारतीय परम्पराओं का लोहा आज वैज्ञानिक भी मान रहे हैं। ऐसी ही एक विशिष्ट खगौलीय घटना है सूर्य देव का दक्षिणायन से उत्तरायण में जाना।

सूर्य देव के दक्षिणायन से उत्तरायण में जाने को बहुत ही शुभ माना जाता है। इसका एक प्रसंग महाभारत काल से भी जुड़ा है। महाभारत के युद्ध में जब भीष्म पितामह अर्जुन के बाणों से घायल होकर बाणों के ऊपर लेट गये और उनके प्राण निकलने को हुए, तो उन्होंने अपने प्राणों को रोक लिया। उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, इसलिए वे ऐसा करने में सक्षम थे।

प्राणों को रोकने का कारण यह था कि उस समय सूर्य देव दक्षिणायन में थे। मान्यता है कि सूर्य जब दक्षिणायण में होते हैं, तो स्वर्ग लोक की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण में आने की 58 दिन प्रतीक्षा की। उन्होंने कहा कि जब सूर्य देव उत्तरायण में प्रवेश करेंगे, तभी वे प्राणों का त्याग करेंगे। भीष्म पितामाह ने उत्तरायण में सूर्य देव के प्रवेश होने के बाद ही अपने प्राणों को शरीर से अलग किया था। भारतीय इस खगोलीय घटना को महाभारत काल से जानते हैं और इसका अलग ही विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसी खगोलीय घटना को प्रदर्शित करते हुए एक अद्भुत फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है।



 


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