निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार

खनन माफिया सरकारी राजस्व को क्षति पहुंचाते हैं। जनता को प्रत्यक्ष नुकसान नहीं होता लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से तो नुकसान होता ही है

Update: 2020-08-14 05:25 GMT

नई दिल्ली। गलत अर्थात भ्रष्ट आचरण तो समाज और राष्ट्र के लिए अहितकर ही होता है। समाज ने इसीलिए कुछ नियम निर्धारित किए जो कालांतर में कानून बन जाते हैं। कानून तोड़ कर कभी लोग ऐसे कार्य करते हैं जिससे आम जनता प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं होती है। उदाहरण के लिए खनन माफिया सरकारी राजस्व को क्षति पहुंचाते हैं। जनता को प्रत्यक्ष नुकसान नहीं होता लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से तो नुकसान होता ही है। राष्ट्रीय सम्पत्ति भी तो जनता की ही सम्पत्ति है लेकिन बालू, मिट्टी, गिट्टी आदि खोदकर बेचने वालों का सामान्य जनता इसीलिये विरोध नहीं करती है। हालांकि इस तरह के खनन से यातायात में बाधा होती है और धूल -धक्कड़ से वातावरण प्रदूषित होता है लेकिन इस प्रकार की जीवनशैली की तो हमारे देश की जनता अभ्यस्त हो चुकी है। इसी को नियति मान लिया गया है। दूसरे तरह का भ्रष्टाचार आमजनता से जुड़ा होता है। इसमें निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार शामिल है। सड़क, पुल आदि इसी के चलते समय से पहले टूट जाते हैं। निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार पहले बिहार में बहुत ज्यादा था। उसे आज भी लालू के जंगलराज के नाम से याद किया जाता है। पहले सिर्फ विपक्षी दलों के नेता जंगलराज का आरोप लगाते थे लेकिन अभी लगभग एक महीने पहले ही लालू यादव के छोटे बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी इसी बात के लिए बिहार की जनता से माफी मांगी थी। इससे एक बात तो साबित होती है कि बिहार में अब भ्रष्टाचार चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन कुमार के नाम से पुकारा जाने लगा था। इसके पीछे एक कारण यह भी था कि उन्होंने सरकार बनाते ही सबसे पहले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया । बिहार में वही भ्रष्टाचार फिर सड़कों और पुलों के ढहने के रूप में दिखने लगा है।  

बिहार में एक बार फिर से एक पुल का अप्रोच रोड उद्घाटन से पहले ही टूट गया है। मामला गोपालगंज से जुड़ा है, जहां बंगरा घाट महासेतु का सीएम नीतीश कुमार 12 अगस्त को उद्घाटन करने वाले थे। इस महासेतु का अप्रोच पथ करीब 50 मीटर के दायरे में ध्वस्त हो गया है। ध्वस्त अप्रोच पथ को उद्घाटन से पहले दोबारा दुरुस्त करने की कवायद की जा रही थी। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के आला पदाधिकारी से लेकर संवेदक मौके पर मौजूद थे। सैकड़ों की संख्या में मजदूर लगाये गए और दो-दो जीएसबी लगाकर इसे दोबारा चालू करने की कोशिश की जा रही थी । जहां यह अप्रोच पथ टूटा है वो इलाका सारण के पानापुर के सतजोड़ा बाजार के समीप पड़ता है। यह इलाका छपरा के पानापुर में पड़ता है। बताया जाता है कि गोपालगंज के बैकुंठपुर में 7 जगहों पर सारण बांध टूटा था। इसी बांध के टूटने के बाद बंगरा घाट महासेतु से करीब 5 किलोमीटर दूर अप्रोच पथ पानी के दबाव से अचानक ध्वस्त हो गया। बंगरा घाट महासेतु के छपरा साइड में करीब 11 किलोमीटर और मुजफ्फरपुर साइड में 8 किलोमीटर लम्बा अप्रोच पथ का निर्माण किया गया है जिस पर करीब 509 करोड़ रूपये खर्च किये गए है। अब बड़ा सवाल है कि आखिर 509 करोड़ की लागत से बने महासेतु और इसका अप्रोच पथ उदघाटन के साथ ही क्यों टूटने लगे।

इसी के साथ सुशासन कुमार अर्थात नीतीश कुमार के शासन में घोटालों की चर्चा शुरू हुई जो सृजन घोटाले तक जोरदार बहस का विषय बन गयी है। सड़क घोटालों की चर्चा तो आम हो गयी। बक्सर नगर के वार्ड संख्या-19 में हुए बहुचर्चित घोटाले वाली जगह पर नाली निर्माण होने से एक बार फिर चर्चा का बाजार गर्म हुआ था। कार्यस्थल पर न तो प्राक्कलन है, न ही कार्य का बोर्ड लगा है। ऐसे में पता नहीं चल रहा है कि निर्माण कार्य नया है या पुराने की लीपापोती की तैयारी है। सड़क घोटाले के शिकायतकर्ता पूर्व पार्षद सुनील कुमार तिवारी का कहना था कि सड़क घोटाले की लीपापोती के उद्देश्य से यह निर्माण किया जा रहा है जबकि, यह मामला डीएम के समक्ष आया था। डीएम ने इस मामले में संज्ञान लिया । ऐसे में इस निर्माण के होने से सड़क घोटाले के कई साक्ष्य मिटा दिए गये। बताया जाता है कि निर्माण के उद्देश्य से कई तरह के तोड़फोड़ तथा पूर्व की संरचना में बदलाव किया गया । प्राक्कलन बोर्ड नहीं लगने से भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई । यह पता नहीं चल पा रहा था कि जारी निर्माण कार्य किस योजना के तहत है। इसकी लागत खर्च क्या है तथा इस निर्माण की कार्य एजेंसी कौन है। फिलहाल यह निर्माण पूरे नगर में चर्चा का विषय बना था। नगर परिषद की राजनीति से मतलब रखनेवाले लोग इस निर्माण को लेकर चर्चा में मशगूल रहे। सबका कहना था कि डीएम की संभावित जांच को प्रभावित करने के लिए निर्माण किया गया।

निर्माण कार्यों में घोटाला माननीयों के लिए बने आवासों तक पहुंच गया। इन आवासों का निर्माण करने वाली कंपनी में निदेशक जेडीयू के विधायक थे। बिहार में विधान परिषद के सदस्यों को जो नये आवास दिए गए हैं, आरोप है कि उनका निर्माण कार्य घटिया है। यह आरोप कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद मिश्रा ने लगाया है। कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा के मुताबिक बारिश के पानी के कारण पूरे आवास में डम्प की समस्या है। प्रेमचंद मिश्रा ने बिहार भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि बारिश के पानी के बाद नए बने आवास में जहां-तहां से पानी का एक ओर रिसाव हो रहा है, वहीं कहीं-कहीं दरारें दिखने लगी है। उनका कहना है कि इस निर्माण कार्य में गुणवत्ता से समझौता किया गया है। ये पहली बार है कि किसी विधान पार्षद ने सार्वजनिक रूप से इन आवासों के बारे में शिकायत की है लेकिन ये मामला इसलिए बढ़ सकता है क्योंकि जिस कम्पनी को इस निर्माण कार्य का जिम्मा दिया गया, उस कम्पनी में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के विधायक सुनील चैधरी निदेशक हैं। इनके पास विधान परिषद के 75 सदस्यों के आवास के निर्माण के अलावा विधान सभा के 243 सदस्यों के आवास के निर्माण का भी काम मिला हुआ था। दोनों जगह जो निर्माण की समय सीमा थी वो कई बार बढ़ाई गयी । इसके अलावा चैधरी की कम्पनी को दो इंजीनियरिंग कॉलेज के अलावा कुछ और भवन के निर्माण का भी ठेका मिला हुआ था। हर जगह विभाग से गुणवत्ता और समय सीमा को लेकर विवाद हुआ और मामला पटना हाई कोर्ट तक गया।

हालांकि बिहार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चैधरी ने मुख्य अभियंता के निर्देशन में एक टीम माननीय सदस्य के घर भेजी थी,यह देखने के लिए कि आखिर उनकी शिकायत कितनी जायज है और उसका निदान कैसे ढूंढ़ा जाए।

इसी प्रकार सृजन घोटाले ने भी नीतीश कुमार सरकार की छवि को धूमिल किया है। इस घोटाले का नाम सृजन घोटाला इसलिए रखा गया क्योंकि कई सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय खातों में न जाकर या वहां से निकालकर सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम के एनजीओ के छह खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी। फिर इस एनजीओ के कर्ता-धर्ता जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी पैसे को इधर-उधर कर देते थे। साल 2017 के अगस्त माह में भागलपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे का साइन किया हुआ चेक बैंक ने वापस कर दिया था। इसके पीछे बैंक ने तर्क दिया था कि खाते में पर्याप्त रकम नहीं है। इस बात पर जिलाधिकारी हैरान रह गए थे और मामले की तह तक जाने के लिए इस पर एक जांच कमेटी बैठा दी थी। कमेटी ने जांच रिपोर्ट सौंपी तो पता चला कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा स्थित सरकारी खातों में पैसे नहीं हैं। जांच कमेटी की रिपोर्ट पर उन्होंने मामले से जुड़ी पूरी जानकारी राज्य सरकार को दी और इसके बाद परत दर परत सृजन घोटाले की सच्चाई लोगों के सामने आने लगी। यह सच्चाई आगामी विधानसभा चुनाव को भी प्रभावित कर सकती है।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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