पौधारोपण: योगी से अन्य राज्य भी लें सबक

प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायकों ने भी ‘मिशन वृक्षारोपण-2020’ के तहत विभिन्न जिलों में पौध रोपण किया।;

Update: 2020-07-07 13:46 GMT

लखनऊ। मानव की जरूरतों के चलते जिस तरह प्राकृतिक संपदा का दोहन हो रहा, उसके बाद भविष्य में धरा पर न तो पौधे ही खोजे मिलेंगे और न ही इंसान, इसलिए अब वक्त आ गया है जब हर शख्स को पौधों की अहमियत समझनी ही होगी। पेड़-पौधों की अहमियत को समझते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 जुलाई को लखनऊ के कुकरैल वन में पौध रोपण कर उत्तर प्रदेश में 'मिशन वृक्षारोपण-2020' का शुभारम्भ किया। इस मिशन के अन्तर्गत व्यापक जनसहभागिता एवं अन्तर्विभागीय समन्वय के माध्यम से 5 जुलाई को प्रदेश भर में एक दिन के अंदर 25 करोड़ से अधिक औषधीय, फलदार, पर्यावरणीय, छायादार, चारा औद्योगिक व प्रकाष्ठ की दृष्टि से महत्वपूर्ण 201 से अधिक प्रजातियों के पौधे रोपे गए। प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायकों ने भी 'मिशन वृक्षारोपण-2020' के तहत विभिन्न जिलों में पौध रोपण किया। योगी सरकार ने पिछले वर्ष भी 22 करोड़ पौधरोपण का रिकार्ड बनाया था।

वनों की अहमियत को समझना हमारे लिए बेहद जरूरी है। वनों के बगैर मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। वनों में 1 से 1.4 करोड़ जीव प्रजातियां हैं, जिनका जीवन एक-दूसरे पर निर्भर है। ये जैव विविधता को कायम रखे हुए हैं। ये प्रजातियां खत्म हो गई तो मानव जीवन संकट में पड़ जाएगा। इसलिए पेड़ों की कीमत हमें समझनी होगी। कोई कल्पना कर सकता है कि आज एक पेड़ की कीमत कितनी होगी। वैज्ञानिकों ने एक पीपल के पेड़ की कीमत 280 करोड़ रुपये आंकी है। इसमें पेड़ द्वारा उत्सर्जित की जाने वाली ऑक्सीजन, सोखी जाने वाली कार्बन डाईआक्साईड, सूर्य की रोशनी से फलों को पकाने की क्षमता पैदा करना, गंदे पानी को सोखना, बारिश कराना, लकड़ी आदि गुणों को जोड़ा गया है। इसी प्रकार हर पेड़ की कीमत करोड़ों रुपये में है।

जंगलों के सफाये से कई नदियां सूखने लगी हैं। दूसरे शब्दों में कहे तो जंगलों को कायम रखना हम इंसानों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि जंगलों से करीब 300 छोटी-बड़ी नदियां निकलती हैं। इन नदियों पर देश के करोड़ों लोग निर्भर हैं। अगर जंगल को नहीं बचाया गया तो जैसे नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय गायब हुए थे, वैसे ही नदियां हमारे जीवन से गायब हो जाएंगी। सरकार को चाहिए कि वे विकास योजनाओं को बनाते और क्रियान्वित करते समय ऐसे उपाय करें, जिससे वनों को क्षति नहीं पहुंचे। पर्यावरण बचाने और उसका संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे बहुत जरूरी हैं, लेकिन आए दिन विकास के नाम पर बेरहमी से सैकड़ों-हजारों पेड़ काट दिए जाते हैं। दिल्ली की प्रदूषित हवा से तो अब तक सब वाकिफ हो ही चुके होंगे, जरा सोचिए यदि सभी शहरों का ऐसा ही हाल हो जाए, तो कैसे जिएंगे हम सब? हम सबको यह समझना होगा कि हमारे जीवन के लिए पेड़ बहुत जरूरी है, वरना सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिलना दूभर हो जाएगा। हवा में फैले प्रदूषण को पेड़-पौधे अवशोषित करके आपको साफ हवा देते हैं, लेकिन शहरों में दिनों-दिनों पेड़ गायब होते जा रहे हैं।

कुछ समय पहले मुंबई की आरे कॉलोनी भी पेड़ों की कटाई को लेकर सुर्खियों में थी। मायानगरी के गोरेगांव इलाके में जो आरे जंगल हैं वहां मेट्रो शेड बनवाने के लिए हजारों पेड़ काट दिए गए, लेकिन फिर आम लोगों को सेलिब्रिटिज ने मिलकर 'सेव आरे' मुहिम शुरू करके इसका जबर्दस्त विरोध किया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं हैदराबाद के तेलापुर-नालांगन्डाला इलाके में लोगों ने पेड़ काटे जाने का एकजुट होकर विरोध किया। दरअसल, इलाके में सड़क को चैड़ा करने के लिए पहले ही 130 पेड़ काटे जा चुके हैं और करीब 400 पेड़ और काटे जाने थे। इसका लोगों ने जमकर विरोध किया। एक मुहिम के तहत लोगों ने एकत्रित होकर 'सेव लाइफ सेव ट्री' के नारे लगाकर पेड़ काटे जाने का विरोध किया। बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाना जरूरी है, लेकिन यह विकास पर्यावरण की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

पर्यावरण और विकास के बीच एक संतुलन की जरूरत है, वरना दिल्ली की हालत को आप देख ही रहे हैं, यदि जल्द ही हमने कुछ कदम नहीं उठाएं, तो हालात शायद इससे भी बदतर हो जाएंगे। इससे इतर हैरान करने वाली बात यह है कि भारत में अब प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं और इनकी संख्या साल दर साल कम होती जा रही है। जरूरी है दूसरे देशों की तरफ देखें। नेचर जर्नल की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में एक व्यक्ति के लिए 422 पेड़ मौजूद थे। दूसरे देशों की बात करें तो पेड़ों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे हैं। रूस में करीब 641 अरब पेड़ हैं, जो किसी भी देश से ज्यादा हैं। इसके बाद 318 अरब पेड़ों की संख्या के साथ कनाडा दूसरे स्थान पर, 301 अरब पेड़ों की संख्या के साथ ब्राजील तीसरे स्थान पर और 228 अरब पेड़ों की संख्या के साथ अमेरिका चैथे स्थान पर है। भारत में सिर्फ 35 अरब पेड़ हैं यानी एक व्यक्ति के लिए सिर्फ 28 पेड़। गौर करने वाली बात यह है कि हम दुनियाभर में हर साल करीब 15.3 अरब पेड़ खो रहे हैं, यानी कि प्रति व्यक्ति के अनुसार दो पेड़ से भी ज्यादा का नुकसान हर साल हो रहा है। दूसरी ओर की तस्वीर यह है कि हम बहुत कम संख्या में पौधे लगा रहे हैं। नेचर जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में पांच अरब पेड़ हर साल लगाए जा रहे हैं और जबकि हम हर साल 10 अरब पेड़ का नुकसान उठा रहे हैं।

भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के समग्र वन क्षेत्रों में एक चैथाई उत्तर-पूर्व के राज्यों में है और पिछले मूल्यांकन की तुलना में उत्तर-पूर्व के राज्यों में 628 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में कमी आई है। देश में पेड़ों तथा वनों का समग्र क्षेत्रफल 794,245 वर्ग किलोमीटर (79.42 मिलियन हेक्टेयर) है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.16 प्रतिशत है। वहीं अगर पेड़ों के कटने के कारण होने वाले प्रदूषण की बात करें तो प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल, द लांसेट में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रदूषण से हुई मौतों के मामले में साल 2015 में भारत 188 देशों की सूची में पांचवे स्थान पर रहा है। दुनियाभर में हुई करीब 90 लाख मौतों में से 28 प्रतिशत मौतें अकेले भारत में हुई हैं। यानी यह आंकड़ा 25 लाख से ज्यादा है। ये मौतें वायु, जल और अन्य प्रदूषण के कारण हुई हैं। चिकित्सीय पत्रिका 'द लांसेट' के अनुसार, हर साल वायु प्रदूषण के कारण 10 लाख से ज्यादा भारतीय मारे जाते हैं। अध्ययन के अनुसार, पिछले कई सालों से उत्तर भारत में फरवरी-मार्च के महीने में स्मॉग भारी नुकसान कर रहा है और हर मिनट भारत में दो जिंदगियां वायु प्रदूषण के कारण चली जाती हैं। ऐसे में वायु प्रदूषण सभी प्रदूषणों में सबसे घातक प्रदूषण बनकर उभरा है। सरकार ने एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषित हवा की खराब गुणवत्ता को ठीक करने के लिए अब सख्त कदम उठाने की तैयारी की है। सरकार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुझाव पर वायु मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई करने का फैसला लिया है, मगर इससे अलग स्वच्छ पर्यावरण को लेकर भी सवाल उठना लाजमी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की पौधे लगाने की पहल सराहनीय है। हमें भी पेड़ों की रक्षा करनी चाहिए। सरकार के साथ-साथ हम नागरिकों का भी यह फर्ज़ होना चाहिए कि हमें पेड़ लगाएं और लगे हुए पेड़ों की रक्षा भी करें।

(नाज़नींन -हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

Tags:    

Similar News