आम उत्पादकों के लिए घाटे का हो सकता है इस बार का सीजन
फलों के राजा आम पर इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम को लगाए गए लॉकडाउन से लेकर मौसम तक की गंभीर मार पड़ी है;
विकासनगर। फल उत्पादक किसानों को इस बार आम की फसल में बड़ा नुकसान होने की प्रबल आशंका है। पहले मौसम का ठंडा होना, फिर लॉकडाउन में फसल की देखरेख न हो पाना आदि तमाम ऐसे कारण बने, जिस कारण फल विकसित नहीं हो पाए और गुणवत्ता भी खराब है। इस कारण बागवान उपज को बाहरी मंडियों में भी ले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। हालांकि अनलॉक में सरकार की ओर से बागवान को बाहरी राज्यों में फसल ले जाने की छूट है। आम को नुकसान की एक बड़ी वजह रात दिन के तापमान में ज्यादा अंदर होना भी है, जिसकी वजह से आम के पेड़ पर फटने की समस्या भी काफी है।
फलों के राजा आम पर इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम को लगाए गए लॉकडाउन से लेकर मौसम तक की गंभीर मार पड़ी है। उद्यानिकी फसलों में जिस समय बौर आने, फूल से फल बनने की प्रक्रिया होती है, उस समय तापमान 25 डिग्री के आसपास होना उपयुक्त होता है, लेकिन इस बार मौसम अप्रैल तक ठंडा होने के चलते तापक्रम 20 डिग्री सेंटीग्रेड रहा। जिसकी वजह से आम के अलावा अन्य बागवानी लीची, पुलम, आड़ू आदि विकसित नहीं हो पाए। दरअसल सामान्य मौसम में परागण की क्रिया संपूर्ण होती है, अधिक संख्या में फल बनते हैं, जिससे उत्पादन अच्छा होता है।
आम की फसल को नुकसान का दूसरा बड़ा कारण यह रहा है कि 22 मार्च के बाद लॉकडाउन शुरू हो गया। फरवरी और मार्च माह में ही बागवान अपनी उपज को ठेकेदार को बेच देता है, ठेकेदार ही रखवालों की मदद से आम, लीची व अन्य फलों की बागवानी में दवा का छिड़काव, जड़ों में पानी डालकर नमी प्रतिशत बरकरार रखने और फूल से फ्रूट सेटिंग के दौरान बागवानी को बचाने के लिए तमाम प्रयास करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बागवान मालिकों को सहारनपुर के विभिन्न क्षेत्रों बेहट आदि से आने वाले ठेकेदार नहीं मिले और बागवानी की देखरेख नहीं हो पाई, जिसके कारण बोरोन की कमी के चलते वर्तमान में हालत यह है कि पेड़ पर ही आम फट रहे हैं।
अप्रैल और मई में चलने वाली गर्म हवा भी इस बार नहीं चली, जिससे आम की फसल का विकास पूरी तरह रुक गया। इसके अलावा बारिश, तूफान और ओलावृष्टि ने भी फसल को काफी नुकसान पहुंचाया। इस सबके अतिरिक्त अब किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या आम की फसल को बेचने की खड़ी हो गई है। आम की गुणवत्ता जब अच्छी होती थी, साइज भी ठीक रहता था तो पछवादून से आम हरियाणा के सोनीपत, रोहतक, हिसार, जींद और पंजाब की जालंधर मंडियों में बिक्री के लिए ले जाया जाता था, लेकिन मौजूदा समय में फल को बाहरी मंडियों में ले जाने की स्थिति नहीं है।
फल उत्पादक किसान रोहित पुंडीर, चैधरी दिलीप सिंह, जकाउल्लाह खान आदि का कहना है कि इस बार आम बाहर की मंडियों में नहीं जा सकेगा। एक तो गुणवत्ता खराब है, दूसरा वायरस संक्रमण के बढ़ने से पैदा हुए भय के वातावरण के कारण अधिकतर किसान अपनी फसल को स्थानीय मंडियों में ही विक्रय करेंगे, जिससे कीमत के मामले में काफी नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा।
प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी डॉ. एके शर्मा ने बताया कि इस सीजन की परिस्थितियां और मौसम आम की फसल के लिए काफी नुकसानदायक रहे हैं। समय से दवा व मौसम का साथ नहीं मिलने के चलते आम का साइज काफी प्रभावित हुआ है। इसके अलावा आम के पेड़ पर ही फट जाने की समस्या अधिक देखने में आ रही है व स्वाद पर भी इन सब हालात का प्रभाव काफी पड़ेगा, इसलिए इस बार किसानों के सामने समस्या अधिक है।
किसानों की परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को आम की फसल के विक्रय की व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे किसानों को अपनी फसल को एक ही स्थान पर बेचने के लिए मजबूर न होना पड़े व उनको कीमत के मामले में भी राहत मिल सके। इसके अतिरिक्त नुकसान उठाने वाले किसानों की आर्थिक सहायता के लिए भी प्रदेश की सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। विपुल जैन, पूर्व सभापति मंडी समिति विकासनगर।
(हिफी न्यूज)