मुज़फ्फरनगर के मौलाना शमशाद कासमी का सऊदी अरब में इंतकाल
हज और उमरे पर हिंदुस्तान से जाने वाले ज़ायरीन की ख़िदमत का कोई मौका मौलाना मौहम्मद शमशाद कासमी कभी नही छोड़ते थे।
मुजफ्फरनगर । मौलाना मौहम्मद शमशाद कासमी का जन्म मुजफ्फरनगर के गांव सम्भलहेड़ा मे हुआ था मौलाना ने शुरूआत मे हैदराबाद मे कारोबार किया और फिर वो जद्दा जाकर बस गये,तब से मौलाना जद्दा मे ही मुकीम थे और वहां इत्र के बड़े कारोबारियो मे मौलाना का शुमार होता था।
हज और उमरे पर हिंदुस्तान से जाने वाले ज़ायरीन की ख़िदमत का कोई मौका मौलाना मौहम्मद शमशाद कासमी कभी नही छोड़ते थे। उम्मुल मदारिस दारूल उलूम देवबंद से फ़ारिग़ होने के बाद भी मौलाना शमशाद कासमी की रग़बत दारूल उलूम देवबंद से कभी कम नही हुई बल्कि अईम्मा हरमैन शरीफैन के दिलों मे दारूल उलूम देवबंद की जगह पैदा करने मे मौलाना शमशाद कासमी की काफी मेहनत रही है।
हिंदुस्तान के छोटे बड़े बेशुमार मदारिस की हमदर्दी,कयादत और सरपरस्ती करने वालो मे मौलाना शमशाद कासमी का शुमार होता था।
कौमों मिल्लत के लिये मौलाना मौहम्मद शमशाद कासमी जैसे शख्स एक सरमाया थे, जिनका आज जद्दा के एक अस्पताल मे लम्बी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया।
पैगाम ए इंसानियत के सदर और मौलाना शमशाद के दोस्त आसिफ राही कहते है हम दुआ करते हैं कि अल्लाह मौलाना को जन्नत उल फिरदौस मे आलाॅ मुक़ाम अता फरमाये और अहले ख़ाना को सब्रे जमील अता फरमाये आमीन।