इमरान ने अयोग्यता संबंधी फैसले को हाई कोर्ट में दी चुनौती
अयोग्यता संबंधी फैसले को चुनौती देने के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में शनिवार को एक याचिका दायर की।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख एवं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने चुनाव आयोग की अयोग्यता संबंधी फैसले को चुनौती देने के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में शनिवार को एक याचिका दायर की।
पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने शुक्रवार को तोशाखाना मामले में सर्वसम्मति से लिए गए फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री खान को अयोग्य करार देते हुए कहा कि पीटीआई अध्यक्ष अब नेशनल असेंबली के सदस्य नहीं रहे। चुनाव आयोग ने अपने फैसले में कहा कि गलत घोषणा करने के लिए पीटीआई अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी। उसने कहा कि श्री खान ने झूठा हलफनामा दायर किया और वह अनुच्छेद 63 (1) (पी) के अंतर्गत भ्रष्ट आचरण में लिप्त पाए गए। इस अनुच्छेद के तहत एक सांसद को मजलिस-ए-शूरा (संसद) या प्रांतीय असेंबली के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने या चुने जाने से वर्तमान समय में अयोग्य करार दिया जाता है। खान पर यह भी आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना के उपहारों की बिक्री से मौद्रिक आय का ठीक से हिसाब नहीं रखा।
इस मामले की 24 अक्टूबर (सोमवार) को आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह सुनवाई करेंगे। तोशाखाना कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण में एक विभाग है और शासकों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को अन्य सरकारों तथा राज्यों के प्रमुखों व विदेशी गणमान्य लोगों द्वारा दिए गए कीमती उपहारों को संग्रहीत करता है। तोशाखाना नियमों के अनुसार, जिन व्यक्तियों को ये नियम लागू होते हैं, उन्हें प्राप्त उपहार/उपहार और अन्य ऐसी सामग्री की सूचना कैबिनेट डिवीजन को देनी होती है।
आरोप लगाया गया है कि खान ने तोशाखाना में रखे गए उपहारों का विवरण साझा नहीं किया था और उनकी रिपोर्ट की बिक्री से आय अगस्त में सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों द्वारा दायर की गई थी। ईसीपी ने शुक्रवार को निष्कर्ष निकाला कि खान ने वास्तव में उपहारों के संबंध में 'झूठे बयान और गलत घोषणाएं' कीं। आयोग के इस निर्णय ने पीटीआई द्वारा व्यापक विरोध को प्रेरित किया।
वॉचडॉग के आदेश में कहा गया है कि खान संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं। खान के वकील बैरिस्टर अली ज़फ़र ने उनकी ओर से आईएचसी में एक याचिका दायर की, जिसमें प्रार्थना की गई कि आदेश को अनुच्छेद 63 पर 'कानून के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ' घोषित किया जाए। याचिका में अदालत से ईसीपी के आदेश को 'गलत' घोषित करने और इसे खारिज करने का आग्रह भी किया गया। खान ने अदालत से घोषणा की भी मांग की कि चुनाव अधिनियम और चुनाव नियम, 2017 के तहत ईसीपी के पास 'भ्रष्ट प्रथाओं और अयोग्यता के किसी भी प्रश्न' को तय करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है।
इस बीच, याचिका में कहा गया है कि अदालत कृपया ईसीपी के आदेश के संचालन को निलंबित कर सकती है और ईसीपी द्वारा आगे की कार्यवाही या उसके व्यवहार को उसके निपटान तक रोक सकती है। याचिका में ईसीपी, नेशनल असेंबली (एनए) के अध्यक्ष और एनए सचिव तथा संसद के निचले सदन के कई सदस्यों को याचिका में प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है। याचिका के साथ बैरिस्टर जफर ने एक अर्जी भी दाखिल कर मामले की आज सुनवाई की मांग की। अदालत ने हालांकि, उनकी याचिका खारिज कर दी और सुनवाई 24 अक्टूबर के लिए निर्धारित की। बाद में, बैरिस्टर जफर ने पुष्टि की कि याचिका सोमवार के लिए तय की गई है और उम्मीद जताई कि ईसीपी के फैसले को पलट दिया जाएगा।
संजय अशोक