ब्लैकमेलिंग का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है पत्रकारिता का चोला
पत्रकारिता के पेशे में ऐसे लोग शामिल हो गए हैं जिनका शैक्षिक स्तर भी निम्न प्रकार का है इसकी आड़ में ब्लैकमेलिंग कर रहे
मुजफ्फरनगर। तालीम से कोई ताल्लुक नहीं, मगर गले में आईडी रिबन (पट्टा) उसमें लगा प्लास्टिक का 50 से 100 रुपये में प्रिंट प्रेस कार्ड डालकर जब ऐसे लोगों की भीड़ धीरे धीरे मुजफ्फरनगर के कोने कोने में फैलने लगी, तब कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन में मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव के निशाने पर यह अधूरे पोपट पत्रकार आ गए थे । एक पोपट पत्रकार पर पुलिस ने एफआईआर की, जिस पर एसएसपी अभिषेक यादव को जब पत्रकारों की तरफ से धन्यवाद मिला तो उसके बाद पुलिस की मुहिम जोर पकड़ गई। इसके बाद कई तथाकथित पत्रकारों को बड़े घर की हवा खानी पड़ी।
बीते दिनों भी मुजफ्फरनगर की शहर कोतवाली पुलिस ने तीन ऐसे पत्रकारों को गिरफ्तार किया था जो प्रेस कार्ड बनाने एवं पीड़ित को पुलिस बन फोन कर ब्लैकमेलिंग करने वाले स्वयं घोषित पत्रकारों को जेल भेज दिया था। जिसके बाद ऐसे पोपट पत्रकारों में हड़कंप मच गया था। एसएसपी अभिषेक यादव ने पैसे लेकर प्रेस कार्ड जारी करने वाले दिल्ली के संपादक के गले में भी पुलिस का फंदा डालकर ऐसे अधूरे पोपट पत्रकारों में हड़कंप मचा दिया है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों शाहपुर कस्बे के एक युवक ने एक वाहन खरीदा था। जिसकी आरसी चोरी हो गई थी। जब वहां की समय सीमा खत्म हो गई तब हैदर ने किसी को गाड़ी बेचने को कहा। जिस पर गाड़ी खरीदने वाले ने कहा कि जब तक आरसी नहीं होगी, मैं गाड़ी नहीं खरीद पाऊंगा। हैदर नाम के इस युवक ने जब एक पत्रकार से अपनी समस्या बताई तो उसने थाने की मोहर लगवाने के नाम पर पैसों की डिमांड कर डाली, क्योंकि उसके पास आरसी नहीं थी इसलिए हैदर ने उनको थाने जाकर बात करने को कहा, जिस पर उसके दूसरे पत्रकार साथी ने पुलिस बनकर फोन पर उससे 20000 रुपये की डिमांड की। बताया जाता है कि इन दो पत्रकारों ने शाहपुर पुलिस के नाम पर हैदर से 10000 ले लिए तथा बाद में फिर थाने में खड़े होकर फोन किया और उससे 2000 रुपये पुलिस के नाम पर फिर से मांग लिए। जिस पर हैदर ने 15 सौ रुपए इन दोनों पत्रकारों को दे दिए।
इसमें सबसे आश्चर्यजनक बात यह है शाहपुर पुलिस को हवा भी नहीं लगी और उसके नाम पर इन दोनों पत्रकारों ने ब्लैक मेलिंग करते हुए हैैैैैदर से 11500 रुपए ब्लैक मेकिंग करते हुए ठग लिए। इसके बाद पीड़ित हैदर ने शाहपुर थाने में इसकी शिकायत की तो इन दोनों पत्रकार के आका सक्रिय हो गए और उन्होंने हैदर पर अपनी तहरीर वापस लेने का दबाव बनाया। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि इन दोनों पत्रकारों ने एक मीट विक्रेता से भी पुलिस के नाम पर उगाई की थी जबकि शाहपुर पुलिस को इसकी भनक तक भी नहीं लगी। इन दोनों पत्रकारों ने शाहपुर के एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ झूठी खबर छाप कर उससे भी 2 लाख रुपये की डिमांड की हुई है। पुलिस के नाम पर ब्लैक मेलिंग करने वाले इन दोनों पत्रकारों के खिलाफ शाहपुर थाने में तहरीर दे दी गई है।
पत्रकारिता ऐसा फील्ड है जो समाज को दिशा देने के साथ-साथ सरकार, पुलिस, प्रशासन व आम जनता को आईना दिखाने व उनके बेहतर कार्य एवं कार्यक्रम को भी पत्रकार प्रकाशित एवं प्रसारण करता है। यह सब करने वाला पत्रकार सुबह से शाम तक एक्सक्लूसिव खबरों की फिराक में घूमता रहता है, ताकि अच्छी स्टोरी करने पर उसे संस्थान की तरफ से शाबाशी मिल सके, मगर कई सालों से इन पत्रकारों के सामने अधूरे पोपट पत्रकारों ( व्हाट्सएप एवं फेसबुक के टाइप बॉक्स में जाकर खबर को बोलकर ऑटोमेटिक टाइप होने पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने एंव पैसे के बल पर प्रेस कार्ड हासिल करने वाले ) की फौज आकर खड़ी हो गई। इसके साथ साथ एक तबका और इस फ़ौज में इनकी देखा देखी शामिल हो गया। वह तबका जो अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, कन्नड़, तमिल, मराठी भाषाएं तो छोड़ दीजिए, हिंदी भी नहीं जानता है। उन्होंने पोपट पत्रकारों के साथ तिकड़म लगाई और चांदी के जूतों की चमक (रुपया ) के बल पर प्रेस कार्ड प्राप्त कर फील्ड में घूमने लगे। और पोपट पत्रकारों का यह तबका थानों, तहसील एवं पुलिस चौकी में बैठकर आने वाले पीड़ितों से पुलिस के नाम पर ब्लैक मेलिंग करने में जुटा हुआ है । इसमें सबसे खास बात यह है कि थाना पुलिस और पुलिस चौकी की पुलिस को पता भी नहीं चलता और यह ब्लैक मेलिंग कर आम जनता से रकम ठग लेते हैं।
इन अधूरे पोपट पत्रकारों के साथ खड़ी हुई अनपढ़ लोगों की टीम में ऐसे लोग भी आ जुड़े, जिनको पत्रकारिता की एबीसीडी तो आती ही नहीं , उनका अपराधिक चरित्र भी सबके सामने है। पुलिस के रजिस्टर नंबर 8 में दर्ज पत्रकार का मुखौटा लगाने वाले ऐसे जनाब का प्रेस कार्ड हासिल करने का मकसद पुलिस की गैंगस्टर, गुंडा एक्ट, हिस्ट्रीशीट एवं किसी अन्य कार्रवाई से कैसे बचा जाए , होता है। अधूरे पोपट पत्रकार और उनकी टीम में जुड़े लोग जिनकी शिक्षा भी निम्न स्तर की है, ने इस जिले में अवैध वसूली का ऐसा खेल शुरू किया हुआ है कि राशन डीलर, होटल संचालक, छुटभैये डॉक्टर के साथ-साथ छोटे स्तर के पुलिस एंव प्रशासनिक कर्मचारियों को भी यह वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते हैं। कोरोना काल में खालापार में एक विकलांग राशन डीलर की दुकान पर सोशल डिस्टेंसिंग का मामूली उल्लंघन क्या हुआ, एक ऐसे ही अधूरे पोपट पत्रकार ने उसकी वीडियो बनाकर कार्यवाही कराने के नाम अपनी जेब गर्म कर ली। तहसील, राशन से जुड़े दफ्तरों, पुलिस थाने, चौकियों में मंडराने वाले इन अधूरे पोपट पत्रकारों से गरीब आदमी का बचना मुश्किल हो गया है। ऐसे अधूरे पोपट पत्रकार पुलिस चौकियों में प्रेस कार्ड डालकर मुखबिरी के कारोबार में भी लिप्त हो गए हैं । कई बार तो शिकायत के बाद थाना प्रभारियों ने ऐसे अधूरे पोपट पत्रकारों से गरीब लोगों से वसूला गया रुपया वापस कराया है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है की प्रेस कार्ड डालकर घूम रहे इन लोगों ने ब्याज का धंधा भी शुरू किया हुआ है। 10 से लेकर 20 परसेंट तक के ब्याज पर यह अधूरे पोपट पत्रकार एवं उनके साथी गरीब आदमियों को पहले ब्याज पर रुपए देते हैं फिर उसका मकान, दुकान, मोटरसाइकिल हड़प लेते हैं।
ऐसे लोगों पर एसएसपी अभिषेक यादव ने शिकंजा कसना शुरू किया तो कई लोगों ने अपने गले से प्रेस कार्ड निकाल कर रख दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसे लोगों में एसएसपी अभिषेक यादव के अभियान से इतनी दहशत पैदा हो गई है कि अभी तक गाड़ी और मोटरसाइकिल पर प्रेस लिखकर घूम रहे अधूरे पोपट पत्रकारों ने अपने वाहनों पर लगे स्टीकर को भी फाड़ दिया है, हालांकि इनमें से अभी कुछ प्रेस कार्ड किनारे रखकर मुखबिरी के बल पर पुलिस चौकियों में अपनी पकड़ बरकरार रखे हुए हैं। एसएसपी अभिषेक यादव का यह अभियान जहाँ पत्रकारों का सम्मान बचाने वाला साबित होगा, वही गरीब लोग जो इनके शिकंजे में फंस कर बिना किसी सुविधा शुल्क के निकल नहीं पाते थे अब उनका भी भला हो जाएगा