जन-जन तक पहुंची स्वास्थ्य सुविधा
सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे डॉक्टरी परामर्श, बीमारी की जांच रिपोर्ट इत्यादि डेटा के रूप मंे रहेगी।
जिले के प्रत्येक नागरिक को एक डिजिटल हेल्थ कार्ड देने की योजना शुरू की गई है। इसमें उनकी सारी मेडिकल हिस्ट्री होगी। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य संबंधी डेटा डिजिटल हो जाएगा। नागरिकों को उपचार कराने के लिए किसी पेपर वर्क, रसीद या किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे डॉक्टरी परामर्श, बीमारी की जांच रिपोर्ट इत्यादि डेटा के रूप मंे रहेगी।
भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में स्वास्थ्य सेवा का सशक्त और सुलभ होना नितांत आवश्यक है। देश में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। इसके अलावा देश में ऐसे लोगों की संख्या भी काफी अधिक है, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपना ठीक ढंग से इलाज नहीं करा पाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए नरेन्द्र मोदी की सरकार ने वर्ष 2018 में महत्वाकांक्षी 'आयुष्मान भारत-पीएम जन आरोग्य योजना' आरंभ की थी। इस स्कीम का नाम प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना है। ये एक स्वास्थ्य बीमा कवर स्कीम है। ये स्कीम 10.74 करोड़ से ज्यादा परिवारों को 5 लाख का इंश्योरेंस कवर प्रदान करती है। इस बीमा कवर योजना का लाभ पाकर लाभार्थी अपना पांच लाख रुपये तक का इलाज केंद्र सरकार द्वारा सूचीबद्ध अस्पतालों में करा सकते हैं।
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रोस्टेट कैंसर, स्कल बेस सर्जरी, डबल वॉल्ब रिप्लेसमेंट, टिश्यू एक्सपेंडर आदि रोगों का इलाज सरकारी और निजी अस्पतालों मंे मुफ्त कराया जा सकता है। इसके अलावा इसमें पुरानी बीमारियों को भी कवर किया जाता है। किसी भी बीमारी की स्थिति में मेडिकल जांच, ऑपरेशन और इलाज का खर्चा भी आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत किया जाता है।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत स्वास्थ्य संबंधी तमाम सेवाओं के डिजिटलाइजेशन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों जैसे सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों की हेल्थ फैसिलिटी का रजिस्ट्रेशन करना है। जिले के प्रत्येक नागरिक को एक डिजिटल हेल्थ कार्ड देने की योजना शुरू की गई है। इसमें उनकी सारी मेडिकल हिस्ट्री होगी। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य संबंधी डेटा डिजिटल हो जाएगा। नागरिकों को उपचार कराने के लिए किसी पेपर वर्क, रसीद या किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे डॉक्टरी परामर्श, बीमारी की जांच रिपोर्ट इत्यादि डेटा के रूप मंे रहेगी। मरीज सरकारी व निजी अस्पताल में अपना हेल्थ कार्ड दिखाएगा तो उसमें दर्ज 14 अंकों की यूनिक आईडी से बीमारी की पूरी डिटेल देख सकेगा। मरीज देश के किसी भी डॉक्टर से घर बैठे परामर्श भी ले सकता है। इतना ही नहीं अब पहले से अधिक व्यक्तियों के साथ स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स (चिकित्सा सहायक) और स्वास्थ्य सुविधाएं यानी अस्पताल, नर्सिंग होम, कल्याण केंद्र, क्लीनिक, डायग्नोस्टिक लैब, एबीडीएम में शामिल होने वाली फार्मेसियां, उनके निर्माण स्थल पर स्वास्थ्य रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण संभव है।
आयुष्मान भारत योजना ने लिंग समानता को बढ़ावा देने में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक
अध्ययन के अनुसार इस योजना का लाभ पाने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं हैं। अध्ययन के मुताबिक, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, केरल और मेघालय में आयुष्मान कार्ड धारक महिलाओं की संख्या पुरुष कार्डधारकों से अधिक है। इस योजना से करीब 27,300 निजी एवं सरकारी अस्पताल जुड़े हुए हैं। साथ ही इस योजना के तहत 141 ऐसी चिकित्सा प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। महिलाएं सिर्फ इस योजना की लाभार्थी ही नहीं हैं बल्कि इस योजना के क्रियान्वयन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ग्रामीण भारत में आशा वर्कर और अस्पतालों में आरोग्य मित्र से लेकर राज्य की कई हेल्थ एजेंसियों की प्रमुख के तौर पर भी महिलाएं इस योजना के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभा रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 अक्टूबर, 2021 को 'आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन' की शुरुआत की। हेल्थ सेक्टर की इस योजना पर 64,000 करोड़ का खर्च आएगा। इससे 29,000 हेल्थ और वेलनेस सेंटरों को सहायता मिलेगी। जिला स्तर पर आईसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन आदि की सुविधा के साथ क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में 37000 बेड्स विकसित किए जाएंगे। ब्लॉक स्तर पर 4000 से अधिक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स और लैब बनाए जाएंगे। देश में 4 नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की स्थापना के साथ नए नेशनल डिजीज सेंटर भी बनाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी पिछले आठ वर्षों में, चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन लाए हैं। 2014 से पहले देश में 90 हजार से भी कम मेडिकल सीटें थीं और बीते 8 वर्षों में मेडिकल की 65 हजार से अधिक नई सीटें जोड़ी गई हैं। आजादी के बाद देश में 70 वर्षों में जितने डॉक्टर बने उससे ज्यादा डॉक्टर अगले 10-12 सालों में तैयार हो जाएंगे। क्योंकि देश में बहुत से नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं और नए खुल रहे हैं। इससे दूरस्थ ग्रामीण अंचल के बच्चों का भी डॉक्टर बनने का सपना साकार हो रहा है। मोदी सरकार स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा के अध्ययन को सक्षम बनाने के प्रयास कर रही है जिससे अनगिनत युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त होगा। भारत डॉक्टर-पेशेंट अनुपात को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मापदंडों के अनुसार बनाने के लिए मोदी सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। ध्यान रहे 2014 में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 381 थी। मोदी सरकार आने के बाद इसमें 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2020 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 565 तक पहुंच गई। नये मेडिकल कॉलेज खुलने से देश में मेडिकल की सीटों में बढ़ोतरी हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 8 वर्षों से स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश की बागडोर संभालते ही स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास शुरू कर दिए। एम्स के निर्माण, मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सीटें बढ़ाने, आयुष्मान भारत योजना, जन औषधि केंद्र खोलने जैसे तमाम कदम उठाए गए। कोरोना की जब चुनौती आई, तो उसे लड़ने के लिए देश के पास वेंटिलेटर, पीपीई किट, मास्क और कई अन्य सुविधाओं की कमी थी लेकिन मोदी सरकार ने चुनौती को अवसर में बदल दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत ने न सिर्फ इस महामारी का मजबूती से सामना किया, बल्कि दूसरे देशों की मदद भी की। (हिफी)