डॉक्टर की सलाह: क्यों बढ़ता है बीपी? जानिए बीपी कंट्रोल करने के तरीके
बीपी (सिस्टोलिक) 120-130mm Hg तक एवं नीचे का बीपी (डायस्टोलिक) 80-86mm Hg तक नार्मल माना जाता है।;
'बीपी' (ब्लड़-प्रैशर) क्या है?
शरीर के कोने-कोने एवं प्रत्येक अंग में खून पहुँचाने के लिए मोटी. पतली, असंख्य शिराये पाइप लाइन की तरह फैली रहती हैं। इन नसों में हमारा दिल 'टुल्लू-पम्प' की भांति प्रति मिनट 72 बार खून को पम्प करता हैं। हर दम बहते खून के द्वारा रक्त-शिराओं की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को 'रक्त का दबाव' या 'ब्लड का प्रैशर' या 'ब्लड प्रैशर' या 'बीपी' करते हैं।
बीपी बढ़ने से क्या खतरा है?
ब्लडप्रैशर के लम्बे समय तक बढ़े होने से कई अंगो की रक्त शिराएं डैमेज हो जाती है जिससे उन अंगो जैसे गुर्दा, हृदय, ब्रेन में गड़बडी आने लगती है। कई बार सालों तक बीपी बढ़ा होने पर भी कोई परेशानी का अनुभव नहीं होता परन्तु अन्त में गुर्दे खराब, दिल फैलना, हार्ट फेलियर, पक्षाघात जैसी बिमारियां सामने आती हैं। इसीलिए 'हाई बीपी' को 'साइलेन्ट किलर' भी कहते हैं।
कितना बीपी ठीक है?
ऊपर का बीपी (सिस्टोलिक) 120-130mm Hg तक एवं नीचे का बीपी (डायस्टोलिक) 80-86mm Hg तक नार्मल माना जाता है। जब ऊपर का बीपी मापने पर कई दिनों तक 136 से ज्यादा एवं नीचे का बीपी लगातार 86 से ज्यादा आने लगे तो उसे 'उच्च रक्तचाप' या 'हाईपरटैन्शन' कहते हैं। केवल नीचे का बीपी कम होना (जैसे कि 50-60) अपने आप मे कोई बीमारी नही है, ज्यादा उम्र मे नीचे का बीपी कम ही रहता हैं। इलाज के दौरान ऊपर का टार्गेट बीपी 140 के नीचे एवं नीचे का बीपी 90 के नीचे रखना चाहिए।
बीपी चैक करने का सही तरीका क्या है ?
दो मिनट रिलैक्स करके, शांत चित्त कुर्सी पर टेक लगाकर बैठ कर बीपी नपवाना चाहिए। घर पर यदि डिजिटल बीपी मशीन है तो तीन बार बीपी चैक कर, ऊपर और नीचे, दोनों रीडिंग का एवरेज लेना चाहिए। बीपी रेगुलर नोट कर चार्ट बनाना चाहिए।
बढे बीपी के क्या लक्षण हैं?
सिर-दर्द / भारीपन, आँखें चढ़ी-चढ़ी सी या बेचैनी होने लगती है। लंबे समय बीपी बढ़ने से मरीजों को चलने में सांस फूलने लगता है, रात को नींद से उठकर कई बार पेशाब जाना पड़ता है (नोक्चूरिया), कई बार एक दम बहुत ज्यादा बीपी बढ़ने से (200 से ऊपर) बहुत ज्यादा सांस फूलने लगती है (बैठकर आराम पड़ता है) क्योंकि लेटने से फेफड़ों में पानी भर जाता है (पल्मोनरी एड़िमा/हार्ट -फेलियर), ऐसे में लैसिक्स इत्यादि पेशाब की दवाओं/ NTG इत्यादि इन्जेक्शन से आराम पडता है।
बीपी बढ़ने के क्या कारण हैं?
आधुनिक मैडिकल साइन्स अभी तक बीपी बढ़ने के पूरे कारण नही ढूंढ सकी है। ज्यादा नमक खाने, वसा / चर्बी युक्त खानपान, बीडी-सिगरेट, पान मसाले, गुटका खाने से खून गाढ़ा होता है एवं रक्त शिराओं की दीवारों पर चर्बी के जमने से पूरी वैस्कुलर पाईपलाईन संकरी होने लगती है, जिससे खून का दबाव बढ़ता जाता है। ज्यादा गुस्सा या अत्याधिक मैन्टल टैन्शन, भागदौड़ की व्यस्त शहरी ज़िन्दगी, प्रकृति से दूरी (खुली साफ हवा, सूरज की किरणों, मिट्टी-घास का सम्पर्क न होना) से भी ये धमनियां तन कर ब्लडप्रैशर बढ़ाती हैं। गुर्दे की खराबी से भी बीपी बढ़ता है। ज्यादा सर्दियों में नसों में स्पाज़्म (संकुचन / तनाव) होने से बीपी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। कई बार दर्द की गोलियां (पेन किलर्स) भी बीपी को अन्कन्ट्रोल कर मरीजों को रात्रि में हॉस्पिटल की इमरजैन्सी में भर्ती तक करा देती हैं। पतले दुबले लोगों में या फिर अगर दिल फैला है / पम्पिंग कम है तो बीपी कम ही रहता है।
बिना ऐलोपैथिक दवा, बीपी कम करने के क्या तरीके हैं ?
ज्यादा नमक, फास्ट-फूड, चाय-कॉफी, अण्डे, मांस / मीट, वसा युक्त आहार से बचें। थोडी मात्रा में 'सैंधा नमक' लें, शहद में प्याज का रस बराबर मात्रा में मिक्स कर सुबह लें, लहसून की दो फांक खाने के बाद चबाएं। नींबू पानी, तरबूज की गिरी, खसखस, मेथी दाना, पका पपीता, तुलसी के पत्ते, गेहूं चना मिक्स आटे की रोटी चोकर सहित लें। महीने मे दो बार उपवास रखें, हल्का व्यायाम करें, रूद्राक्ष पहनें, नंगे पैर रोज घूमें, हरी दूब घांस पर टहलें, सुबह उठ कर पानी पीयें, योग, तनाव रहित प्रसन्नचित्त जीवन शैली अपनाएं।
बीपी की गोली लेते समय क्या ध्यान रखें ?
ज्यादातर लोगों को बीपी की गोली लम्बे समय या लाइफ-लौंग लेनी पड़ती हैं। बीपी की गोली सुबह उठकर, खाली पेट जल्द से जल्द लेनी चाहिए। सर्दियों में बीपी ज्यादा बढ़ता है (विशेषकर रात्रि/अर्ली मॉर्निंग में), इन दिनों कडी निगरानी कर डॉ. की सलाह से दवाएं बढाएं। एम्लोडिपीन (एम्लोकाइन्ड इत्यादि) से पैरो मे सूजन, रैमिप्रिल (रेमिस्टार, कार्डेस इत्यादि) से गले में खराश/सूखी खांसी हो सकती है। एटीनोलोल / मैटोप्रोलोल से पुरुषों में नपुंसकता भी आ सकती हैं। हाइड्रोक्लोरथाइज़ाइड़ ('H' नाम वाली दवाएं जैसे टैल्मा 'H' इत्यादि) से ओल्ड-ऐज (बूढे लोगों) मे सोडियम कम हो सकता है। बहुत ज्यादा बीपी मे जीभ के नीचे रखने वाली, पुराने टाइम से प्रचलित गोली 'डिपिन' नही लेनी चाहिए, क्योंकि कई बार यह एकदम से बहुत ज्यादा बीपी कम करके ब्रेन स्ट्रोक (पैरालिसिस) भी कर सकती है।
डॉ अनुभव सिंघल, हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट)