घरेलू तेल क्षेत्र पर सतर्कता बरतने की जरूरत- विपक्ष

सरकार को तेल क्षेत्र के संबंध में सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि यह रणनीतिक महत्व का क्षेत्र है।

Update: 2024-12-03 11:59 GMT

नई दिल्ली। घरेलू तेल क्षेत्र के विनियमन और विकास पर विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा में मंगलवार को सरकार से सतर्कता बरतने को कहा।

कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि देश में तेल और प्राकृतिक गैस का उत्पादन कम है तथा उपभोग ज्यादा है। सरकार इस विधेयक के माध्यम से इस अंतर को कम करना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधान पिछली तारीख को से लागू हो रहे हैं, जो नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधेयक के पारित होने से केंद्र और राज्य सरकारों में टकराव हो सकता है। इससे केंद्र सरकार की शक्तियों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि तेल क्षेत्र के उत्पादन पर "शेयरिंग फार्मूले" को बरकरार रखना चाहिए इससे अधिक कंपनियों को आमंत्रित करने में मदद मिलेगी। कंपनियों को आकर्षित करने के लिए निश्चित समय सीमा तक तेल क्षेत्र संबंधित कंपनी के पास ही रहने देना चाहिए। उन्होंने वर्ष 2021 में कैग की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि मौजूदा तेल क्षेत्रों की हालत ठीक नहीं है और वे क्षमता से कम उत्पादन कर रहे हैं। सरकार को तेल क्षेत्र के संबंध में सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि यह रणनीतिक महत्व का क्षेत्र है।

इससे पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने इस विधेयक को सदन में विचार और पारित करने के लिए पेश करते हुए कहा कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और इस विधेयक से अर्थव्यवस्था की ऊर्जा की मांग पूरी करने में मदद मिलेगी। उन्होंने विधेयक का ब्योरा देते हुए कहा कि इसमें तेल क्षेत्र को नए सिरे से परिभाषित किया गया है। यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और नई तकनीक को देखते हुए आवश्यक है।

तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को पांच अगस्त, 2024 को राज्यसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम,1948 में संशोधन करता है। यह अधिनियम प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम की खोज और उत्खनन को नियंत्रित करता है। भारतीय जनता पार्टी के चुन्नीलाल गरासिया ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस विधेयक के माध्यम से तेल की आपूर्ति और खपत में अंतर कम करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। उन्होंने कहा कि तेल क्षेत्र में निवेश आवश्यक है और इसलिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रावधानों में बदलाव जरूरी हो गया है।

तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने कहा कि यह विधेयक घरेलू तेल क्षेत्र को बाजार के अनुरूप बनाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को घरेलू तेल क्षेत्र के निजीकरण से बचना चाहिए, क्योंकि यह रणनीतिक महत्व का क्षेत्र है। उन्होंने घरेलू तेल कंपनियों के घटते उत्पादन पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर विस्तृत रूप से चर्चा होनी चाहिए और हड़बड़ी में पारित नहीं किया जाना चाहिए।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एन आर इलांगो ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विधेयक है और इस प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विधायक से केंद्र और राज्यों के संबंध प्रभावित होंगे, इसलिए इस पर विस्तृत विचार विमर्श आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक पिछली तारीख से लागू हो रहा है, इसलिए इस पर सतर्कता बरतने की जरूरत है। वाईएसआरसीपी के यरेम वेंकट सुब्बा रेड्डी ने कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस पर गंभीर विचार विमर्श आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने तेल खोज के लिए कृष्णा गोदावरी बेसिन में भी ध्यान देने की मांग की।

भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि यह विधेयक उस पंच प्रण की निष्ठा में लाया गया है जिसमें गुलामी के कानूनों और अप्रासंगिक कानूनों को बदलना है। ऊर्जा को देश के विकास के लिए जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधान वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। पेट्रोल की अधिक कीमतों को लेकर सरकार की आलोचना करने वाले विपक्षी सदस्यों को करारा जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में जब तेल की कीमत बढ रही थी तो भारत ने इसमें 15 प्रतिशत कमी की। यह विधेयक सरकार की नयी सोच और ऊर्जा के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने का विधेयक है।

भाजपा की डाॅ. कल्पना सैनी ने कहा कि आधुनिक युग में बदलती जरूरतों के लिए ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। यह ऊर्जा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तथा एक पॉवर हाऊस के रूप में स्थापित करने के लिए लाया गया है। इससे आयात पर देश की निर्भरता कम होगी और घरेलू ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के डा. फौजिया खान ने विधेयक में सजा के प्रावधान जैसे कुछ प्रावधानों को अनुचित करार दिया और कहा कि इनके प्रतिकूल प्रभाव होंगे। उन्होंने कहा कि निवेश के संबंध में भी विधेयक के प्रावधान स्थायी के बजाय जरूरत और परिस्थिति के अनुरूप होने चाहिए। भाजपा के डा. सिकंदर कुमार ने कहा कि इस विधेयक से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और भारत को ऊर्जा क्षेत्र में बड़े लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। इस विधेयक के प्रावधानों से विश्व ऊर्जा बाजार में भारत का कद बढ़ेगा और देश के उद्योग जगत की लंबे समय से चली आ रही मांग भी पूरी होगी।

माकपा के पी. पी. सुनीर ने कहा कि यह विधेयक देश के ऊर्जा संसाधनाें को बड़े उद्योगपतियों को सौंपने की कोशिश के साथ-साथ आम लोगों के हित में नहीं है । उन्होंने कहा कि विधेयक में पर्यावरण के संरक्षण की उपेक्षा की गयी है। उन्होंने कहा कि विधेयक में उद्योग जगत को जुर्माना देकर प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस दिया जा रहा है। उन्होंने केन्द्र सरकार पर सरकारी उपक्रमों को कमजोर करने का भी आरोप लगाया।

भाजपा के महेन्द्र भट्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि वह देश को ऊर्जा क्षेत्र में आगे बढ़ाने की कोशिशों में सकारात्मक योगदान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में निवेशकों को जोखिम से बचाने का प्रावधान किया गया है। भाजपा के संजय सेठ ने कहा कि भारत तेल रिफाइनिंग के क्षेत्र में चौथे स्थान पर है और इस विधेयक के लागू होने के बाद यह क्षमता और बढ़ेगी।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि भाजपा के नेता वर्ष 2014 के चुनाव प्रचार में डीजल 40 रूपये प्रति लीटर और पेट्रोल 50 रूपये प्रति लीटर करने की बात कर मतदाताओं को लुभा रहे थे। उन्होंने कहा कि अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद सरकार ने इसका फायदा आम लोगों तक नहीं पहुंचाया। उन्होंने कहा कि सरकार निवेशकों के हितों की रक्षा करने की तो बात कह रही है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफा कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए कुछ नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संघीय व्यवस्था के भी खिलाफ है।Full View

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