स्कूलों के लिए शिक्षा मंत्रालय ने जारी किया SOP
मुझे उम्मीद है कि राज्य इस एसओपी का अच्छे से पालन करेंगे और किसी को भी जबरदस्ती स्कूल नहीं बुलाया जाएगा।
नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग ने स्कूलों को खोले जाने को लेकर एक मानक संचालन प्रक्रिया ( एसओपी) तैयार की है जिसके तहत स्वास्थ्य, सफ़ाई और सुरक्षा के साथ साथ में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए पढ़ने-पढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने ज़ोर देते हुए कहा, 'मुझे उम्मीद है कि राज्य इस एसओपी का अच्छे से पालन करेंगे और किसी को भी जबरदस्ती स्कूल नहीं बुलाया जाएगा।
मंत्रालय की ओर से जारी एसओपी के अनुसार, 'स्कूलों को खोलने के पहले इसके हर हिस्से को अच्छे से साफ़ और सैनिटाइज़ करना है। हाथ धोने और डिसइंफ़ेक्शन का प्रबंध करना है। बच्चों के बैठने का प्लान बनाने से लेकर सुरक्षित परिवहन प्लान, कक्षाओं के बीच समय के खासे अंतर का प्लान, प्रवेश और निकास के बिंदुओं पर भी सुरक्षा के तमाम प्रबंध, हॉस्टलों में सुरक्षित रहन-सहन का प्रबंध पर भी ज़ोर दिया गया है।
एसओपी में छह फ़ीट की सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की बात कही गई है। कक्षा, लैबेरेट्री और खेल-कूद से जुड़े इलाकों में सभी को हमेशा मास्क पहनना पड़ेगा। बार-बार हाथ धोने और अन्य शिष्टाचार का पालन करने को भी कहा गया है।
इसके मुताबिक बिना परिजनों की लिखित अनुमति के बच्चे स्कूल नहीं जा सकेंगे। अनलॉक 5 की गाइडलाइन के मुताबिक एसओपी में भी अटेंडेंस में लचीलेपन की बात को शामिल किया गया है। अगर छात्र चाहें तो वो स्कूल जाने के बजाए अनलाइन क्लास का विकल्प चुन सकते हैं। मिड डे मील तैयार करने और इसे परोसने को लेकर भी एसओपी में सावधानियां बरतने बातें कही गई हैं। इसके दूसरे हिस्से में पढ़ाई से मिली सीख के परिणामों पर ज़ोर देते हुए पढ़ने-पढ़ाने और मूल्याकंन पर ग़ौर किया गया है।
स्कूलों से एनसीईआरटी के वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर का पालन करने को कहा गया है। मूल्याकंन के दौरान पेन पेपर टेस्ट की जगह सीख आधारित मूल्याकंन के लिए अलग-अलग फॉर्मेट अपनाने पर ज़ोर दिया है। स्कूल खुलने के दो से तीन हफ़्ते बाद तक तुरंत किसी तरह के मूल्याकंन की अनुमति नहीं होगी। ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने को भी कहा गया है। मनोदर्पण से उल्लेख करते हुए एसओपी में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गाइडलाइन भी दी गई है।
इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों, स्कूलों के प्रमुखों, शिक्षकों और परिजनों की भूमिका और ज़िम्मेदारियों के बारे में भी बताया गया है। कोरोना वायरस को फ़ैलने से रोकने के लिए यूनिसेफ़ की गाइडलाइन के आधार पर एसओपी में स्कूल में सुरक्षित वातावरण के लिए एक चेक लिस्ट भी शामिल की गई है।