इन माध्यमों से बडे़ बच्चों को पुर्नवासित किये जाने हेतु की गई चर्चा

फोस्टर केयर के माध्यम से बडे़ बच्चों के पुनर्वास को सकारात्मक बनाने पर विचार-विमर्श किया गया।

Update: 2024-11-21 15:10 GMT

लखनऊ। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वाधान में महिला एवं बाल विकास विभाग उ0प्र0 द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाये जाने वाले राष्ट्रीय दत्तकग्रहण जागरूकता माह‘‘ के अंतर्गत प्रदेशव्यापी कान्क्लेव- 2024 का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया गया। कान्क्लेव दत्तकग्रहण तथा फोस्टर केयर के माध्यम से बडे़ बच्चों को पुनर्वासन के थीम पर आधारित था। कान्क्लेव के माध्यम से प्रदेश में दत्तकग्रहण तथा फोस्टर केयर के माध्यम से बडे़ बच्चों के पुनर्वास को सकारात्मक बनाने पर विचार-विमर्श किया गया।

कान्क्लेव में राज्य मंत्री, महिला एवं बाल विकास, भारत सरकार, सावित्री ठाकुर, मंत्री, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, उ0प्र0, बेबी रानी मौर्या, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग, उ0प्र0 बबीता सिंह चौहान तथा उपाध्यक्ष, राज्य महिला आयोग, उ0प्र0 अपर्णा यादव मुख्य रूप से उपस्थित रहीं।

कान्क्लेव के दौरान सावित्री ठाकुर ने कहा कि आज, ब्।त्। के दत्तक-ग्रहण जागरूकता अभियान 2024 के अंतर्गत हम 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के पालन-पोषण विषय पर वार्षिक कॉनक्लेव का आयोजन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता से राजधानी लखनऊ में हमारे हितधारक और माता-पिता एकत्रित हुए हैं। यहाँ हम दत्तक परिवारों से चर्चा कर बच्चों को गोद लेने के उनके अनुभवों के बारे में जान रहे हैं, वहीं हम अपने हितधारकों के साथ कानूनी दत्तक-ग्रहण की सभी प्रक्रियाओं पर परिचर्चा कर रहे हैं। उन्होंनें कहा कि इस बार हमारे पूरे अभियान का थीम “फॉस्टर केयर और फोस्टर अडॉप्शन के ज़रिए बड़ी उम्र के बच्चों का पुनर्वास” है। 6 साल से अधिक उम्र के बच्चे जिनका अडॉप्शन आसानी से नहीं हो रहा, उनके लिए हमारे सिस्टम में फोस्टर केयर का एक विकल्प मौजूद है। इस विकल्प के ज़रिए ‘नो विज़िटेशन’ और ‘अनफ़िट गार्डियन्स/पेरेंट्स’ की श्रेणी के अंतर्गत आने वाले बच्चों को अस्थायी पारिवारिक देखरेख प्रदान की जाती है।

इस दौरान मौजूद मंत्री बेबी रानी मौर्या ने अपने संबोधन में कहा कि बाल संरक्षण उत्तर प्रदेश सरकार के लिए प्राथमिकता का विषय रहा है। प्रदेश सरकार बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण और कल्याण में अग्रणी भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान ने बच्चों को सभी प्रकार के दुर्व्यवहार और शोषण से बचाने तथा उनके सर्वाेत्तम हितों को सुरक्षित करने के लिए कई प्रावधान किए हैं और ’कर्तव्य-वाहक’ के रूप में हम बड़े पैमाने पर उनकी देखभाल, सुरक्षा और कल्याण के लिए जिम्मेदार हैं। यद्यपि प्रगतिशील कानूनों के होने के बावजूद, इनके कार्यान्वयन में हमें अभी बहुत प्रयास करने हैं। उन्होने राष्ट्रीय दत्तकग्रहण जागरूकता माह को इस वर्ष उत्तर प्रदेश में कान्क्लेव के माध्यम से मनायें जाने पर खुशी जताई तथा कहा कि मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विशवास है कि इससे प्रदेश में दत्तकग्रहण तथा फॉस्टर केयर के आयामों को अतिरिक्त गति से क्रियान्वित किये जाने हेतु बल मिलेगा। महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता सिंह चौहान ने कहा बच्चा दत्तकग्रहण के माध्यम से एक परिचित वातावरण में रहे और भाषाई या सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर बड़ी चुनौतियाँ ना पेश करे, यह आवश्यक है।

दत्तकग्रहण तथा फोस्टर केयरः उल्लेखनीय है कि किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों तथा देश में गोद दिये जाने की कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने हेतु अधिकृत केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) द्वारा वर्ष 2022 में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार देश में गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन किया जाता है। जिसके अंतर्गत किसी भी बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेने हेतु ब्।त्प्छळै वेबसाइट के माध्यम से आवेदन किये जाते हैं। ऐसा करने से आपको भारत में किसी बच्चे को कानूनी रूप से गोद लिये जाने की पूरी प्रक्रिया हेतु पोर्टल के माध्यम से निर्देशित किया जाता रहेगा। यदि आप उत्तर प्रदेश से हैं, तो पड़ोसी राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश या फिर उत्तराखंड का भी बच्चा आपको रेफर हो सकता है। बच्चा एक परिचित वातावरण में रहे और भाषाई या सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर बड़ी चुनौतियाँ ना पेश करे, यह आवश्यक है। कई बार सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसे भ्रामक प्रचार देखें हैं, जिनमें बच्चों को गोद देने की पेशकश की गई है, यह गैर कानूनी है, देश में कानूनी रूप से बच्चों को गोद लेने हेतु ब्।त्। द्वारा निर्धारित नियमों का पालन किया जाना आवश्यक हैं। यह इसलिये आवश्यक है कि ऐसा करने से बच्चे को जैविक परिवार की संतान होने के सभी अधिकार प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही अब देश में दिव्यांग या बडे़ बच्चों को त्वरित गोद दिये जाने हेतु रिलेटिव एडॉप्शन तथा इम्मिडियेट एडॉप्शन जैसे विकल्प खुले हैं।

इसके अतिरिक्त, जैविक परिवार न होने पर 18 वर्ष आयु तक किसी बच्चे के सर्वाेत्तम हित को देखते हुये उसे पारिवारिक वातावरण में देखरेख और संरक्षण प्रदान करने के उदद्ेश्य से वैकल्पिक परिवार में पुर्नवासित करने हेतु अल्पावधि या विस्तारित अवधि फॉस्टर केयर का भी प्रावधान है। जनपद स्तर पर बाल कल्याण समिति द्वारा फॉस्टर केयर की अवधि को तब तक बढ़ाया जा सकता है जब तक बच्चा 18 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेता। इस अवसर पर प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उ0प्र0 शासन, लीना जौहरी,ने विभागीय गतिविधियों की विस्तार से जानकारी प्रदान की।

कान्क्लेव में सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार, अनिल मलिक, संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार, प्रीती पन्त, सदस्य सचिव, कारा, भावना सक्सेना सहित प्रदेश में गठित बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व सदस्य, चिकित्सा विभाग के पदाधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के पदाधिकारी, यूनिसेफ, चाइल्ड हेल्प लाइन, जिला बाल संरक्षण इकाई, देखरेख संस्थाओं तथा विशेषिकृत दत्तक ग्रहण अभिकरणों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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