विश्व की सबसे लंबी रोड टनल तैयार, PM मोदी करेंगे शुभारंभ

हिमाचल प्रदेश के लाहौल से विधायक रामलाल मार्कंडेय ने इस पर कहा कि पीएम मोदी के आने की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है।

Update: 2020-09-21 09:16 GMT

नई दिल्ली समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व की सबसे लंबी रोड टनल बनकर तैयार है। खबर है कि 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शुभारंभ करेंगे।

हिमाचल प्रदेश के लाहौल से विधायक रामलाल मार्कंडेय ने इस पर कहा कि पीएम मोदी के आने की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है। इसे बनाने में दस वर्ष लग गए। परंतु अब लद्दाख इससे सालभर पूरी तरह से जुड़ा रहेगा। अटल रोहतांग टनल से मनाली से लेह के बीच लगभग 46 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। इस टनल का नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपयी के नाम पर किया गया है।

10,171 फीट की ऊंचाई पर बने इस अटल रोहतांग टनल को रोहतांग पास से जोड़कर बनाया गया है। यह दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे लंबी रोड टनल है। करीब 8.8 किलोमीटर लंबी यह टनल 10 मीटर चौ़ड़ी है। मनाली से लेह तक अब करीब 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई। आप यह दूरी अब मात्र 10 मिनट में पूरी कर सकते हैं।

मनाली से लेह रोड पर चार टनल और प्रस्तावित है। माना यह जा रहा है कि सितंबर के अंत तक या अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शुभारंभ करेंगे। यह टनल हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति में भी यातायात को आसान कर देगी। यह टनल कुल्लू जिले के मनाली से लाहौ़ल-स्पिति जिले को भी जोड़ेगी।

अटल रोहतांग टनल बनने से सबसे अधिक फायदा लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिकों को मिलेगा। क्योंकि इस टनल के माध्यम से सर्दियों में भी हथियारों और रसद की आपूर्ति सुगमतापूर्वक हो सकेगी। सिर्फ जोजिला पास ही नहीं बल्कि अब इस रोड से भी सैनिकों को सामान की प्राप्ति हो सकेगी।

अटल रोहतांग टनल के अंदर कोई भी वाहन अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेगा। इसे बनाने की शुरूआत 28 जून 2010 को की गई थी। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने अटल रोहतांग टनल को बनाया है। यह टनल घोड़े के नाल की आकृति जैसी बनाई गई है।

इस टनल को बनाने में काफी मशक्कत की गई है क्योंकि सर्दियों में यहां कार्य करना बहुत ही कठिन हो जाता था। सर्दियों में यहां का तापमान -30 डिग्री तक चला जाता था। टनल को बनाने में 8 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर और मिट्टी निकाली गई है। गर्मियों के दौरान में यहां पर पांच मीटर प्रति दिन खुदाई होती थी। लेकिन सर्दियों में यह घटकर आधा मीटर हो जाती थी।

टनल का डिजाइन ऐसे तैयार किया गया है कि इसके अंदर एक बार में 3000 कारें या 1500 ट्रक एकसाथ निकल सकते हैं। टनल को बनाने में करीब 4 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। टनल के अंदर हाई टेक्नोलॉजी ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मैथड का प्रयोग किया गया है। वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियाई टेक्नीक पर आधारित है।

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