नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में 13वें सीओपी सम्मेलन का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 13वें सीओपी सम्मेलन का उद्घाटन किया।;
गांधीनगर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गांधीनगर में वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 13वें सीओपी सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया के सर्वाधिक विविधताओं से भरे देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि दुनिया के 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र के साथ, भारत ज्ञात वैश्विक जैव विविधता में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान करता है। प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि युगों तक, वन्यजीवों और उनके पर्यावास का संरक्षण भारत के ऐसे सांस्कृतिक लोकाचार का हिस्सा रहा है, जो करुणा और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा, "गांधी जी से प्रेरणा लेकर अहिंसा तथा जीवों एवं प्रकृति के संरक्षण के सिद्धांत को देश के संविधान में उपयुक्त स्थान दिया गया है जो कई कानूनों और विधानों में परिलक्षित है।''
प्रधानमंत्री ने भारत के वन क्षेत्रों में वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि यह वर्तमान में देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.67 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि किस तरह से भारत संरक्षण, सतत जीवन शैली और हरित विकास के मॉडल के माध्यम से "जलवायु परिवर्तन" की समस्या से निपटने की दिशा में सबसे आगे बढ़कर काम कर रहा है। इस संदर्भ में, उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्ट शहरों और जल संरक्षण को देश में प्रोत्साहन दिए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत उन कुछ देशों में से एक है, जहां तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि किस तरह से कुछ विशेष प्रजातियों के संरक्षण के लिए चलाए गए कार्यक्रमों के उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा, "भारत ने 2022 की तय तारीख से दो साल पहले ही 2010 में बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। देश में 2010 में बाघों की संख्या 1411 से बढ़कर 2967 हो चुकी थी"। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित ऐसे देशों से जहां बाघ बहुलता में पाए जाते हैं, अनुरोध किया कि वे तय मानक प्रथाओं को साझा करने के माध्यम से बाघ संरक्षण के प्रयासों को मजबूत बनाएं। उन्होंने एशियाई हाथियों के संरक्षण के लिए भारत द्वारा की गई पहल का भी उल्लेख किया। उन्होंने हिम तेंदुए, एशियाई शेर, एक सींग वाले गैंडों और सोन चिरैया जैसी संकटापन्न वन्यजीव प्रजातियों की रक्षा के लिए देश में किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि गिबी को सम्मेलन का शुभंकर बनाकर सोन चिरैया के महत्व को दर्शाया गया है।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन का प्रतीक चिन्ह दक्षिण भारत की पारंपरिक कला - कोलम से प्रेरित है, जिसका प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने के संदर्भ में गहरा महत्व है। उन्होंने कहा कि "अतिथि देवो भव" के मंत्र को सम्मेलन की विषय-वस्तु " प्रवासी प्रजातियां ग्रह को जोड़ती हैं और हम उनका अपने यहां स्वागत करते हैं।" में परिलक्षित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने आगामी तीन वर्षों के लिए इस सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए भारत के कुछ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया।
भारत को प्रवासी पक्षियों के लिए मध्य एशियाई क्षेत्र के प्रमुख मार्ग के एक हिस्से के रूप में देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मार्ग से गुजरने वाले प्रवासी पक्षियों और उनके पर्यावास को संरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने एक प्रवासी पक्षी सरंक्षण राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाई है और इस संदर्भ में अन्य देशों को भी ऐसी कार्ययोजना बनाने में मदद करने का इरादा रखता है। उन्होंने कहा कि भारत मध्य एशियाई फ्लाईअवे क्षेत्र वाले देशों के सक्रिय सहयोग से प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को एक नए प्रतिमान पर ले जाना चाहता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आसियान देश और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से जुड़े देशों के साथ अपने सहयोग को मजबूत करने का इरादा रखता है। उन्होंने कहा कि यह आईपीओआई पहल के अनुरूप होगा जिसमें नेतृत्व की भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि देश में 2020 तक, समुद्री कछुओं की प्रजातियों के संरक्षण की नीति तथा समुद्री प्रबंधन की नीति लागू कर दी जाएगी। समुद्री स्ट्रैंडिंग प्रबंधन नीति शुरू करेगा, प्रधानमंत्री ने जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे समुद्रों में प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एकल उपयोग प्लास्टिक पर्यावरण संरक्षण के लिए एक चुनौती है और हम भारत में इसके उपयोग को कम करने के लिए एक मिशन मोड पर हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के कई संरक्षित क्षेत्र पड़ोसी देशों के संरक्षित क्षेत्रों के साथ सीमाएं साझा करते हैं। ऐसे में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सरंक्षित क्षेत्र बनाए जाने की दिशा में प्रयास काफी सकारात्मक होंगे। सतत विकास के बारे में सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के लिए अनुकूल संरचना विकास की नीति दिशा-निर्देश जारी करने का हवाला दिया।
प्रधानमंत्री ने बताया कि किस तरह, "सबका साथ, सबका विकास" की भावना से, देश में वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लाखों लोगों को संयुक्त वानिकी प्रबंधन समितियों और पर्यावरण विकास समितियों के रूप में एकसाथ लाया गया है और इसे वन और वन्यजीवों के संरक्षण से भी जोड़ा गया है।
Addressing a convention on Conservation of Migratory Species. https://t.co/gAKRKIcxro
— Narendra Modi (@narendramodi) February 17, 2020
गुजरात के गांधीनगर में प्रवासी प्रजातियों पर 13वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज - सीओपी सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ
प्रिय मित्रों!
महात्मा गांधी की भूमि पर प्रवासी प्रजातियों के 13वें सीओपी सम्मेलन में आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है।
भारत दुनिया के सर्वाधिक विविधताओं से भरे देशों में से एक है। दुनिया के 2.4 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र के साथ, भारत ज्ञात वैश्विक जैव विविधता में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान करता है। भारत विभिन्न तरह के पारिस्थितिकी पर्यावास के मामले में समृद्ध है और यहां जैव विविधता वाले चार प्रमुख क्षेत्र हैं। इनमें पूर्वी हिमालय, पश्चिमी घाट, भारत-म्यांमार परिदृश्य और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। इसके अलावा, भारत दुनियाभर से आने वाले प्रवासी पक्षियों की लगभग 500 प्रजातियों का आवास भी है।
देवियों और सज्जनों,
सदियों से वन्यजीवों और उनके पर्यावास का संरक्षण भारत के सांस्कृतिक लोकाचार का हिस्सा रहा है, जो करुणा और सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित करता है। हमारे वेदों में वन्यजीवों के संरक्षण की बात की गई है। सम्राट अशोक ने वनों को नष्ट होने से बचाने और वन्यजीवों की हत्या को रोकने पर बहुत जोर दिया था। "गांधी जी से प्रेरणा लेकर अहिंसा तथा जीवों एवं प्रकृति के संरक्षण के सिद्धांत को देश के संविधान में उपयुक्त स्थान दिया गया है जो कई कानूनों और विधानों में परिलक्षित है।''
कई वर्षों तक किए गए सतत प्रयासों के उत्साहवर्धक परिणाम मिले हैं। संरक्षित क्षेत्रों की संख्या 2014 के 745 से बढ़कर 2019 में 870 पर पहुंच गई है और इसका दायरा करीब 1 लाख 70 हजार वर्गकिलोमीटर तक हो गया है।
भारत के वनाच्छादित क्षेत्र में भी खासी वृद्धि हुई है। मौजूदा आकलन भी इस बात का संकेत हैं कि देश में वनाच्छादित क्षेत्र का दायरा देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.67 प्रतिशत हो गया है।
भारत संरक्षण, सतत जीवन-शैली और हरित विकास मॉडल के आधार पर जलवायु अभियान का नेतृत्व कर रहा है। हमारी ओर इस दिशा में की जा रही पहलों में 450 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, स्मार्ट शहर बनाना तथा जल संरक्षण आदि शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना संघ और स्वीडन के साथ औद्योगिक बदलाव के लिए अगुवाई जैसे कार्यों में बड़ी संख्या में देशों की ओर से उत्साहजनक भागीदारी देखने को मिली है। भारत उन कुछ देशों में से है, जहां तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप काम किया जा रहा है।
मित्रों!
भारत ने प्रजाति संरक्षण परियोजनाओं/कार्यक्रमों पर ध्यान केन्द्रित करना शुरू कर दिया है। इसके बेहतरीन नतीजे निकले हैं। अपने शुरुआती दौर की संख्या 9 से बढ़कर बाघ अभयारण्यों की संख्या 50 तक पहुंच गई है। इस समय भारत में बाघों की तादात 2970 है। भारत ने बाघों की संख्या दोगुनी करने के अपने लक्ष्य को निर्धारित तिथि 2022 से दो वर्ष पहले ही पूरा कर लिया है। मैं यहां उपस्थित बाघ श्रृंखला देशों और अन्य लोगों का आह्वान करता हूं कि वे अपने अभूतपूर्व प्रयासों को साझा करने के जरिए बाघ संरक्षण को मजबूती देने के लिए एकसाथ आगे आएं।
भारत वैश्विक एशियाई हाथी की संख्या के 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से का समर्थन करता है। हमारे राज्यों ने 30 हाथी अभयारण्यों की पहचान की है। भारत ने एशियाई हाथियों के संरक्षण के लिए मानक स्थापित किए हैं और अनेक कदम उठाए हैं।
हमने ऊपरी हिमालय क्षेत्र में हिम तेंदुओं और उनके प्राकृतिक वास के संरक्षण के लिए हिम तेंदुआ परियोजना (प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड) की शुरुआत की है। भारत ने अभी हाल में 12 देशों के वैश्विक हिम तेंदुआ ईको-प्रणाली की संचालन समिति की मेजबानी की थी। इस अवसर पर नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया गया था, जिसमें हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए विभिन्न देशों के बीच देश आधारित फ्रेमवर्क के विकास की बात कही गई थी। मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि भारत जन भागीदारी के साथ पर्वतीय पारिस्थितिकी के संरक्षण सहित हरित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
मित्रों,
गुजरात का गिर क्षेत्र एशियाई शेरों का एकमात्र घर है और हमारे देश का गौरव है। हम एशियाई शेरों के संरक्षण के लिए 2019 से एशियाई शेर संरक्षण परियोजना चला रहे हैं। मुझे बताने में खुशी हो रही है कि आज एशियाई शेरों की संख्या 523 हो गई है।
भारत में एकसिंगी गैंडा असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में पाया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2019 में 'भारतीय एकसिंगी गैंडे के लिए राष्ट्रीय संरक्षण रणनीति' की शुरुआत की है।
लुप्तप्राय पक्षी 'ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' के संरक्षण के लिए भी भरपूर प्रयास किये जा रहे हैं। प्रजनन कार्यक्रम के अंग के रूप में इस चिडिया के नौ अंडों से सफलतापूर्वक बच्चों का जन्म कराया गया है। यह उपलब्धि अबूधाबी के हौबारा अभयारण्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय निधि द्वारा तकनीकी सहायता के जरिए भारतीय वैज्ञानिकों और वन विभाग ने हासिल की है।
हमने, इस तरह 'ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' को महत्व देते हुए 'जीआईबीआई-द ग्रेट' शुभंकर की रचना की है।
मित्रों,
भारत प्रवासी प्रजातियों पर गांधीनगर में संयुक्त राष्ट्र समझौते के पक्षकारों के 13वें सम्मेलन की मेजबानी कर सम्मानित हुआ है।
जैसा कि आपने देखा होगा सीएमएस सीओपी13 का लोगो दक्षिण भारत के परम्परागत 'कोलम' से प्रेरित है। इसका प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहने में प्रगाढ़ महत्व है।
मित्रों,
हम पारम्परिक रूप से 'अतिथि देवो भव' के मंत्र को व्यवहार में लाते है। यह सीएमएस सीओपी13 के लिए नारा/विषय में झलकता है। प्रवासी प्रजातियां ग्रह को जोड़ती हैं और हम एक साथ घर आने पर उनका स्वागत करते है। ये प्रजातियां बगैर पासपोर्ट और वीजा के अनेक देशों में घूमती है, लेकिन ये प्रजातियां शांति और समृद्धि का संदेशवाहक हैं और उनकी रक्षा करना हमारा दायित्व है।
देवियों और सज्जनों,
भारत अगले तीन वर्षों के लिए समझौते की अध्यक्षता करेगा। अपने कार्यकाल के दौरान भारत निम्नलिखित क्षेत्रों में तेजी से कार्य करेगा।
भारत प्रवासी पक्षियों के लिए मध्य-एशिया उड़ान मार्ग का हिस्सा है। मध्य-एशियाई उड़ान मार्ग और पक्षियों के रहने के स्थलों की रक्षा करने के लिए भारत ने मध्य-एशियाई उड़ान मार्ग में प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है। भारत इस संबंध में अन्य देशों की कार्य योजना की तैयारी में सहायक बनकर प्रसन्न होगा। हम प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को सभी एशियाई उड़ान मार्ग क्षेत्र के देशों के सक्रिय सहयोग से नया स्वरूप देने के इच्छुक है। मैं एक साझा प्लेटफॉर्म बनाकर शोध, अध्ययन, मूल्यांकन, क्षमता, विकास तथा संरक्षण कार्यक्रमों को चलाने के लिए संस्थागत व्यवस्था बनाना भी चाहता हूं।
मित्रों, भारत का समुद्र तट 7500 किलोमीटर का है और भारत का समुद्री जल जैव विविधता में सम्पन्न है और इसमें असंख्य प्रजातियां है। भारत, आसियान तथा पूर्वी एशिया सम्मेलन के देशों के साथ सहयोग मजबूत बनाने का प्रस्ताव करता है। यह भारत-प्रशांत समुद्री पहल (आईपीओआई) के अनुरूप होगा, जिसमें भारत अग्रणी भूमिका निभाएगा। भारत 2020 तक समुद्री कछुआ नीति और समुद्री प्रबंधन नीति लॉन्च करेगा। इससे माइक्रो प्लास्टिक से उत्पन्न प्रदूषण की समस्या से भी निपटा जाएगा। एकल उपयोग प्लास्टिक पर्यावरण संरक्षण के लिए चुनौती है और भारत इसके उपयोग में कमी लाने के लिए मिशन मोड में है।
मित्रों,
भारत में अनेक संरक्षित क्षेत्रों की सीमाएं और पड़ोसी देशों के संरक्षित क्षेत्रों की सीमाएं आपस में जुड़ती हैं। 'सीमा पार संरक्षित क्षेत्रों' की स्थापना के जरिए वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोग से अत्यंत सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे।
मित्रों,
मेरी सरकार सतत विकास के मार्ग पर दृढ़तापूर्वक भरोसा करती है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर ही विकास हो। हमने पारिस्थितिकी दृष्टि से कमजोर क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित करने के लिए रेखीय अवसंरचना नीति से जुड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
भावी पीढि़यों हेतु प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए लोगों को अहम हितधारक बनाया जा रहा है। मेरी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के सूत्र-वाक्य के साथ आगे बढ़ती रही है। देश में वन क्षेत्र के आसपास बसे लाखों लोगों को अब संयुक्त वानिकी प्रबंधन समितियों एवं पारिस्थितिकी विकास समितियों के रूप में एकीकृत कर दिया गया है और वन एवं वन्य जीव के संरक्षण के साथ संबद्ध कर दिया गया है।
मित्रों,
मुझे पूरा भरोसा है कि यह सम्मेलन प्रजाति एवं पर्यावास संरक्षण के क्षेत्र में अनुभवों को साझा करने और क्षमता निर्माण के लिए एक उत्कृष्ट प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा। मुझे यह भी उम्मीद है कि आपको भारत के आतिथ्य एवं समृद्ध विविधता का अद्भुत अनुभव प्राप्त करने का समय मिलेगा।
धन्यवाद।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।