उपचुनावों में भी कमलनाथ पर भरोसा
कमलनाथ के करीबी हेमंत कटारे को मिला टिकट।, मुरैना व मेहगांव सीट को लेकर चल रहा तनाव।
भोपाल। मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर सरगरमी तेज हो गई है। कांग्रेस ने 6 अक्टूबर को उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की है जिसको देखकर लगता है कि कमलनाथ पर ही भरोसा किया गया है। कांग्रेस प्रेसिडिंट सोनिया गांधी ने उम्मीदवारों के दो नामों पर मुहर लगा दी है।
कांग्रेस ने चार सीटों मुरैना, मेह गांव, मलहार और बाड़नवार सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर लिये हैं। मुरैना सीट पर कांग्रेस ने राकेश मालवीय पर दांव खेला है, तो वहीं मेह गांव से हेमंत कटारे, मलहार से राम सिया भारती और बाड़नवार से कमल पटेल को टिकट दिया गया है।इसे कमलनाथ का ही समीकरण काम करता दिखाई दे रहा है। बड़ा मलहरा सीट पर कांग्रेस ने कथावाचक राम सिया भारती को उम्मीदवार घोषित किया तो वहीं मेह गांव सीट पर डॉ. गोविंद सिंह की जगह कमलनाथ के करीबी माने जाने वाले हेमंत कटारे को टिकट दिया गया है। इस प्रकार चैधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और दिनेश गुर्जर की दावेदारी खत्म हो गई है। अपने बेबाक बयानों के कारण कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने वाले डॉक्टर गोविंद सिंह ने एक बार फिर पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि पार्टी के अंदर लोकतंत्र नहीं है। डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि कई सालों से देख रहा हूं कि कभी चुनाव समिति की बैठक होती ही नहीं है। पार्टी के मुद्दों को लेकर किसी बैठक में बड़े फैसले नहीं होते। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पास ही सभी तरीके के अधिकार होते हैं और वही अपने स्तर पर फैसला लेते हैं। दरअसल कांग्रेस पार्टी के अंदर 28 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर घमासान मचा हुआ है। सबसे ज्यादा मुश्किल मुरैना और मेहगांव सीट को लेकर है। बताया जा रहा है कि मेहगांव सीट से डॉक्टर गोविंद सिंह के भांजे राहुल सिंह की दावेदारी के कारण सीट पर फैसला नहीं हो पा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ यह साफ कर चुके हैं कि निजी एजेंसी से कराए गए सर्वे के आधार पर ही जिताऊ उम्मीदवार को चुनाव में टिकट दिया जा रहा है और पार्टी की इस नई व्यवस्था पर ही डॉक्टर गोविंद सिंह ने आपत्ति जता दी है।
डॉक्टर गोविंद सिंह ने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया के लिए हुए सर्वे की रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए हैं। डॉक्टर गोविंद सिंह के मुताबिक उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी के कराए गए सर्वे औपचारिक हैं, जबकि इसमें स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं की राय ली जाना चाहिए। भाजपा ने इस मामले को लेकर अपना जाल फेंक दिया है और कांग्रेस की अन्तर्कलह का वो लाभ उठा सकती है।
बहरहाल, ग्वालियर चंबल की 16 सीटों के उपचुनाव से पहले डॉक्टर गोविंद सिंह की यह नाराजगी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करती हुई नजर आ रही हैं। पार्टी के फैसलों को लेकर मुखर रहने वाले डॉक्टर गोविंद सिंह ने पार्टी की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर पूरी पार्टी को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
वहीं, मध्यप्रदेश में उपचुनाव को लेकर भाजपा ने अपने प्लान बी पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत बूथ लेवल पर वोटर लिस्ट के पन्ने पर दो कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। पहले एक पन्ने पर एक पन्ना प्रमुख की नियुक्ति की गई थी। मतदाता सूची के पन्नों के आधार पर एक पन्ने पर बीजेपी के 2 कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। ये कार्यकर्ता पन्ने में दर्ज मतदाताओं को सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे। बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया कि बूथ स्तर पर हमारा एक-एक कार्यकर्ता तैयार है। बीजेपी सरकार की 6 महीने की उपलब्धियों और किए गए विकास कार्यों को एक-एक मतदाता तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। बीजेपी संगठन आधारित दल है और यहां पर एक-एक कार्यकर्ता काम करता है। इसलिए जमीनी स्तर पर हमारे कार्यकर्ता मतदाताओं तक पहुंचने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस टॉर्च लेकर प्रत्याशियों को ढूंढ रही है। ऐसे में उनके बूथ कहां से मजबूत होंगे। हम पूरी सीटें जीत रहे हैं। इस बीच पिछड़े वर्ग को भी खुश करने का प्रयास किया गया है। राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग की सभी अनुशंसाओं को लागू किया जाएगा। सूबे में उपचुनाव की हलचल के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने ये बड़ा ऐलान किया है। गत 6 अक्टूबर को पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में सीएम शिवराज सिंह चैहान शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान सीएम शिवराज ने ये बड़ा ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने कहा, सरकार के मुखिया के नाते मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग जो अनुशंसा करेगा वो सारी अनुशंसाएं लागू की जाएंगी। साथ ही सीएम शिवराज ने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस केवल गरीबों और किसानों के नाम पर राजनीति करना जानती है, उनके कल्याण के काम नहीं। मध्य प्रदेश सरकार बाढ़ और कीट के कारण खराब हुई फसल के नुकसान की भरपाई किसानों को करेगी।इस सिलसिले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने एक अहम बैठक की। इसमें सीएम ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ और कीट व्याधि से प्रभावित किसानों को हर हालत में पूरी सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी। प्रदेश को पर्याप्त सहायता राशि उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों से अनुरोध किया गया है। अनुमान के मुताबिक प्रदेश में बाढ़ और कीट व्याधि से लगभग 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें खराब हुई हैं। इनके लिए लगभग 4000 करोड़ रुपए का मुआवजा संभावित है। बीते साल प्रदेश में लगभग 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें खराब हुई थीं और किसानों को 2000 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया था।
राज्य में 28 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। भाजपा ने कांग्रेस का साथ छोड़कर आने वाले सभी विधायकों को टिकट दिया है जबकि शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री तुलसीराम सिलावट को सांवरे से मैदान में उतारा गया है। इसके अलावा अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह और पोहरी से सुरेश धाकड़ को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है।
इसी साल मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। फिर 23 मार्च को शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनी थी। यही नहीं, इसके बाद तीन और कांग्रेस विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके अलावा दो सीटें कांग्रेस के विधायकों के निधन से और एक सीट भाजपा विधायक के निधन के कारण खाली हुई है। अगर मध्य प्रदेश विधानसभा की मौजूदा स्थिति की बात करें तो कुल 230 सीटों में से वर्तमान में बीजेपी के 107, कांग्रेस के 88, चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक है। स्पष्ट है कि ये उपचुनाव कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बने हुए हैं और उसे बचाने का दायित्व कमलनाथ पर है। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)