आधे से अधिक परिवार अभी भी ठोस ईंधन से पकाते हैं खाना
देश में 85 प्रतिशत परिवाराें को यह सुविधा प्राप्त होने के बावजूद अभी भी देश के 54 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए
नयी दिल्ली। सरकार की उज्जवला योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों को मुफ्त में रसोई गैस (एलपीजी) कनेक्शन देने से देश में 85 प्रतिशत परिवाराें को यह सुविधा प्राप्त होने के बावजूद अभी भी देश के 54 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए पारंपरिक ठोस ईंधन (जलावन आदि) का उपयोग कर रहे हैं।
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ओर से आज जारी एक अध्ययन के अनुसार, 70 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय परिवार खाना पकाने के लिए प्राथमिक ईंधन के रूप में एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं जबकि 85 प्रतिशत परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन हैं। हालांकि, 54 प्रतिशत भारतीय परिवारों ने पारंपरिक ठोस ईंधनों का नियमित रूप से उपयोग जारी रखा है, फिर चाहे वह केवल ठोस ईंधनों का उपयोग हो या फिर एलपीजी के साथ अतिरिक्त ईंधन के रूप में। खाना पकाने के लिए लकड़ी, उपले, कृषि अवशेष, लकड़ी का कोयला (चारकोल) और केरोसिन जैसी पारंपरिक ठोस ईंधनों का उपयोग ऐसे परिवारों के लिए घरेलू वायु प्रदूषण का जोखिम बढ़ा देता है।
अध्ययन ने यह भी रेखांकित किया कि बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी कवरेज और खाना पकाने के लिए प्राथमिक ईंधन के रूप में इसके उपयोग में विशेष रूप से सुधार किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (उज्ज्वला) 2.0 का शुभारंभ किया था, जिसका उद्देश्य देश में एक करोड़ गरीब और प्रवासी परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराना है।
सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में पाया गया है कि केवल आधे ग्रामीण परिवारों को ही एलपीजी की होम डिलीवरी मिलती है इसलिए अध्ययन में ग्रामीण वितरकों को होम डिलीवरी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया गया है। सरकार उन्हें प्रति रिफिल ज्यादा कमीशन दे सकती है और कमीशन को कनेक्शन की सघनता से भी जोड़ सकती है। इसके अलावा, एलपीजी कार्यक्रम को व्यापक सामाजिक मूल्यांकन या ग्रामीण विकास कार्यक्रमों से जोड़ा जाना चाहिए। अंत में, सरकार को व्यावसायिक या औद्योगिक उपयोग के लिए बायोमास पैलेट्स और ब्रिकेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। यह बायोमास के लिए नया बाजार बना सकता है और उपभोक्ताओं को खाना पकाने की उनकी जरूरतें पूरी करने के लिए एलपीजी को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
वार्ता