कोरोना मरीजों का पीछा नहीं छोड़ रहा दुर्भाग्य

बीमारी एक अभिशाप है। यह जिसको होती है, उसका जीवन तो नर्कमय हो ही जाता है

Update: 2021-05-03 06:27 GMT

नई दिल्ली। बीमारी एक अभिशाप है। यह जिसको होती है, उसका जीवन तो नर्कमय हो ही जाता हैबीमारी एक अभिशाप है। यह जिसको होती है, उसका जीवन तो नर्कमय हो ही जाता है, उसके परिवार के लोग भी अपना सुखचैन खो देते हैं। कछ बीमारियां संक्रामक होती हैं और मरीज के पास तक जाने में लोग घबड़ाते हैं। कुश्ठ रोग पहले ऐसा ही था लेकिन बाद में पता चला कि ये संक्रामक नहीं है। छय रोग से ग्रस्त लोगों को भी घर से बाहरनिकाल दिया जाता था।

अस्पतालों में भी इनके लिए अलग वार्ड बनाया जाता था। इस बार चीन से कोरोना जैसी महाघातक छुआछूत की बीमारी आयी जिसने अपने सगे संबंधियों को भी पराया बना दिया है। इसपर दुर्भाग्य दर दुर्भाग्य पीछे पड़ा रहता है। हमारे देश के संवेदनाहीन और इंसानियत से गिरे हुए लोग ऐसे महासंकट के समय, जब पता नहीं कि अगले पल किस अपने की मौत की खबर आ जाए, भी चार पैसे कमाने के लिए दवाईयों और आक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी कर उनकी कालाबाजारी कर रहे हैं। इतना ही नहीं कोरोना के इलाज में कारगर पाये जा रहे इंजेक्शन रेमडेसिवीर की खाली वायल में पैरासिटामाल का घोल भरकर बेच रहे हैं। दुर्भाग्य इसके बाद भी पीछा नहीं छोड़ रहा है। कोविड अस्पतालों में आग लग जाती है। यह दैवी आपदा है लेकिन इसके पीछे मानवीय असावधानी भी है। कोरोना ने हम सभी को किंकर्तव्यविमूढ कर दिया है लेकिन कुछ दुर्भाग्यों से हम लड भी सकते हैं। ऐसी लडाइयां हमें लडना ही पड़ेंगी। गुजरात के भरूच में एक कोविड अस्पताल में आग लगने की खबर इन पंक्तियों के लिखे जाने के सयय मिली। आग की चपेट में आने से कम से कम 18 लोगों की मौत हो चुकी थी। इससे पहले महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी कोविड अस्पतालों में आग लगने से कई मरीजों की जान चली गयी। माना कि ये भी एक हादसा है लेकिन कोरोना जैसी महामारी के दौरान अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है।

गुजरात में आगजनी का ये हादसा भरूच के पटेल वेलफेयर अस्पताल में 30 अप्रैल की रात करीब साढ़े 12 बजे हुआ। पटेल वेलफेयर अस्पताल में कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए कोविड सेंटर बनाया गया है। इस प्रकार के कोविड सेन्टर देश भर के बड़े अस्पतालों में बने हुए हैं। भरूच में घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने काफी मशक्घ्कत के बाद आग पर काबू पाया। भरूच के एसपी राजेंद्र सिंह चुडासमा ने बताया कि आईसीयू वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण अस्पताल में आग लग गई। अस्पताल में आग लगने की सूचना पर तुरंत फायर ब्रिगेड की 10 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया लेकिन जब तक आग पर काबू पाया जाता और मरीजों को अस्पताल से बाहर निकाला जाता तब तक हादसे में 20 लोगों की मौत हो चुकी थी। मृतकों में 18 मरीज और 2 नर्स शामिल हैं। वहीं अन्य मृतकों के बारे में फिलहाल जानकारी नहीं मिल पाई है। जिस समय अस्घ्पताल में आग लगी, उस वक्घ्त वहां पर 58 मरीज भर्ती थे। मौके पर पहुंचे अधिकारियों का कहना था कि अस्पताल की जांच की जा रही है। मृतकों की संख्या बढ़ भी सकती है। बता दें अस्पताल में आग लगने के बाद वहां मौजूद मरीजों को किसी तरह से बाहर निकाला गया और नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया। आग इतनी भीषण थी कि इसकी चपेट में कई पेशेंट्स आ गए। प्रारंभिक जांच में लगता है कि आईसीयू वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी। कोरोना पेशेंट के लिए तो सबसे ज्यादा प्राण वायु आक्सीजन की जरूरत होती है। वहां इन सिलेंडर्स ने भी जान बचाने की जगह जान लेने में सहयोग किया। अस्पताल के स्टाफ को भी पूरी तरह दोष नहीं दिया जा सकता क्योंकि नर्सों ने भी इस अग्निकांड में अपने प्राणों की आहुति दी है। कोराना मरीजों की देखभाल करने वाले तो पीपीई किट पहने रहते हैं जो उलझन पैदा करती है। इसलिए जब आग फैल गयी, तभी लोगों ने देखा। आग लगते ही किसी की नजर पड जाती तो जनहानि को कम किया जा सकता था। आग बुझाने के संयंत्रों आदि को लेकर जांच के नतीजे ही बता पाएंगे। हालांकि, मुख्यमंत्री ने मुआवजे का एलान भी किया है लेकिन कुछ ऐसा भी होना चाहिए जिससे अस्पतालों में आगजनी की घटनाएं रोकी जा सकें।

हमारे देश में वैसे ही इस बार कोरोना से ज्यादा मौत हो रही हैं, उसके बाद अस्पतालों में आग लगने की घटना चिंता बढ़ाती है। अब तक देश में कोरोना काल में अस्पतालों में आग लगने की वारदातों पर नजर डालें तो चिंता होती है। महाराष्ट्र के अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 21 अप्रैल 2021 को ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे महाराष्ट्र के डा. जाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक लीक हुआ। इसे रोकने के लिए मरीजों को आक्सीजन की आपूर्ति कुछ समय के लिए रोक दी गई। 26 अप्रैल 2021 को गुजरात के सूरत मे आईसीयू में आग लग गई थी। आयुष अस्पताल की पांचवीं मंजिल पर स्थित आईसीयू में शॉर्ट-सर्किट के चलते आग लगी थी। हालांकि, आग लगने के बाद करीब 16 मरीजों को वहां से बचाकर अलग-अलग निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। बेहद गंभीर रूप से बीमार चार कोविड मरीजों की मौत हो गई थी। ये वह मरीज थे, जिन्हें एक निजी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में आग लगने के बाद शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र का मुंब्रा स्थित प्राइम अस्पताल भी आग की चपेट में आ गया जिसमें मरने वालों की संख्या चार बतायी गई थी। दमकल विभाग के अनुसार सबेरे पौने तीन बजे आग लगी थी। यह समय भी विशेश सतर्कता का है। बताया गया कि जिस समय आग लगी उस वक्त कुल 17 मरीज थे हालांकि वो कोविड अस्पताल नहीं है। इससे पूर्व महाराष्ट्र में विरार नगर निगम के वसई स्थित कोविड अस्पताल में पिछले हफ्ते आग लगने की भीषण घटना हुई थी। इस भीषण आग की चपेट में आने से अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कोरोना के 14 मरीजों के मौत हो गई थी।

आग विजय बल्लभ अस्पताल के आईसीयू में लगी थी। यहां से मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया था मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस घटना की जांच के आदेश दिए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की थी। इसी प्रकार मध्य मार्च में कोलकाता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल' में आग लग गईथी। दमकल विभाग के अधिकारियों ने बताया था कि किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की तीसरी मंजिल पर बने 'कोरोना वार्ड' में सबुह आठ बजकर एक मिनट पर आग लग गई और दमकल विभाग की तीन गाड़ियों को तुरन्त मौके पर भेजा गया। उन्होंने कहा आग पर जल्द ही काबू पा लिया गया। कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है और कोई हताहत भी नहीं हुआ है। हमारे कहने का आशय भी यही है कि आपदाओं को नियंत्रित करने के प्रयास होने चाहिए जैसा कि कोलकाता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटलमें किया गया और कोई जनहानि नहीं हो सकी। (हिफी)

Tags:    

Similar News