लखीमपुर खीरी हिंसा-सुप्रीम कोर्ट की योगी सरकार को फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है अब हम किसी दूसरी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को जांच की निगरानी करने के लिए नियुक्त करेंगे।

Update: 2021-11-08 11:49 GMT

नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए कहा है कि सरकार की ओर से दी गई रिपोर्ट में गवाहों से पूछताछ करने के अलावा कुछ और नहीं कहा गया है। सरकार की ओर से दी गई स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है। सरकार से जिस प्रकार की उम्मीद हमारे द्वारा की जा रही थी, वैसा कुछ भी सरकार की ओर से नहीं दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है अब हम किसी दूसरी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को जांच की निगरानी करने के लिए नियुक्त करेंगे।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर दिन रविवार को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर अपनी नाखुशी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा है कि केवल इस मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा का ही मोबाइल मिला है? बाकी आरोपियों के मोबाइल का क्या हुआ? उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि हमने 10 दिन का समय दिया था, लेकिन लैब की रिपोर्ट भी अभी तक नहीं आई है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा है कि हम लैब के साथ संपर्क कर रहे हैं। सीजेआई ने कहा कि सेल टावरों के माध्यम से आप पहचान कर सकते हैं कि घटना के दौरान क्षेत्र में कौन से मोबाइल एक्टिव थे। उन्होंने पूछा कि क्या अन्य आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि हमें यह कहते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा दिखाई दे रहा है कि एक विशेष आरोपी को दो एफआईआर को ओवरलैप करके लाभ दिया जा रहा है।

सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा है कि चश्मदीद गवाह है। इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यह आरोपी घटना स्थल पर थे। सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से साफ हो रहा है हमने बयान दर्ज करने के लिए गवाहों को बुलाया है। सीजेआई ने कहा कि आपको जांच करनी ही होगी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अब यह बात कही जा रही है कि इस मामले को लेकर दो एफआईआर दर्ज हैं। एक एफआईआर में जुटाए गए सबूत दूसरे में इस्तेमाल किए जाएंगे। एक आरोपी को बचाने के लिए दूसरी एफआईआर में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। सीजेआई ने कहा है कि दोनों एफआईआर की अलग-अलग जांच की जानी चाहिए। इस पर साल्वे ने कहा कि जांच अलग अलग ही हो रही है।

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