हापुड। उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार प्रयास कर रही है। जिसके चलते बच्चों को किताब, कापियां और ड्रेस के साथ दोपहर का खाना मुफ्त देने के साथ अन्य सुविधाएं दी मुहैया कराई जा रही हैं। लेकिन शिक्षा विभाग के कर्ता-धर्ता सरकार की पॉलिसी को पलीता लगाते हुए बच्चों को निरक्षर रखने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इसका खुलासा उस समय हुआ जब बीआरसी पर तैनात कर्मचारी बच्चों को देने के लिए सरकार की तरफ से आई किताबों को कबाड़ी की दुकान पर बेचता हुआ पकड़ा गया है।
दरअसल शासन की ओर से सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत स्कूल में पढ़ रहे कक्षा 4 से लेकर कक्षा 8 तक के छात्र छात्राओं के लिए किताबें भेजी गई थी। लेकिन शिक्षा विभाग के कर्ता-धर्ताओं ने इन किताबों को बच्चों को देने की बजाय उन्हे कबाड़ी की दुकान पर बेचकर रुपए अपनी गांठ में लगाने का इरादा बनाया।
योजनाबद्ध तरीके से बीआरसी गढ़मुक्तेश्वर पर तैनात कर्मचारी परवेज अहमद पुत्र मुस्ताक अहमद निवासी बरसाना थाना बहादुरगढ़ को बच्चों की शिक्षा के लिए आई किताबों को कबाड़ी की दुकान पर बेचने के लिए भेजा गया। उपलब्ध संसाधनों के जरिए किताबों को लेकर जब कर्मचारी कबाड़ी की दुकान पर पहुंचा तो थाना बहादुरगढ़ पुलिस को किसी ने बच्चों के हक पर डाले जा रहे इस डाके की जानकारी दे दी।
मामले की सूचना मिलते ही प्रभारी निरीक्षक आशीष कुमार के निर्देश पर उप निरीक्षक रामकिशोर अपने दल बल के साथ कबाड़ी की दुकान पर पहुंचे और वहां पर सरकार की ओर से बच्चों के लिए आई किताबों को बेच रहे परवेज अहमद को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने उस कार को भी अपने कब्जे में ले लिया है जिसमें यह किताबें लादकर कबाड़ी की दुकान तक ले जाई गई थी। नाबरिकोेें ने उस कबाडी को भी गिरफ्तार किये जाने की मांग उठाई है जिसने बच्चों के हक पर डाले जा रहे डाके में साझाीदार बनते हुए इन किताबों को खरीदने का सौदा किया था। नागरिकों का कहना है कि यदि पुलिस समय पर नही पहुंचती तो कबाडी इन किताबोें को किसी अन्य को बेचकर ठिकाने लगा देता।