हम हर जगह तैनात है, चीन हमसे पार हो सवाल ही नहीं उठता : एयर चीफ मार्शल

फ्रांस से मौजूदा सौदे के 36 विमानों के अलावा और राफेल विमान खरीदे जाने की संभावना पर उन्होंने कहा कि यह जटिल सवाल है।

Update: 2020-10-05 19:06 GMT

नई दिल्ली। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने आज कहा कि चीन की ओर से किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए वायु सेना ने हर जगह पर तैनाती कर रखी है और वह दो मोर्चों पर एक साथ निपटने के लिए भी पूरी तरह तैयार है।

एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने वायु सेना स्थापना दिवस आठ अक्टूबर से पहले आज यहां पारंपरिक वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में सवालाें के जवाब में कहा कि लद्दाख तो छोटा क्षेत्र है हमने हर जगह पर पूरी मजबूती के साथ तैनाती कर रखी है। उन्होंने कहा , " हमने पूरी तैयारी के साथ हर जगह तैनाती कर रखी है और सवाल नहीं उठता कि किसी भी टकराव की स्थिति में चीन हमसे पार पा सकता है। " पूर्वोत्तर के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वहां भी हमारी तैनाती तथा तैयारी दोनों है साथ ही वायु सेना के पास यह क्षमता है कि वह अपने विमानों तथा अन्य साजो सामान को जरूरत पड़ने पर तुंरत एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकती है।

उन्होंने कहा कि वायु सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है और उसमें दो मोर्चों पर एक साथ लड़ाई की स्थिति भी शामिल है। वायु सेना सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। एक सवाल के जवाब में वायु सेना प्रमुख ने कहा कि चीन की हरकत के बारे में सही तरीके से पहली बार मई में पता चला और उसके बाद हम तुरंत हरकर में आ गये। यह कहना गलत होगा कि हम चकित रह गये लेकिन हमें इसकी अपेक्षा नहीं थी। चीनी सेना सामान्य तौर पर इस समय पर अभ्यास करती है लेकिन इस बार उसने यह हरकत की। जैसे ही हमें इसका पता चला हमने तुरंत कदम उठाये। सेना की जो भी जरूरत थी जवानों को ले जाने की या अन्य साजो सामान पहुंचाने की वह तुरंत पूरी की गयी। इस बार किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी गयी। पहले कभी इतनी फुर्ती से काम नहीं हुआ।

वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि जहां तक चीन के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित स्कार्दू एयर बेस का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने की बात है यह विकल्प खुला होने की तरह है। यदि चीन स्कार्दू का इस्तेमाल करता है तो यह मिलीभगत पर आधारित खतरा होगा और हम उसी के अनुरूप इससे से निपटेंगे।

एक अन्य सवाल के जवाब में एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने कहा कि दुश्मन (चीन) को कम आंकने का सवाल ही नहीं है। उनकी अपनी ताकत है। उनकी ताकत सतह से हवा में मार करने वाली प्रणाली और लंबी दूरी की मिसाइल में है। उनके पास जे-20 भी पांचवीं पीढी का अच्छा विमान है। सेंसर और हथियार के मामले में उनके पास आधुनिक उपकरण है लेकिन इंजन के मामले में नहीं। लेकिन इस क्षेत्र को देखते हुए हमारी भी अपनी तैयारी है। उसकी क्षमताओं को देखते हुए भी हमने रणनीति बना रखी है। हमारी तैयारी सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर की गयी है।

आने वाले तीन महीनों में क्या स्थिति रहेगी यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों देशों के बीच विभिन्न स्तर पर हाे रही बातचीत कैसे आगे बढती है। अभी प्रगति बहुत धीमी । उम्मीद है कि बातचीत सही दिशा में आगे बढेगी। हम जमीनी हालात के अनुरूप कदम उठा रहे हैं।

अमेरिका द्वारा क्षेत्र में लड़ाकू विमान की तैनाती से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि अमेरिका की तैनाती उसके दृष्टिकोण के अनुरूप की जाती है। न ही यह हमारी जरूरत थी और न ही इसके लिए हमने तालमेल किया और न ही अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि किसी खतरे से निपटने के लिए भारत अपनी योजना में किसी अन्य को शामिल नहीं करता। उन्होंने कहा , " हमारी लड़ाई कोई नहीं लड़ेगा। हमें अपनी जंग खुद लड़नी होगी। "

ड्रोन विमानों के लड़ाई में इस्तेमाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये जानकारी जुटाने और टोही तथा निगरानी मिशन के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन इनसे जंग नहीं जीती जा सकती।

राफेल विमानों की आपूर्ति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पांच विमान भारत आ गये हैं। इस महीने के आखिर में या अगले महीने के शुरू में तीन या चार विमान और आयेंगे। इसके बाद हर दो-तीन महीने में नियमित रूप से ये विमान आते रहेंगे । अगले साल राफेल का पहला स्क्वैड्रन तैयार हो जायेगा और बाद में दोनों स्क्वैड्रन पूरी तरह से तैनात हो जायेंगे।

फ्रांस से मौजूदा सौदे के 36 विमानों के अलावा और राफेल विमान खरीदे जाने की संभावना पर उन्होंने कहा कि यह जटिल सवाल है। अभी हम 83 हल्के लड़ाकू विमानों पर ध्यान केन्द्रीत कर रहे हैं । इसके बाद 114 बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों तथा एचटीटी -40 की योजना भी है तो अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इन तमाम विषयों पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि देश में ही बने हल्के लड़ाकू विमान पर वायु सेना को भरोसा है और अगले पांच साल में इस तरह के 83 विमान वायु सेना के बेड़े में शामिल हो जायेंगे। उन्होंने उम्मीद जतायी कि वायु सेना को अगले दशक में 400 से 450 प्लेटफार्म मिल सकते हैं। अनुमान लगाते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले दशक के अंत तक वायु सेना के विमानों के स्क्वैड्रनों की संख्या 36 से 37 तक पहुंच सकती है। निजी क्षेत्र के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की साझेदारी के लिए अभी सही मौका है और इसके अच्छे परिणाम आ सकते हैं।

राफेल विमान में तैनात अत्याधुनिक मिसाइलों को दूसरे विमानों में लगाये जाने की संभावना के बारे में उन्होंने कहा कि अब हम स्वदेशी मिसाइल तैयार करने के बारे में विचार कर रहे हैं और यदि यह अंजाम तक पहुंच जाता है तो इस तरह की मिसाइलों की खरीद की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न विमानों पर समान तरह के हथियार लगाये जाने के मुद्दे पर भी बातचीत हो रही है।

चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत के बारे में पूछे गये सीधे सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि यदि चीन स्कार्दू एयर बेस का इस्तेमाल करता है तो वह पाकिस्तान की मदद लेगा और यह अपने आप में बड़ी बात है। इस तरह की मिलीभगत से उसी तरह से निपटा जायेगा। उन्होंने कहा कि वैसे हम स्थिति पर निरंतर नजर बनाये हुए हैं और अभी मिलीभगत की चीन की योजना नहीं दिखती और न ही इस तरह के खतरे का संकेत है। साथ ही यह भी सही है कि पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता निरंतर बढ रही है और दोनों मिलकर कई अभ्यास भी कर रहे हैं।

एयर डिफेंस सिस्टम के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें अच्छी प्रगति हो रही है और इस पर सही दिशा में काम चल रहा है।

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