सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की चीनी मिलों का हुआ कायाकल्प

शासन के तमाम प्रयासों का ही प्रतिफल है कि प्रदेश की चीनी मिलों एवं खाण्डसारी इकाईयों की पेराई क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

Update: 2022-11-05 13:53 GMT

लखनऊ। गन्ना फसल एवं चीनी मिलें प्रदेश की अर्थव्यवस्था और विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इस हेतु चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग, उत्तर प्रदेश गन्ना विकास तथा गन्ना आपूर्ति को सुगम बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। उत्तर प्रदेश शासन के तमाम प्रयासों का ही प्रतिफल है कि प्रदेश की चीनी मिलों एवं खाण्डसारी इकाईयों की पेराई क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश की चीनी मिलों की गन्ना पेराई क्षमता में वृद्धि एवं किसानों को समय से गन्ना पेराई की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। पेराई क्षमता में वृद्धि होने से चीनी मिलों की दैनिक पेराई क्षमता बढ़ जायेगी। इससे गन्ना पेड़ी फसल की शीघ्र आपूर्ति चीनी मिलों को हो सकेगी तथा किसानों द्वारा गेहूँ एवं अन्य फसलों की बुवाई समय से की जा सकेगी। इससे गन्ना किसानों को न केवल प्रति इकाई अधिक उत्पादन प्राप्त होगा वरन् पेराई सत्र का समापन भी समय से हो सकेगा।

उन्होंने बताया कि पेराई सत्र 2022-23 हेतु गन्ने की सुगमतापूर्वक एवं समयान्तर्गत पेराई हेतु निजी क्षेत्र की 22 चीनी मिलों यथा- रजपुरा-500 टी.सी.डी., असमौली-1,500 टी.सी.डी., मीरगंज-1,500 टी.सी.डी., निगोही-1,000 टी.सी.डी., मैजापुर -1,000 टी.सी.डी., हरगांव-3,000 टी.सी.डी., नवाबगंज-500 टी.सी.डी., मझावली- 300 टी.सी.डी., हाटा-1,000टी.सी.डी., सेवरही-1,000टी.सी.डी., ऊन-200टी.सी.डी., जवाहरपुर -2,500टी.सी.डी., परसेण्डी-1,150टी.सी.डी., बलरामपुर-500टी.सी.डी., बरकातपुर -1,500टी.सी.डी., रोहानाकलां-300 टी.सी.डी, धनौरा-1,700 टी.सी.डी., अजबापुर-3,000 टी.सी.डी., मलकपुर-1,000 टी.सी.डी., अगवानपुर-1,400 टी.सी.डी., टिकौला-3,000 टी.सी.डी., अनामिका-500 टी.सी.डी. द्वारा पेराई क्षमता बढ़ायी गई है।

विगत 05 वर्षों में प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना किसानों के हित में चीनी मिलों के साथ-साथ गन्ना आपूर्ति हेतु अन्य वैकल्पिक साधनों को विकसित किये जाने एवं ग्रामीण क्षेत्र में लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास तथा स्थानीय रोजगार सृजन के दृष्टिगत खाण्डसारी इकाइयों की स्थापना से जुड़े नियमों को भी सरलीकृत किया गया तथा गन्ना आपूर्ति हेतु एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में वर्ष 2018-19 में विभाग द्वारा नई खाण्डसारी नीति लागू करते हुए ऑनलाइन लाइसेन्सिंग की व्यवस्था की गई। जिसके फलस्वरूप सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बुलन्दशहर, बिजनौर, अमरोहा, सम्भल, मुरादाबाद, बरेली, पीलीभीत, बदायूं, रामपुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर, सीतापुर, गोण्डा, अयोध्या, बहराईच एवं कानपुर आदि जिलों हेतु खाण्डसारी इकाईयों के 284 नवीन लाइसेंस निर्गत करने से 73,550टी.सी.डी. की अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन हुआ है।

वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बढ़ाई गयी पेराई क्षमता से इन चीनी मिल क्षेत्रों के गन्ना किसान लाभन्वित होंगे। स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा एवं चीनी मिलों की कार्य दक्षता बढ़ेगी। ग्रामीण क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होने के फलस्वरूप प्रदेश के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। नई चीनी मिलों का क्षेत्र में आगमन का सीधा असर ग्रामीण क्षेत्र की समृद्धि पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है। पेराई क्षमता में हुई वृद्धि से गन्ने के खेत अधिक खाली होने के कारण वैकल्पिक फसलों की बुआई भी समय से सम्भव होगी एवं गन्ना किसानों को अधिक पर्चियां निर्गत की जा सकेंगी।

इस प्रकार चीनी उद्योग एवं खाण्डसारी से जुड़ी उपर्युक्त परियोजनाओं के आधार पर पेराई सत्र 2022-23 हेतु चीनी मिलों में लगभग 28,050 टी.सी.डी. एवं खाण्डसारी इकाईयों के माध्यम से 73,550 टी.सी.डी. की अतिरिक्त पेराई क्षमता, कुल 1,01,600 टी.सी.डी (टन पेराई क्षमता प्रतिदिन) की अतिरिक्त पेराई क्षमता सृजित हुई है। पेराई सत्र 2022-23 के अन्तर्गत बढ़ी हुई 1,01,600 टी.सी.डी. की क्षमता 5000 टी.सी.डी. की पेराई क्षमता वाली लगभग 20 चीनी मिलों के समतुल्य है।

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