ग्रामीण महिला उद्यमियों की गन्ना विकास में महती भूमिका- ACS भूसरेड्डी

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा की गयी।

Update: 2022-12-24 15:02 GMT

लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ द्वारा ग्रामीण महिलाओं को गन्ना खेती के माध्यम से स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु दिये गये निर्देशों के अनुपालन में गन्ना विकास विभाग द्वारा प्रदेश के चीनी मिल क्षेत्रांे में नवविकसित गन्ना किस्मों के तीव्र संवर्धन हेतु महिला समूहों के माध्यम से सिंगल बड एंव बड चिप विधि द्वारा गन्ना पौध का उत्पादन एवं वितरण कर स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। इससे किसानों को उन्नत किस्म का गन्ना बीज उपलब्ध होने से कम लागत में उनका उत्पादन बढ़ेगा, साथ ही नवीन विकसित गन्ना प्रजातियों यथाः को.शा. 13235, को. 15023 एवं को.लख. 14201 किस्मों के बीजों का तीव्र संवर्धन होगा।

इसी क्रम में महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने तथा स्थानीय स्तर पर उनकी आय सृजित कर आत्मनिर्भर बनाने के दृष्टिगत आज डालीबाग स्थित गन्ना आयुक्त कार्यालय के सभागार में ''महिला स्वयं सहायता समूहों से संवाद कार्यक्रम'' का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम मंे सहारनपुर परिक्षेत्र के महिला समूहों के साथ ऑनलाईन संवाद किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा की गयी।

संजय आर भूसरेड्डी द्वारा सहारनपुर परिक्षेत्र से ऑनलाईन जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि गन्ना विकास विभाग ग्रामीण महिला उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने एवं उनकी आय बढ़ाने हेतु विभागीय योजनाओं और गतिविधियों के माध्यम से निरन्तर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि ''ग्रामीण महिला शक्ति द्वारा उन्नत गन्ना बीज वितरण कार्यक्रम योजना'' सफलता के नये आयाम स्थापित कर रही है इस योजना के अन्तर्गत अब तक प्रदेश के 37 गन्ना उत्पादक जिलों में 3,148 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है तथा इन ग्रामीण महिला उद्यमियों द्वारा गठित समूहों के माध्यम से अब तक 3,000 लाख सीडलिंग का उत्पादन किया जा चुका है। जिससे उन्हें लगभग रू.3,792 लाख तथा प्रति समूह औसतन 75,000 से 27 लाख प्रतिवर्ष की आय प्राप्त हुयी है। इस योजना से अब तक 59,525 ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध हुआ है तथा कुल 4,23,680 कार्य दिवस का रोजगार सृजित हुआ है। समूहों द्वारा उत्पादित सीडिलिंग की बुआई से कुल 10,592 हे. नवीन गन्ना किस्मों का प्रदर्शन स्थापित कर नवीन किस्मों के गन्ने का आच्छादन बढ़ाया गया।

उन्होंने कहा कि ग्रमाीण महिला उद्यमी पारिवारिक जिम्मेदारियों को सम्भालने के साथ-साथ बीज संवर्धन कार्यक्रम योजना में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। इसका फायदा महिला उद्यमियों के साथ-साथ क्षेत्र के किसानों एवं चीनी मिलों को भी मिल रहा है। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा यदि बड चिप से गन्ना पौध चीनी मिल चलने से पूर्व तैयार की जाये तो शेष गन्ने के निस्तारण की समस्या को देखते हुए गन्ने का रस निकालकर उससे सिरका तैयार कर महिलायें अच्छी आय अर्जित कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त गन्ने में बेधक कीटों के जैविक नियंत्रण हेतु महिला समूहों द्वारा ट्राईकोकार्ड तैयार कराने हेतु उन्हें वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षित भी किया जा रहा है ताकि किसानों को बेधक कीटों से सस्ता एवं टिकाऊ नियंत्रण उपलब्ध हो सके।

संवाद कार्यक्रम में सहारनपुर परिक्षेत्र के 25 महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा प्रतिभाग किया गया। सभी समूहों द्वारा अपर मुख्य सचिव के साथ अपने कार्यक्षेत्र से जुड़े अनुभव साझा किये गये। जिनमें समूहों ने अपर मुख्य सचिव को अपनी कार्यशालायें एवं पौधशालाओं को भी दिखाया एवं गन्ना पौध उत्पादन से जुड़े आंकड़े बताये। अपर मुख्य सचिव ने बसन्तकालीन गन्ना बुवाई हेतु अधिक गन्ना पौध उत्पादन हेतु प्रेरित किया। महिला स्वयं सहायता समूहों में से गंगा महिला स्वयं सहायता समूह की संचालिका श्रीमती पूजा चौहान ने बताया कि उनके द्वारा बड चिप से बचे अवशेष गन्ने के माध्यम से 10,000 लीटर सिरके का उत्पादन कर लगभग 7 लाख रू. की आय अर्जित की गयी है, एवं ट्राईकोकार्ड उत्पादन का प्रशिक्षण भी विभाग द्वारा उन्हें दिया गया है।

महिला स्वयं सहायता समूहों से संवाद कार्यक्रम के समापन के समय प्रबन्ध निदेशक, सहकारी चीनी मिल संघ, श्री रमाकान्त पाण्डेय द्वारा सुझाव दिया गया कि वह उत्पादन हेतु कोकोपिट के स्थान पर चीनी मिल की बैगास अथवा मिट्टी एवं जैविक खाद आदि का भी प्रयोग कर अपनी लागत को कम कर अपनी आय में और वृद्धि कर सकते हैं। अपर गन्ना आयुक्त(विकास) श्री वी.के. शुक्ल द्वारा गन्ना पौध उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले संशाधनों की उपलब्धता एवं अनुदान संबंधी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। डा. वी.बी. सिंह, अपर गन्ना आयुक्त(समितियां) ने कहा कि गन्ने के साथ गेहूं की सह-फसल हेतु एफ.आई.आर.बी. विधि में गन्ना पौध का सर्वोत्तम प्रयोग किया जा सकता है तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं के कारण देर से गन्ना बोने वाले किसानों को पौध के माध्यम से गन्ना बुवाई करने पर अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन श्री अरूण कुमार, विषय विशेषज्ञ द्वारा किया गया। संवाद कार्यक्रम'' के माध्यम से सभी गन्ना बहुल परिक्षेत्रों की ग्रामीण महिला उद्यमियों को विचार साझा करने का मंच प्रदान किया जायेगा।

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