संजीव उर्फ काला की सम्पत्ति होगी कुर्कः डीएम
शातिर संजीव उर्फ काला द्वारा गैर कानूनी ढंग से अर्जित की गई सम्पत्ति को कुर्क करने के आदेश दिये हैं। जिलाधिकारी के आदेश पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने शातिर संजीव उर्फ काला द्वारा गैर कानूनी ढंग से अर्जित की गई सम्पत्ति को कुर्क करने के आदेश दिये हैं। जिलाधिकारी के आदेश पर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने बताया कि संजीव उर्फ काला उर्फ कल्लू पुत्र वेदप्रकाश निवासी अंकित विहार के विरूद्ध 25 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश गिरोह बन्द समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी। गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध संजीव संगठित गिरोह का सदस्य है और वह घातक हथियारों से लैस होकर समाज में भय व आतंक पैदा करने में लिप्त हैं तथा लूट, अपमिश्रित अवैध शराब की तस्करी जैसे अपराध कारित करता है। उसने समाज विरोधी क्रियाकलाप से अर्जित धन से अपने तथा अपनी पत्नी के नाम से कई सम्पत्ति अर्जित की है। उक्त सम्पत्ति को कुर्क करने के संबंध में एसएसपी अभिषेक यादव की संस्तृति के साथ नई मंडी थाना पुलिस ने आख्या न्यायालय में प्रेषित की थी। इस आख्या के अवलोकन से स्पष्ट है कि संजीव उर्फ काला उर्फ कल्लू शातिर किस्म का अपराधी है। उसके विरूद्ध थाना कोतवाली नगर, थाना सिविल लाईन व थाना नईमण्डी समेत अनेक थानों में आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। संजीव ने वर्ष 2000 में अपराध करना आरम्भ किया था तथा डकैती व लूट के मुकदमे में जेल गया। जेल से बाहर आने के बाद उसने लूट एवं अवैध अपमिश्रित शराब की तस्करी करने का अपराध आरम्भ कर दिया था।
जिलाधिकारी ने बताया की आख्या के साथ संलग्न अभिलेखीय साक्ष्य का गहनता से अध्ययन एवं अनुशीलन किया गया। अभिलेखों के अनुशीलन से ज्ञात हो गया है कि अभियुक्त संजीव उर्फ काला उर्फ कल्लू एक शातिर किस्म का अपराधी है। अभियुक्त उपरोक्त द्वारा वर्ष 2000 में अपराध करना आरम्भ किया तथा लूट के मुकदमें में जेल गया। जेल में रहते हुए अपराधियों के सम्पर्क में आया तथा जेल से बाहर निकलने के बाद लगातार अपने अलग-अलग साथियों के साथ मिलकर लूट एवं अवैध अपमिश्रित शराब के तस्करी करने का अपराध करने लगा।
डीएम ने संजीव व उसकी पत्नी संतोष कर्णवाल के नाम अवैध धन से अर्जित कर क्रय की गई सम्पत्ति को कुर्क करने के आदेश दिये हैं। इस कुर्की आदेश के विरूद्ध यदि अभियुक्त/दावेदार को कोई आपत्ति/प्रत्यावेदन प्रस्तुत करना हो तो वह तीन माह के अन्दर अधोहस्ताक्षरी के न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता है।
रिपोर्टः प्रवीण गर्ग