IAS अफसर का जिले में इतिहास: नन्हें बेटे को छोड़ की थी कोरोना में ड्यूटी

दोनों चुनौती को अपनी कौशल बुव्द्धि का उपयोग करते हुए आईएएस अफसर ने पार किया।;

Update: 2025-01-18 14:32 GMT

बिजनौर। एक दशक पूर्व मुजफ्फरनगर जिले से कुछ हिस्सा निकालते हुए शामली जिला बनाया गया, जहां पर कई कलेक्टर तैनात रहे लेकिन जनपद में कलेक्टर के रूप में पहली बार लेड़ी अफसर मिली और लेड़ी आईएएस अफसर की भी जिलाधिकारी के तौर पर पहली पोस्टिंग थी। शामली जिला भले ही छोटा जनपद हो लेकिन यहां पर विभिन्न चुनौतियां रहती हैं। ऐसे चुनौतीपूर्ण जिले के इतिहास में महिला आईएएस अफसर का नाम दर्ज है क्योंकि पहली महिला डीएम और सबसे लंबे समय तक जिलाधिकारी के पद पर रहते हुए पब्लिक की सेवा की।

जिलाधिकारी के तौर पर तीन साल के कार्यकाल में आईएएस अफसर के सामने बड़ी चुनौती दो बार आई। पहली चुनौती कोरोना काल में डेढ़ साल के बच्चे को भी संभालना और पूरे जिले के लोगों का कोरोना संक्रमण से बचाव करते हुए उन्हें जरूरतमंद सामान सहित उन्हें आवश्यकतापूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराना। दूसरी चुनौती तीन विधानसभा सीटों वाले जिले में दो विधानसभा सीटें देश और प्रदेश में चर्चाओं में थी। दोनों चुनौती को अपनी कौशल बुव्द्धि का उपयोग करते हुए आईएएस अफसर ने पार किया।

कोरोना काल में लोग पॉजिटिव हुए थे महिला आईएएस अफसर स्वयं उनसे फोन कर उनका हालचाल जानती थी और कुछ असुविधा होने पर उन्हें समय से सुविधा उपलब्ध कराती थी। जहां स्वयं जिले की डीएम खुद जानकारी ले रही हो, वहां उनके अधीनस्थ किस तत्परता के साथ काम करते होंगे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि महिला जिलाधिकारी के प्रयास से शामली जिला मास्क बनाने में उत्तर प्रदेश में अव्वल स्थान पर आया था। कोरोना काल में पब्लिक की सेवा करने पर उन्हें उसी वक्त पब्लिक ने उनके ऊपर पुष्पवर्षा कर उन्हें सम्मान देने का भी काम किया था। जी हां हम बात कर रहे हैं साल 2012 बैच की आईएएस अफसर व बिजनौर की नई जिलाधिकारी जसजीत कौर की। बिजनौर जिलाधिकारी जसजीत कौर पर पेश है खोजी न्यूज की खास रिपोर्ट...


तीसरी बार मिली कलेक्टर की कमान- कहां-कहां रही तैनात- पढ़िये नीचे

गौरतलब है कि आईएएस अफसर जसजीत कौर ने पंजाब राज्य के अमृतसर में 14 अक्टूबर 1984 को परविंदर सिंह के परिवार में जन्म लिया। आईएएस जसजीत कौर की प्रारम्भिक शिक्षा अमृतसर के डी. ए.वी कॉलेज से हुई, उसके बाद उन्होंने अर्थशास्त्र से बी. एस.सी, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (पीजीडीसीए) किया। उसके बाद जसजीत कौर का 2012 में आईएएस में चयन हो गया। आईएएस जसजीत कौर की शुरुआती ट्रेनिंग सीतापुर और आगरा में हुई है। उसके बाद उन्नाव में 7 अगस्त 2014 से लेकर 20 अप्रैल 2016 तक ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात रही। जनपद बुलंदशहर में 21 अप्रैल 2016 से लेकर 17 अप्रैल 2018 तक मुख्य विकास अधिकारी के पद पर मुकर्रर रही। उसके बाद प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 17 अप्रैल 2018 से लेकर 12 सितम्बर 2019 तक विशेष सुरक्षा नियोजन विभाग, 12 सितम्बर 2019 से लेकर 18 सितम्बर 2019 तक अपर प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, 18 सितम्बर 2019 से लेकर 22 फरवरी 2020 तक अपर प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अपर परियोजना निदेशक, एड्स नियंत्रण समाज के पद पर कार्यरत रही। उसके बाद आईएएस जसजीत कौर 22 फरवरी 2020 को जनपद शामली के डीएम के पद पर मुकर्रर किया था। आईएएस जसजीत कौर का शामली जिले में जिलाधिकारी के तौर पर 3 साल 4 दिनों तक तैनात रही। आईएएस जसजीत कौर का शामली जिले में जिलाधिकारी के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल रहा। इसके बाद शासन ने उनका तबादला करते हुए उन्हें सुल्तानपुर का जिलाधिकारी बनाया था। मेरठ में अपर आयुक्त की कमान संभाले हुए आईएएस जसजीत कौर को बिजनौर के कलेक्टर की जिम्मेदारी मिली है। अब उन्होंनेबिजनौर में पहुंचकर डीएम का कार्यभार संभाल लिया है।

कोरोना संकट काल में अपने डेढ़ साल के बेटे को छोड़ ड्यूटी करते हुए पब्लिक की सेवा करती थी जसजीत कौर

आईएएस जसजीत कौर की कलेक्टर के रूप में शामली जिले में पहली पोस्टिंग थी। पहली पोस्टिंग के दौरान कोरोना संक्रमण महामारी आई और फिर उसका पब्लिक को काफी नुकसान उठाना पड़ा। इस दौरान शामली डीएम के तौर पर आईएएस जसजीत कौर अपनी जान की परवाह न करते हुए पब्लिक को कोरोना संक्रमण से बचाने व उन्हें जरूरी सामान उपलब्ध कराने में जुटी हुई थी। आईएएस जसजीत कौर अपने डेढ साल के बेटे को छोड़कर जनता की सेवा के लिए अपनी डयूटी को अंजाम दिया करती थी। शामली की तत्कालीन डीएम जसजीत कौर अपने परिवार के साथ-साथ जनपदवासियों के सुरक्षा के प्रति भी सतर्क थी। आईएएस जसजीत कौर लगातार जनपद में आइसोलेशन वार्ड, क्वारंटाइन वार्ड में मरीजों की व हॉटस्पॉट मौहल्ला में निरीक्षण कर उनका हालचाल जानती रही। शुरूआत से ही शामली की तत्कालीन डीएम जसजीत कौर ने अपने परिवार से दूरी बना ली थी क्योंकि ऐसे में उनके जरिए कोई संक्रमण परिवार के किसी सदस्य तक ना पहुंचे। आईएएस जसजीत कौर के परिवार में उनके पति, एक डेढ साल का बेटा, और सासू है। शामली की तत्कालीन डीएम जसजीत कौर के आवास पर फस्ट फ्लोर पर एक रूम था, जिसे उन्होंने सेपरेट रूम बना लिया था। शामली की तत्कालीन डीएम जसजीत कौर फिल्ड से आते ही अपने सेपरेट रूम जाती थी। फ्रेश होकर, कपड़ों को बदलकर उसके बाद ही अपने परिवार के सदस्यों के पास जाती थी। वह सदस्यों के पास पहुंचकर भी उनसे दूरी बनाकर रखती थी। तत्कालीन डीएम0 जसजीत कौर का अपने डेढ साल के बेटे को गोद में लेकर दुलारने का मन करता था, पर वह उसे गोदी में लेकर नही बल्कि उसे दूर से ही दुलारती थी। जसजीत कौर कोरोना वायरस महामारी से पहले दफ्तर से आते ही परिवार के साथ घुल-मिल जाती थी। वह अपने परिवार व जनसुरक्षा के लिए अपने परिवार के साथ नाश्ता व लंच या डीनर नही कर पाती थी।

कौर के प्रयास से प्रदेश में अव्वल शामली- बनाये गये थे सबसे अधिक मास्क

कोविड-19 से निपटने के लिए शामली प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ जुटा हुआ था। मास्क अनिवार्य होने के बाद से जिले में मास्क की कमी न हो। इसके लिए शामली के तत्कालीन डीएम जसजीत कौर ने स्वयंसेवी समूहों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी, जिस पर खरा उतरते हुए लक्ष्य पूरा ही नहीं किया गया, बल्कि तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए जनपद शामली प्रदेश में अव्वल यानी प्रथम स्थान पर आया था। उस वक्त तक शामली जिले में दो लाख 22 हजार से अधिक मास्क बनाये गए थे लेकिन खास बात यह है कि एक लाख 62 हजार से अधिक मास्क निशुल्क वितरित किये गए थे।


सेवा के ईनाम में पब्लिक ने बरसाये थे डीएम-एसपी पर फूल

शामली में कोरोना संक्रमित मिलने के बाद पूरे मौहल्ले को एक किलोमीटर के दायरे को सील कर दिया गया था ताकि कोरोना महामारी न फैल सके। इस दौरान शामली की तत्कालीन जिलाधिकारी जसजीत कौर व तत्कालीन एसपी विनीत जयसवाल ने उक्त स्थानों पर भ्रमण करते हुए सभी को घरों में ही सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पडे। पुलिस व प्रशासन के कार्यों की सराहना करते हुए, जब तत्कालीन जिलाधिकारी जसजीत कौर व तत्कालीन एसपी विनीत जयसवाल का काफिला मौहल्ला नानुपरा पहुंचा तो मौहल्लेवासियों ने काफिले पर पुष्पवर्षा की थी, जिससे प्रसन्न होकर स्वयं तत्कालीन डीएम जसजीत कौर व तत्कालीन एसपी विनीत जायसवाल ने काफिले से नीचे उतरकर लोगों का उत्साहवर्धन किया था।

जसजीत और सुकीर्ति के प्रयास से चुनौतीपूर्ण शामली जिले में हॉट सीटों पर हुआ था शांतिपूर्ण और सबसे अधिक मतदान

यूपी में हुए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 58 सीटों पर मतदान हुआ था, जिसमें शामली जिले की भी तीन विधानसभा सीटें शामिल थी। इन विधानसभा सीटों पर 10 फरवरी 2022 को मतदान पूर्ण हुआ था। इन विधानसभा सीटों में दो विधानसभा सीटें ऐसी थी, जो प्रदेश में ही नहीं देश में भी चर्चा का विषय बनी हुई थी क्योंकि थानाभवन विधानसभा सीट पर यूपी सरकार में फायरब्रांड के तौर पर पहचान रखने वाले यूपी सरकार के पूर्व काबीना मंत्री सुरेश राणा और कैराना विधानसभा सीट पर नाहिद हसन जेल में बंद रहते हुए चुनाव लड़ रहे थे। ऐसे में चुनाव जनपद में चुनाव सकुशल सम्पन्न कराना लोग पुलिस-प्रशासन के लिये बड़ी चुनौती मान रहे थे। उस वक्त जनपद मे जिलाधिकारी का कार्यभार जसजीत कौर और पुलिस कप्तान की कमान सुकीर्ति माधव के हाथों में थी। दोनों अफसरों ने चुनौतियों का वेलकम करते हुए शामली जिले में ऐसी व्यवस्थाएं बनाई थी कि परिंदा ने भी पर नहीं मारा। महत्वपूर्ण बात यह थी कि इन सभी जिलों में से सर्वाधिक मतदान जनपद शामली में हुआ।

Tags:    

Similar News