खेतों में पराली जलाने पर होगा जुर्माना- उप कृषि निदेशक
उप कृषि निदेशक ने आज कहा कि खेतों में फसलों के की पराली (अवशेष) जलाए जाने पर जुर्माना लगेगा।
जौनपुर । उत्तर प्रदेश में जौनपुर के उप कृषि निदेशक जयप्रकाश ने आज कहा कि खेतों में फसलों के की पराली (अवशेष) जलाए जाने पर जुर्माना लगेगा , दोबारा पकड़े जाने पर कृषि विभाग द्वारा दिया जाने वाला अनुदान बंद कर दिया जाएगा । यह नियम राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा लागू किया गया है ।
उप निदेशक ने कहा कि मौसम के मिजाज को देखते हुए किसान गेहूं की कटाई स्ट्रारीपर सहित हार्वेस्टर से ही कराएं। यह डंठल का भूसा बना देगा। पशुओं के लिए चारा भी मिल जाएगा। वहीं दूसरी सबसे बड़ी समस्या खेत में आग लगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो जाती है और मिट्टी के अंदर स्थित मित्र कीट मर जाते हैं। इससे मृदा संतुलन भी बिगड़ जाता है।
उन्होंने कहा कि बगैर स्ट्रारीपर के हार्वेस्टर मशीन से कटाई पर भी रोक है, जो भी हार्वेस्टर मशीन धारक बिना स्ट्रारीपर से कटाई करते हुए पाया गया। उसकी मशीन जब्त कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि खेतों में डंठल जलाने से किसानों एवं पर्यावरण दोनों को क्षति होती है। केचुआ मिट्टी को भुरभुरा बनाकर मृदा को उर्वर बनाने का कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से तमाम बस्तियों, खेतों, जंगलों आदि स्थानों पर आग लगने की तमाम दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इस गंभीर समस्या को देखते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने खेतों में फसल अवशेष जलाने वालों पर दंडात्मक कानून बनाया है। पराली जलाने पर जहां ढाई हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक जुर्माने की राशि तय की गई है वहीं दोबारा खेत में फसल अवशेष जलाते हुए पकड़ा गया तो ऐसे किसानों को कृषि विभाग से मिलने वाले अनुदानों से भी वंचित कर दिया जाएगा।