ठेकेदार की थी अफसरों से मिलीभगत

अजमेर की संभागीय आयुक्त डॉ. आरुषि मलिक को भेजे गए शिकायती पत्र में उन्होंने कहा इस पर्यटन क्षेत्र में फूड कोर्ट के लिए 38 लाख 70 हजार रुपये में ठेका

Update: 2020-10-14 06:26 GMT

अजमेर। राजस्थान में अजमेर नगर निगम के निवर्तमान महापौर धर्मेंद्र गहलोत ने आनासागर ऋषि बाईपास रोड स्थित लवकुश गार्डन की ओर बनाए गए लेक व्यू फूड कोर्ट में हुई अनियमितताओं के लिये अधिकारियों की ठेकेदार के साथ मिलीभगत काे जिम्मेदार ठहराया है।

गहलोत ने आज बताया कि अजमेर की संभागीय आयुक्त डॉ. आरुषि मलिक को भेजे गए शिकायती पत्र में उन्होंने कहा है कि इस पर्यटन क्षेत्र में फूड कोर्ट के लिए 38 लाख 70 हजार रुपये में ठेका दीपक जैन के नाम खोला गया था जिसमें शर्त यह थी कि एक वर्ष बाद ठेका राशि 10 प्रतिशत बढ़ाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि हैरिटेज लुक दिए गए इस फूड कोर्ट को निगम प्रबंधन पंद्रह लाख के ठेके की ही उम्मीद मानकर बैठा था, लेकिन खुली नीलामी में यह राशि 38 लाख के पार पहुंच गयी। यदि निगम के प्रशासनिक अधिकारी समयबद्ध तरीके से ठेकेदार से काम लेते तो वर्तमान में यही राशि 42 लाख रुपये तक पहुंच गई होती।

गहलोत ने कहा कि अनुबंध और काम करने की शर्तों के बावजूद तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी चिन्मयी गोपाल, आयुक्त प्रशासन अखिलेश पीपल एवं अधिशासी अभियंता ओमप्रकाश ढेंढवाल की मिलीभगत के चलते ठेकेदार ने वहां अवैध निर्माण भी करा लिया और फूड कोर्ट अब तक अस्तित्व में नहीं आया है, जिसके चलते निगम को बड़ी राशि का राजस्व नुकसान हुआ है। महापौर गहलोत ने संभागीय आयुक्त से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषी अधिकारियों एवं ठेकेदार से राजस्व घाटा पूर्ति किए जाने की मांग की है।

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