खेतों में जलाई पराली तो कड़ी कार्रवाई- सेटेलाईट से होगी सर्चिंग

ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत, सचिव, लेखपाल, किसान सहायक, सफाई कर्मी, आशा/आगंनबाड़ी कार्यकत्री को निर्देशित किया है

Update: 2020-10-17 11:37 GMT

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पराली एवं कृषि अपशिष्ट आदि जलाने वालो की निगरानी अब सेटेलाईट से शुरू कर दी गई और उसे जलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई के जिला प्रशासन ने निर्देश दिए हैं।

मुख्य विकास अधिकारी अन्नपूर्णा गर्ग ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा दिये गये निर्देश के क्रम में कुशीनगर में धान की फसल तैयार है,जिसकी कटाई-मडाई का कार्य अधिकांश किसान कम्बाईन मशीन से कराने के बाद पराली को खेतों में ही जला देते है,जिससे पर्यावरण दूषित हो रहा है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने की निगरानी सेटेलाईट से की जा रही है।

उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत, सचिव, लेखपाल, किसान सहायक, सफाई कर्मी, आशा/आगंनबाड़ी कार्यकत्री को निर्देशित किया है कि ग्राम पंचायत की बैठक कर पराली जलाने होने वाले नुकसान एवं प्रदूषण के बारे में ग्रामीणों से चर्चा कर उन्हें ऐसा नहीं करने से जागरुक करें। इस संबंध में प्रत्येक ग्राम पंचायत में आज बैठक आयोजित कर उक्त बिन्दुओं पर विस्तृत रूप से वीडियों व आडियों के माध्यम से प्रचार-प्रसार के साथ अवगत कराया जा रहा है।

मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि पराली आदि जलाने वालों के खिलाफ जुर्माना एवं रिर्पोट दर्ज करायी जायेगी। उन्हाेंने बताया कि दो एकड़ वालों पर 1500.00 रूपये, 02 से 05 एकड़ तक 2500.00 रूपये अर्थदण्ड और 05 एकड़ से अधिक धान वालों पर 15000 रूपये अर्थदण्ड है।

उन्होंने बताया कि पराली का स्थायी रूप से ग्राम प्रधान द्वारा स्वंय व्यवस्था कराये जाने के लिए व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि पराली न/न जलाये, इसकी निगरानी सेटेलाईट से की जा रही है और जो किसान सेटेलाईट की जद में आयेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि पराली अधिक मात्रा में होने पर ग्राम प्रधान/सचिव/लेखपाल स्वंय उसे गोवंश आश्रय स्थल पर व्यवस्थित ढ़ग से भिजवाये और उसे संरक्षित कराये। इस संबंध में जिला स्तर पर कन्ट्रोल रूम विकास भवन में स्थापित किया गया है।

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