सरकार उपभोक्ता को सस्ती बिजली देने के लिए संकल्पित है: श्रीकांत
ऊर्जा एवं ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार उपभोक्ता को सस्ती बिजली देने के लिए संकल्पित है।
मथुरा। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार उपभोक्ता को सस्ती बिजली देने के लिए संकल्पित है।
श्रीकांत शर्मा ने आज यहां संवादताओं से कहा कि राज्य सरकार की यह मंशा उपभोक्ताओं के सहयोग पर निर्भर करती है। अगर सभी लोग अपने हिस्से का बिल समय से दे देंगे तो सरकार जनता को सस्ती बिजली देगी। सरकार जनता को सस्ती बिजली देने के लिए संकल्पबद्ध है। अभी ग्रामीण उपभोक्ता किसी भी कारण से समय से बिजली का बिल नही दे पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने गर्मी की तैयारी अभी से शुरू कर दी है । इसके लिए सरकार ने 100 दिन का एक कार्यक्रम निर्धारित किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में बिजली की आपूर्ति'' ट्रिपिंग फ्री '' करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया जा रहा हैं ,जिससे गांव को निर्धारित 18 घंटे , तहसील को निर्धारित 20 घंटे और शहर में 24 घंटे बिजली आपूर्ति दी जा सके।
श्रीकांत शर्मा ने कहा कि निर्वाध बिजली लोगों को देने के लिए नोडल अधिकारी बना दिए गए हैं, हर जिले में ट्रासमिशन स्टेशन का सेन्ट परसेन्ट यूटिलाइजेशन कर रहे हैं। ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि 33/11 के सब स्टेशन ओवरलोड नही रहें और जब सब स्टेशन ओवरलोड नही रहेंगे तो ट्रिपिंग नही होगी। इसके अलावा सबस्टेशनो का उच्चीकरण यानी अपग्रेडेशन लोगों की आवश्यकता के अनुरूप किया जा रहा हैंकिंतु उसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह आती है कि विभाग का कलकुलेशन सैक्सन्ड लोड पर होता है इसीलिए ही उपभोक्ता को लोड बढ़वाने को कहा जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि उपभोक्ताओं को प्रशिक्षित भी किया जा रहा हैं। उनसे कहा जा रहा है कि यदि उनकी आवश्यकता अधिक बिजली की है तो वे लोड बढ़वा ले और यदि वे लोड बढ़वा लेंगे तो ट्रांसफार्मर नहीं फुंकेगे तथा उस क्षेत्र के उपभोक्तओं को अधिक बिजली मिलती रहेगी। उनका कहना था कि ट्रांसफार्मर फुंकने पर लोड की चेकिंग होती है तथा जिसका लोड अधिक मिलता है उस पर पेनाल्टी लगती है और उसका चार्ज तीन गुना हो जाता है,जिससे उसका अधिक खर्च आता है। लोड बढ़वाने से बिजली भी पूरी मिलेगी तथा जुर्माना नहीं लगने से सस्ती बिजली भी मिलेगी।
उन्होंने बताया कि परेशानी वहां आती है कि उपभोक्ता लोड दो किलोवाट का लेता है और खर्च 10 किलोवाट करता है इससे भी ट्रिपिंग होती है या ट्रांसफार्मर फूंकता होता है तथा उस क्षेत्र के एक या दो लोगों द्वारा लोड न बढवाने का खामियाजा उस क्षेत्र के सभी लोगों को भुगतना पड़ता है। ऐसी स्थिति आने पर समझना चाहिए कि उस क्षेत्र में कुछ लोगों ने लोड कम ले रखा है । इसलिए ऐसे क्षेत्र के निवासी कम लोड लेकर अधिक बिजली खर्च करनेवाले उपभोक्ता को लोड बढ़वाने के लिए प्रेरित करेंगे तो उन्हें भी निर्बाध बिजली मिलेगी।
श्रीकांत शर्मा ने कहा कि भार से अधिक बिजली का उपयोग करने पर उस उपभेाक्ता को मंहगी बिजली मिलती है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अगर किसी उपभोक्ता के पास तीन किलोवाट का कनेक्शन है और वह महीने में 300 यूनिट बिजली प्रयोग में लेता है तो उसे प्रति किलोवाट 110 रूपए का फिक्स चार्ज और पांच प्रतिशत इलेक्ट्रिक ड्यूटी के साथ कुल 2150 रूपए ही देना होगा लेकिन यदि वही उपभोक्ता 9 किलोवाट तक की बिजली उपभोग कर ले लेकिन महीने में बिजली का स्तेमाल 300 यूनिट ही हो तो उसे निर्धारित चार्ज 110 रूपए 9 किलोवाट तक के अलावा छह किलोवाट के अतिरिक्त स्तेमाल पर प्रति किलोवाट 110 रूपए की पेनाल्टी तथा इस सब को जोड़कर उसका पांच प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी जोड़कर उसका बिल 3543 रूपए 75 पैसे हो जाएगा यानी उसे लगभग 1400 रूपए अतिरिक्त देने होंगे।
उन्होंने बताया कि मीटर रीडर प्रायः देहाती क्षेत्र के उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग नहीं करते और मेज पर बैठे ही बैठे औसत निकालकर बिल जारी कर देते हैं ,इससे उपभोक्ता को उसका वास्तविक बिल नहीं मिल पाता। उनका कहना था कि बड़े उपभोक्तओं (10 किलोवाट से अधिक) की रीडिंग पहले से ही एएमआर और एमआरआई के माध्यम से कराई जा रही है।