दाल में तड़का लगाना हुआ महंगा-सरसों के तेल में फिर लगी आग
लोगों के पीछे हाथ धोकर पड़ी महंगाई पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है
नई दिल्ली। लोगों के पीछे हाथ धोकर पड़ी महंगाई पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है। सरसों के तेल के दामों में कुछ दिनों की गिरावट के बाद एक बार फिर से सरसों के तेल के दाम ऊंचाई की तरफ बढ़ने लगे हैं। जिसके चलते सब्जी और दाल में लगने वाले तड़के का स्वाद भी फीका होने लगा है। पिछले कुछ दिनों के भीतर ही सरसों के तेल के दामों में 7 रूपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी हुई है।
रसोई घर की मुख्य जरूरत समझे जाने वाले सरसों के तेल के दामों ने चंद दिनों की राहत के बाद एक बार फिर से ऊंचाई पकड़नी शुरू कर दी है। सब्जी और दाल में तड़का भी अब सरसों के तेल के दामों में हो रही बढ़ोतरी के चलते फीका होने लगा है। सरसों के तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी ने लोगों के रसोई के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है। पिछले कुछ दिनों के भीतर ही सरसों के तेल के दामों में 7 रूपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। कारोबारियों का मानना है कि सरसों की नई फसल 20 जनवरी तक बाजार में आने की उम्मीद थी, लेकिन लगातार हो रही बारिश की वजह से अब सरसों की फसल के एक महीना विलंब से आने की संभावना हो गई है। ऐसे में जब तक नई फसल नहीं आ जाती, उस समय तक सरसों के तेल के दामों में कमी होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उधर आगरा आयल मिल के प्रबंध निदेशक कुमार कृष्ण गोपाल, कारोबारी बृजमोहन अग्रवाल एवं दिनेश गोयल ने बताया है कि उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के आह्वान पर प्रमुख खाद्य तेल कंपनियों ने विगत महीने खाद्य तेल की कीमतों में 10 रूपये से लेकर 7 रूपये प्रति लीटर तक की कटौती की थी। लेकिन सरसों की नई फसल की आवक में विलंब होने की वजह से मंडियों में 7500 रूपये प्रति क्विंटल के दाम पर मिलने वाली सरसों के दाम अब बढ़कर 8400 रूपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। जिसका असर उत्पाद के दामों पर पड़ा है। उन्होंने बताया है कि 20 जनवरी तक आम तौर पर लखीमपुर खीरी क्षेत्र की सरसों मंडी में आज आ जाती लेकिन इस बार इसकी आवक 10 फरवरी के बाद ही होने की उम्मीद है इसी वजह से सरसों के तेल के दाम में बढ़ोतरी हुई है।