मेट्रो ने किया-प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर विकसित

मेट्रो ने एक बड़ी पहल के रूप में एक कस्टम-मेड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर को कार्यान्वित किया।

Update: 2021-07-04 10:15 GMT

नई दिल्ली ।दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन(डीएमआरसी) ने अपने कार्यों को डिजिटलाइज करने की एक बड़ी पहल के रूप में एकीकृत परियोजना निगरानी सॉफ्टवेयर (आईपीएमएस) कहे जाने वाले एक कस्टम-मेड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर को कार्यान्वित किया है और इससे मेट्रो के चौथे चरण के कॉरिडोर तथा पटना मेट्रो के कार्यों की प्रगति पर निगरानी की जा सकेगी ।

डीएमआरसी ने रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि आईपीएमएस के माध्यम से, परियोजना नियोजन के सभी चरणों तथा ठीक निविदा के चरण से लेकर प्रत्येक कॉरिडोर के राजस्व अभियानों तक के चरण की निगरानी के साथ कार्यस्थल की उपलब्धता संबंधी मुद्दों जैसे भूमि की उपलब्धता, वृक्षारोपण तथा सेवाओं में फेरबदल और डिजाइन के स्तर पर नजर रखी जा सकेगी। इस उद्देश्य से, कॉरिडोर-वार मास्टर कंस्ट्रक्शन शेड्यूल तैयार करके उसे आईपीएमएस पर अपलोड किया जा चुका है।

आईपीएमएस में अन्य कंस्ट्रक्शन संबंधी सॉफ्टवेयरों जैसे, प्रोजेक्ट प्लानिंग के लिए प्राइमावेरा शेड्यूल्स और 3डी बीआईएम (थ्री-डाइमेंशनल बिल्डिंग इन्फोर्मेशन मॉडलिंग) और एक मोबाइल एप के इंटीग्रेशन की विशेषता है, जिनके माध्यम से साइट पर होने वाली वास्तविक कार्य प्रगति को वास्तविक आधार पर आईपीएमएस में अपलोड किया जा सकता है।

आईपीएमएस प्रत्येक क्षेत्र – सिविल, इलेक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल तथा सिगनल एवं दूरसंचार के संविदा पैकेज-वार कार्यों की प्रगति को मुख्य परियोजना प्रबंधक और परियोजना प्रबंधक के स्तर पर तथा निदेशक और प्रबंध निदेशक के स्तर पर मॉनिटर करेगा। विशेष तौर पर डिजाइन किए गए डैशबोर्ड और एक मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्रबंधन के शीर्ष स्तर से लेकर जूनियर इंजीनियर के स्तर तक इसकी पहुंच बनाने की की गई है।

इस सॉफ्टवेयर के क्रियान्वयन से परियोजना की चौबीस घंटे आसानी से मॉनिटरिंग की जा सकेगी, क्योंकि आईपीएमएस पोर्टल को कहीं से भी मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि से जोड़ा किया जा सकता है। इससे रिकॉर्ड कीपिंग तथा इंजीनियरों के बीच जानकारी को साझा करना भी बेहतर होगा। डीएमआरसी की यह परियोजना सरकार के डिजिटल इंडिया के साथ ही साथ आत्मनिर्भर भारत जैसे प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। भारत की तीन कंपनियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है और भारतीय इंजीनियरों द्वारा यह सॉफ्टवेयर अपने ही देश में विकसित किया गया है।

वार्ता

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