निलंबित आईपीएस अफसर को बड़ा झटका- जमानत अर्जी हुई खारिज
लिहाजा ऐसे हालातों में आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है।
लखनऊ। लोक सेवक के पद पर रहते हुए गंभीर प्रकृति के अपराध को अंजाम देने के मामले में 2 साल तक फरार रहने के बाद अदालत में सरेंडर कर जेल जाने वाले निलंबित आईपीएस अफसर को अदालत से जोर का झटका लगा है। एंटी करप्शन कोर्ट ने आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान जमानत के लिए पेश किए गए तर्कों को सुनकर सहमत नहीं हुई जज ने निलंबित आईपीएस अफसर की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
थानेदारों की ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़ा खेल करने एवं 5 लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाने तथा भ्रष्टाचार के मामले में 2 साल तक फरार रहने के बाद वर्ष 2022 की 15 अक्टूबर को राजधानी लखनऊ की अदालत में आत्मसमर्पण करने वाले निलंबित आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार की ओर से एंटी करप्शन कोर्ट में दाखिल की गई जमानत अर्जी को न्यायाधीश द्वारा खारिज कर दिया गया है।
एंटी करप्शन कोर्ट की जज शालिनी सागर ने सुनवाई के बाद जमानत के लिए दिए गए तर्कों को सुनकर अपनी सहमति नहीं जताई और उन्होंने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि मणिलाल पाटीदार पर लोकसेवक के पद पर रहते हुए गंभीर प्रकृति के अपराध को अंजाम देने के आरोप हैं। लिहाजा ऐसे हालातों में आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 की 7 सितंबर को जनपद महोबा में कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी का मणिलाल पाटीदार पर 600000 रूपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। 8 सितंबर को इंद्र कांत त्रिपाठी के गले में गोली लगी थी और 13 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी परिजनों ने इस मामले में इंद्र कांत त्रिपाठी की हत्या किए जाने का आरोप लगाया था।इसके बाद प्रदेश सरकार ने 3 आईपीएस अफसरों की एसआईटी गठित की थी।
जांच में इंद्र कांत त्रिपाठी की मौत को आत्महत्या तो बताया गया था लेकिन महोबा में थानेदारों की ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़े खेल की जांच टीम द्वारा पुष्टि की गई थी। एसआईटी की जांच में मणिलाल पाटीदार के ऊपर थाना अध्यक्ष कबरई समेत पांच लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाने और भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए हैं।