सांप्रदायिक उपद्रव में दोषी पाए लोगों को 5-5 साल की कैद, इतने बरी
मुजफ्फरनगर। वर्ष 2006 के दौरान दो समुदाय के बीच हुए सांप्रदायिक उपद्रव के मामले की सुनवाई करते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है। जबकि दर्जनभर आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में अदालत द्वारा बरी कर दिया गया है।
शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट में वर्ष 2006 के दौरान हुए सांप्रदायिक घटना के मामले की सुनवाई की गई। डेनमार्क के एक कार्टूनिस्ट के ऊपर पैगंबर का कार्टून बनाकर उनकी शान में गुस्ताखी करने का आरोप लगा था। इस मामले में मुस्लिम समाज के लोगों ने वर्ष 2006 की 24 फरवरी को शहर के आर्य समाज रोड स्थित इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान में जलसा करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया था। बाद में प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया गया था।
जलसा समाप्ति के बाद इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान से लौटती भीड शहर की कच्ची सड़क पर दूसरे समुदाय के लोगों के साथ भिड़ गई थी। इस दौरान बलवा, मारपीट और तोड़फोड़ की घटनाएं अंजाम दी गई थी। तत्कालीन थाना सिविल लाइन प्रभारी निरीक्षक रंजन शर्मा ने 24 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए उनकी गिरफ्तारी की थी।
आज शनिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या-3 के जज अनिल सिंह ने नसीम, कलीम उर्फ गुड्डू, नासिर, इरफान, रियाज, इकबाल, नदीम, दिलशाद, गुड्डू उर्फ रिजवान एवं साबिर को दोषी ठहराते हुए इन सभी को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है।
साक्ष्य के अभाव में विद्वान जज ने दर्जनभर आरोपियों को बरी कर दिया है।