अब शुरू हुई मीनार पर रार - कुतुबमीनार है या विष्णु स्तंभ
नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर अभी मामला सुलझा भी नही है कि राजधानी दिल्ली की कुतुब मीनार को लेकर अब रार शुरू हो गई है। दिल्ली की साकेत कोर्ट में सुनवाई आरंभ होने से पहले केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से पुरातत्व विभाग यानी एएसआई को कुतुबमीनार कांप्लेक्स की खुदाई करने के लिए कहा गया है। मंत्रालय की ओर से इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है। जारी किये गये आदेशों में कहा गया है कि एएसआई सर्वे करते हुए मूर्तियों की डिटेल रिपोर्ट तैयार करें।
रविवार को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से दिल्ली की साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार के मामले को लेकर सुनवाई शुरू होने से पहले पुरातत्व विभाग यानी एएसआई को कुतुब मीनार परिसर की खुदाई करने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्रालय की ओर से पुरातत्व विभाग से इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पुरातत्व विभाग सर्वे करते हुए मूर्तियों की डिटेल रिपोर्ट तैयार करें। कोर्ट में 24 मई को कुतुब मीनार के मामले को लेकर सुनवाई होने वाली है।
मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक कुतुब मीनार के पास स्थित मस्जिद से 15 मीटर की दूरी पर खुदाई का काम शुरू किया जा सकता है। मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने शनिवार को इसके लिए हाई लेवल मीटिंग भी बुलाई थी। कुतुब मीनार में वर्ष 1991 में अंतिम बार खुदाई का काम किया गया था।
उधर इंडिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में एएसआई के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा की ओर से दावा किया गया है कि कुतुबमीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं बनवाया था। उन्होंने इसको लेकर 3 बड़े दावे किए थे। उन्होंने कहा था कि यह कुतुबमीनार नहीं है बल्कि सन टावर है। मेरे पास इस संबंध में बहुत सारे सबूत हैं। उन्होंने एएसआई की तरफ से कई बार कुतुबमीनार का सर्वेक्षण भी किया है।
उन्होंने बताया है कि कुतुब मीनार के टावर में 25 इंच का झुकाव है क्योंकि यहां से सूर्य का अध्ययन किया जाता था। इसलिए 21 जून को सूर्य आकाश में जगह बदल रहा था। तब भी कुतुबमीनार की उस जगह पर आधे घंटे तक छाया नहीं पड़ी। यह विज्ञान है और पुरातात्विक साक्ष्य भी।
उन्होंने बताया है कि लोग दावा करते हैं कि कुतुबमीनार एक स्वतंत्र इमारत है और इसका संबंध करीब की मस्जिद से नहीं है। दरअसल इसके दरवाजे नॉर्थ फेंसिंग हैं ताकि इससे रात में ध्रुव तारे को देखा जा सके।