सुप्रीम कोर्ट की दो टूक- संविधान से नहीं हटेंगे समाजवादी और पंथनिरपेक्ष
नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्द को हटाने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि संविधान के मूल तत्वों को नुकसान पहुंचा बिना संशोधन करने का अधिकार केवल संसद के पास है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से संविधान दिवस से पहले सुनाएं गए बड़े फैसले में संविधान की प्रस्तावना में शामिल समाजवादी और धर्म निरपेक्ष शब्द को हटाने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वर्ष 1976 में संविधान में हुए संशोधन के बाद समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्दों को प्रस्तावना में शामिल किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना एवं जस्टिस पीवी संजय कुमार ने कहा है कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने का अधिकार है हालांकि किसी संशोधन से संविधान के मूल तत्व में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा है कि वर्ष 1949 की 26 नवंबर के जैसी प्रस्तावना करने के लिए ही इन शब्दों को प्रस्तावना से हटाया नहीं जा सकता है।
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, सामाजिक कार्यकर्ता बलराम सिंह और एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका फाइल करते हुए कहा था कि 42 वें संशोधन के बाद संविधान बनाने वालों के मूल दृष्टिकोण को खत्म कर दिया गया है।