मुख्य सचिव के बयान पर भड़के बिजलीकर्मी- निजीकरण को बताया लूट की योजना

मुख्य सचिव के बयान पर भड़के बिजलीकर्मी- निजीकरण को बताया लूट की योजना

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की ओर से बिजली के निजीकरण को लेकर दिए बयान से बुरी तरह से भडके बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण को लूट की योजना करार दिया है।

रविवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की ओर से बिजली के निजीकरण को लेकर दिए बयान को पब्लिक को गुमराह करने वाला करार दिया है।

समिति ने कहा है कि उड़ीसा, दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे स्थानों की मिसाल देकर बिजली के निजीकरण को सक्सेस स्टोरी बताना सच्चाई को छुपाने की कोशिश है।

समिति ने कहा है कि इन सभी राज्यों में बिजली का निजीकरण पूरी तरह से असफल रहा है और मुख्य सचिव का बयान केवल सार्वजनिक संपत्ति की लूट की कहानी है।

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि रिलायंस पावर की तीनों कंपनियों के लाइसेंस वर्ष 2015 में भारी भ्रष्टाचार और क्षमता की वजह से रद्द कर दिए गए थे, इसके बावजूद आज भी बिजली के निजीकरण की तारीफ की जा रही है।

समिति ने आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव ने अपने कार्यकाल के दौरान टाटा पावर को उड़ीसा की बिजली कंपनियां सौपी थी लेकिन उनकी समीक्षा तक नहीं कराई गई।

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