बोला एचसी- हिंदू सन्यासियों को बलात्कारी दिखाने पर तो कोई कुछ नहीं कहता
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने हिंदू और ईसाई लड़कियों का धर्मांतरण कराते हुए उन्हें इस्लामिक स्टेट में शामिल कराने की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म द केरल स्टोरी को प्रतिबंधित किए जाने के खिलाफ दाखिल की गई अर्जियों के अलावा केरल हाईकोर्ट की ओर से इस फिल्म पर रोक ना लगाने के फैसले को चुनौती देती अर्जियों पर 15 मई को सुनवाई करने की बात कही है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि उसके पास पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य राज्यों में प्रतिबंधित की गई दा केरल स्टोरी फिल्म लगी रोक को हटाने तथा केरल हाईकोर्ट की ओर से इस फिल्म पर रोक ना लगाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की गई है। चीफ जस्टिस की अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली इन अर्जियों पर आज आगामी 15 मई को सुनवाई करने की बात कही है। गौरतलब है कि 5 मई को केरल हाईकोर्ट ने दा केरल स्टोरी फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की याचिका को खारिज करते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की थी। जस्टिस एंड नागरेश एवं जस्टिस सोफी थॉमस की पीठ ने द केरल स्टोरी का टीचर और फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद कहा था कि इस फिल्म में इस्लाम अथवा मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं है।
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा था कि इसमें आतंकी संगठन आई एस आई एस के खिलाफ दिखाया गया है। जजों ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि इस्लाम के खिलाफ इस फिल्म में क्या है? इसमें किसी मजहब के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है। सारे आरोप इस्लामी स्टेट पर लगे हैं। इतना ही नहीं अदालत ने इससे आगे की गई अपनी टिप्पणी में कहा है कि ऐसी तमाम फिल्में बनी हुई है जिनमें हिंदू सन्यासियों को तस्कर अथवा बलात्कारी दिखाया गया है। लेकिन हिंदू संन्यासियों को तस्कर अथवा बलात्कारी दिखाने वाली फिल्मों के बारे में तो कभी भी कोई कुछ बात नहीं करता है। उल्लेखनीय है कि 5 मई को रिलीज हुई फिल्म दा केरल स्टोरी को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग थियेटरो में पहुंच रहे हैं।