यूपी में उद्योगीकरण का वैश्विक अध्याय

यूपी में उद्योगीकरण का वैश्विक अध्याय

नई दिल्ली। कृषि के लिए उपजाऊ जमीन, खाद-पानी आदि की आवश्यकता होती है. इनमें से किसी भी तत्व के अभाव या कमी हो तो अच्छी फसल की उम्मीद नही की जा सकती। इसी प्रकार उत्तम निवेश और उद्योगीकरण के भी आवश्यक तत्व होते हैं।

कानून व्यवस्था,पर्याप्त विद्युत आपूर्ति, पहले से तैयार लैंड बैंक कनेक्टिविटी, व्यापार सुगमता की बेहतर स्थिति आदि का होना अनिवार्य होता है। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के फौरन बाद ही इन सभी मोर्चों पर एक साथ कार्य शुरू कर दिया था। उनको विरासत में यह सब नहीं मिला था। इसलिए नए सिरे से सभी प्रयास करने थे। उनके प्रयास सफल हुए। यही कारण था कि पिछले कार्यकाल में ही शानदार तरीके से इनवेस्टर्स समिट आयोजित करना सम्भव हुआ। हजारों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों का शिलान्यास हुआ। उन पर कार्य प्रगति पर है। योगी सरकार यूपी को देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में बढ़ रही है। ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट इस यात्रा का सर्वाधिक शानदार पड़ाव साबित होगा. इसके आयोजन में सहभागिता हेतु अभी तक करीब दो दर्जन देशों ने उत्साह दिखाया है। नीदरलैण्ड्स, डेनमार्क, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और मॉरीशस ने प्रदेश सरकार के साथ पार्टनर कण्ट्री के रूप में सहभागिता करेंगे।

दुनिया के औद्योगिक निवेशकों को समिट में आमंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार भी अठारह देशों एवं भारत के सात प्रमुख नगरों में रोड-शो भी आयोजित कर रही है। इन्वेस्टर पार्टनर्स को औद्योगिक सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हैं. यह नए उत्तर प्रदेश की पहचान है.आज प्रदेश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी की प्रगति शानदार रही है। प्रदेश निवेश के सबसे आकर्षक गंतव्य के रूप में दुनिया का निवेश अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। राज्य सरकार 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के साथ ही 'ईज ऑफ स्टार्टिंग बिजनेस' पर भी पूरा ध्यान दे रही है। प्रदेश में विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया गया है। नये विद्युत उत्पादन संयंत्रों तथा विद्युत सबस्टेशनों की स्थापना की गयी है। इसके परिणामस्वरूप सभी जनपदों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जा रही है। उद्यमी अपनी इकाइयां सुगमतापूर्वक लगा सकें, इसके लिए प्रदेश में लैण्ड बैंक के माध्यम से पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। प्रोएक्टिव इन्वेस्टर कनेक्ट तथा हैण्डहोल्डिंग के लिए प्रदेश सरकार ने एमओयू पर हस्ताक्षर करने एवं उनके कार्यान्वयन की निगरानी के लिए नई ऑनलाइन प्रणाली 'निवेश सारथी' विकसित की है। एक ऑनलाइन इन्सेंटिव मैनेजमेण्ट सिस्टम का विकास भी किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा सिंगल विण्डो 'निवेश मित्र' पोर्टल के माध्यम से उद्यमियों को ऑनलाइन रूप से समयबद्ध स्वीकृतियाँ एवं अनापत्तियाँ उपलब्ध करायी जा रही हैं।

प्रधानमंत्री ने भारत को अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य बनाया है. इसके लिए राज्य सरकार ने आगामी पांच वर्ष में प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की कार्ययोजना बनाई है. ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से राज्य में उपलब्ध असीम व्यावसायिक अवसरों को प्रदर्शित किया जाएगा. वैश्विक व्यापारिक समुदाय को प्रदेश के आर्थिक विकास में सहयोग करने का एकीकृत मंच प्रदान मिलेगा.ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विश्व स्तर के नीति निर्धारक,कॉर्पोरेट जगत के शीर्ष नेतृत्व, व्यापारिक प्रतिनिधिमण्डल, एकेडेमिया,विचार मंच एवं प्रबुद्धजन द्वारा मंथन किया जाएगा।

प्रदेश सरकार ने आईटी आईटीईएस, डेटा सेण्टर,ईएसडीएम, डिफेंस एवं एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिक वाहन, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स,पर्यटन, टेक्सटाइल, एमएसएमई सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए लगभग पच्चीस नीतियां तैयार की हैं। इनके माध्यम से औद्योगिक विकास के लिए एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में अनेक सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं.उत्तर प्रदेश की नई औद्योगिक नीति एक विकल्प आधारित मॉडल प्रदान करती है. यह उत्पादन, रोजगार एवं निर्यात को प्रोत्साहित करती है। सर्कुलर इकोनॉमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तथा ग्रीन हाइड्रोजन सहित नए क्षेत्रों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की नीतियों के अन्तर्गत मुख्यतः राज्य में उद्योग विशिष्ट उत्कृष्टता केन्द्र अर्थात सेण्टर्स ऑफ एक्सीलेंस, अनुसंधान एवं विकास, तथा परीक्षण सुविधाओं की स्थापना के लिए निवेश को प्रोत्साहित किया गया है। योगी ने कहा कि राज्य सरकार के संकल्प के अनुरूप अटल इण्डस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन का शुभारम्भ किया गया है।

उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान को लागू करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक है। इस मास्टर प्लान के अन्तर्गत सरकार ने परियोजना नियोजन के लिए महत्वपूर्ण पैंतालीस से अधिक लेयर्स को एकीकृत कर लिया है। वाराणसी से हल्दिया तक लगभग ग्यारह सौ किलोमीटर लम्बा जलमार्ग राज्य में पहले से ही संचालित है। समुद्री बंदरगाहों पर निर्यात होने वाले माल के आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए, प्रदेश सरकार ड्राई-पोर्ट्स के विकास को बढ़ावा दे रही है।

उत्तर प्रदेश में मौजूदा लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में मुरादाबाद रेल से जुड़े संयुक्त घरेलू एवं एक्जिम टर्मिनल, कानपुर में रेलमार्ग से जुड़े निजी फ्रेट टर्मिनल तथा इनलैण्ड कण्टेनर डिपो, दादरी टर्मिनल पर इनलैण्ड कण्टेनर डिपो सम्मिलित हैं। वाराणसी में एक मल्टी-मोडल टर्मिनल तथा गाजीपुर राजघाट,रामनगर वाराणसी एवं प्रयागराज टर्मिनल्स पर राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक के किनारे विभिन्न फ्लोटिंग टर्मिनल संचालित हैं। दादरी गौतमबुद्धनगर में मल्टी मोडल लॉजिस्टिक्स हब एवं बोराकी में मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट हब भी विकसित किया जा रहा है, जिससे इस सेक्टर को और बढ़ावा मिलेगा।

वाराणसी में सौ एकड़ भूमि में भारत का पहला 'फ्रेट विलेज' विकसित हो रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के निर्यात केन्द्रों को पूर्वी भारत के बंदरगाहों से जोड़ने वाला यह गांव इनबाउण्ड व आउटबाउण्ड कार्गो के लिए ट्रांस-शिपमेण्ट हब के रूप में कार्य करेगा। उत्तर प्रदेश, देश का एकमात्र राज्य है, जिसके पांच शहरों में मेट्रो रेल सुविधा उपलब्ध है। आगरा में मेट्रो रेल का निर्माण युद्धस्तर पर जारी है। राज्य में कृषि एवं खाद्य-प्रसंस्करण तथा डेयरी सेक्टर में अपार अवसर हैं। उत्तर प्रदेश भारत में खाद्यान्न, दूध तथा गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक है। प्रदेश एथेनॉल उत्पादन में भी देश में प्रथम स्थान पर है। उत्तर प्रदेश के पास एमएसएमई क्षेत्र का सबसे बड़ा बेस है। वर्तमान में राज्य में लगभग नब्बे लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं। एमएसएमई क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी पचहत्तर जनपदों के लिए परम्परागत एवं विशिष्ट उत्पाद चिन्हित कर 'एक जनपद एक उत्पाद' योजना लागू की है। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन का परिणाम है कि प्रदेश से निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है। (हिफी)

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