जेल में एमएलए को सुविधाएं देना पड़ा भारी- जेल अधीक्षक की जमानत खारिज

लखनऊ। विख्यात माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के एमएलए बेटे अब्बास अंसारी को चित्रकूट जेल में रहते समय सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में जेल भेजे गए तत्कालीन जेल अधीक्षक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है। अदालत की इस बेरुखी के चलते दूसरों को अपनी जेल में रखने वाले जेल अधीक्षक को अभी खुद कारागार में रहकर अपनी दिन गुजारने पड़ेंगे।
शुक्रवार को अदालत की ओर से दिए गए अपनी एक बड़े फैसले में चित्रकूट की जेल के भीतर नियमों को ठेंगा दिखाते हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक एवं माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी से उसकी पत्नी निखत बानो की अलग तन्हा कमरे में मिलाई कराने के मामले में जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर की जमानत अर्जी एक बार फिर से खारिज कर दी गई है। जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष अधिवक्ता ने अपना तर्क रखते हुए कहा है कि एमएलए अब्बास अंसारी से जेल के भीतर उसकी पत्नी निखत बानो से अलग तन्हा कमरे में मुलाकात कराने के अलावा जेल अधीक्षक द्वारा उन्हें जेल के भीतर तरह तरह की सुविधाएं मुहैया कराने में मुख्य भूमिका रही है।
अदालत को यह भी बताया गया है कि एमएलए अब्बास अंसारी के चित्रकूट जेल में रहते समय उसकी पत्नी निखत बानो को जेल में बेरोकटोक आने जाने की आजादी दी गई थी, जिसके पीछे जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर का ही हाथ रहा है। उल्लेखनीय है चित्रकूट जेल के भीतर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी को तरह-तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में खुद अब्बास अंसारी उसकी पत्नी निखत बानो के खिलाफ छापा डालने वाली टीम ने एफआईआर दर्ज कराई थी। नियाज, अशोक, सुशील एवं जगमोहन के खिलाफ भी मुकदमा कायम किया गया था।