बहू से घर का काम कराना नहीं है क्रूरता- नौकर से नहीं हो सकती तुलना

बहू से घर का काम कराना नहीं है क्रूरता- नौकर से नहीं हो सकती तुलना

मुंबई। हाईकोर्ट की ओर से दिए गए एक बड़े फैसले के अंतर्गत विवाहित महिला से घर का काम कराना क्रूरता नहीं है। बहू से घर का काम कराने को उसकी तुलना नौकरानी से भी नहीं की जा सकती है।

बृहस्पतिवार को बांबे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच की ओर से एक महिला द्वारा दाखिल की गई याचिका की सुनवाई करते हुए कहा गया है कि विवाहित महिला से घर का काम कराना किसी प्रकार की क्रूरता नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इसकी तुलना नौकरानी के काम से भी नहीं की जा सकती है।

महिला की अर्जी को खारिज करते हुए अदालत द्वारा कहा गया है कि अगर एक विवाहित महिला को पारिवारिक उद्देश्य के लिए घर का काम करने के लिए कहा जाता है तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उसके साथ नौकरानी की तरह व्यवहार किया जा रहा है। अगर महिला को घर का काम करने की इच्छा नहीं थी तो उसे शादी से पहले ससुराल वालों को बता देना चाहिए था, ताकि दूल्हा शादी से पहले कई बार सोच समझकर अपने कदम को आगे बढ़ा सके।

हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर शादी के बाद यह समस्या आती है तो इसे जल्दी ही सुलझा लिया जाना चाहिए था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि महिला ने अदालत में दाखिल याचिका में यह कहा था कि उसे परेशान किया गया था।

लेकिन उसने अपनी शिकायत में किसी काम के बारे में जानकारी नहीं दी थी। केवल मानसिक और शारीरिक रूप से उत्पीड़न शब्दों का उपयोग भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के लिए तब तक पर्याप्त नहीं है जब तक इस तरह के कृत्यों का वर्णन नहीं किया जाता है।

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