बालगृहों को लेकर हाइकोर्ट ने दिया आदेश - सुधारें व्यवस्था
लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ के सख्त रवैये के बाद राजधानी के दृष्टि सामजिक संस्थान को 31 मार्च 2021 तक की वित्तीय मदद (आवर्ती अनुदान) का भुगतान राज्य सरकार ने कर दिया है।
अदालत को यह जानकारी सरकारी वकील ने बुधवार को बालगृहों की बेहतरी के मामले में सुनवाई के दौरान दी। अदालत को यह भी बताया कि प्रदेश के अन्य गृहों को उनकी जरूरत के मुताबिक आवर्ती अनुदान का भुगतान कर दिया जायेगा। सरकारी वकील ने यह भी कहा कि संबंधित नियमों में संशोधन की प्रक्रिया सरकार ने शुरु कर दिया है।
न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति राजन राय की खंडपीठ के समक्ष वर्ष 2008 से लंबित एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान, अदालत के पूर्व आदेश के तहत प्रदेश के महिला कल्याण विभाग के विशेष सचिव डॉ अशोक चंद्र पेश हुए। याचिका में प्रदेश के बाल संरक्षण गृहों की खस्ताहालत में सुधार समेत समय पर फंड मुहैया कराने के निर्देश दिये जाने की गुजारिश की गई थी। बीते सप्ताह इस मामले में अदालत ने बाल गृहों में रहने वाले बच्चों के हित में सरकार से मिलने वाली अर्थिक मदद (आवर्ती व गैर आवर्ती अनुदान) को, न्यायालय द्वारा तय समय में जारी न/न किए जाने पर सख्त नाखुशी जाहिर करते हुए प्रदेश के महिला कल्याण विभाग के विशेष सचिव स्तर के अधिकारी को सहयोग के लिए 11 नवम्बर को तलब किया था।
न्यायालय ने अपेक्षा की थी कि अब इस सम्बन्ध में केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से आगे देरी नहीं होगी और जल्दी से जरूरी औपचारिकएं पूरी करने के बाद बाल गृहों के किशोरों की बेहतरी के लिए वांछित अनुदान जारी किया जायेगा।
मामले की सुनवाई के दौरान केस में नियुक्त न्यायमित्र ने अदालत को बताया था कि राजधानी के दृष्टि सामजिक संस्थान को अभी तक वित्तीय मदद की आवर्ती व गैर आवर्ती अनुदान (ग्रांट) नहीं मिला है, जो 10 लाख से 50 लाख रूपए तक की होती है। ऐसे में संस्थान किसी तरह से कर्ज लेकर अपने संसाधनों से काम चला रहा है।
राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया था कि यूपी सरकार को इसके लिए केंद्र से समय से फंड नहीं मिल रहा है। इसपर केंद्र सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि यूपी सरकार को फंड देने की कार्यवाही चल रही है जिसके पूरा होने पर बाकी कोष को जारी कर दिया जायेगा। मामले की अगली सुनवाई 23 नवम्बर को नियत की है।