कब्रिस्तान के नाम दर्ज मंदिर की जमीन को लेकर हाईकोर्ट ने दिया यह फैसला

कब्रिस्तान के नाम दर्ज मंदिर की जमीन को लेकर हाईकोर्ट ने दिया यह फैसला

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनपद मथुरा की छाता तहसील के बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन का राजस्व अभिलेखों में इंद्राज बदलने के आदेशों को रद्द कर दिया है। 2 महीने के भीतर तहसीलदार को कब्रिस्तान के नाम कागजों में दर्ज की गई जमीन को बांके बिहारी मंदिर के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज करने का निर्देश दिया है। दरअसल जनपद मथुरा के कोसीकलां थाना क्षेत्र की चौकी शाहपुर के अंतर्गत आने वाले गांव शाहपुर में स्थित बांके बिहारी मंदिर की जमीन को तत्कालीन गांव प्रधान एवं तहसील प्रशासन ने मिलीभगत करते हुए समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान कब्रिस्तान में दर्ज कर दिया था।

इस मामले को लेकर बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष राम अवतार गुर्जर ने थाना कोसीकलां में भोला खान पठान तथा अन्य ग्रामीण एवं तत्कालीन एसडीएम, लेखपाल, तहसीलदार, नायब तहसीलदार समेत 24 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। थाना पुलिस ने इस मामले को लेकर जब कोई कार्यवाही नहीं की तो मामले को लेकर कई बार तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। अंत में वर्ष 2022 के दौरान मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया और अदालत को बताया कि तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार में कुछ लोगों ने षड्यंत्र रचते हुए बांके बिहारी मंदिर की जमीन को कागजों में कब्रिस्तान के नाम कर दिया था।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने जब एसडीएम एवं तहसीलदार से पूछा कि शाहपुर गांव के भूखंड संख्या 1081 की स्थिति समय-समय पर कैसे बदली गई है। अदालत ने इसके लिए आधार वर्ष की खतौनी मांगी लेकिन वह खतौनी किसी पक्ष के पास नहीं थी। इसके बाद कोर्ट ने समय-समय पर हुए इंदराज से जुड़े सभी रिकार्ड तलब कर लिए। जिसमें पता चला कि प्राचीन काल से ही मथुरा के शाहपुर गांव स्थित गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था। लेकिन भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत करते हुए वर्ष 2004 में उस जमीन को कब्रिस्तान के नाम दर्ज करा लिया। अब हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तहसीलदार को 2 महीने के भीतर मंदिर की जमीन को बांके बिहारी मंदिर के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने का निर्देश दिया है।

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