यह दोस्ती है जनाब- यहां सरकार का नुकसान नहीं मित्र का फायदा देखा...

उमरिया, नौरोजाबाद। दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की जोहिला क्षेत्र स्थित नौरोजाबाद कोल माइंस में कोयला लोडिंग को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उपक्षेत्रीय प्रबंधक की मनमानी और खास चहेते को लाभ पहुंचाने की कोशिशों के चलते कोयला लोडिंग का कार्य बीते 12 घंटों से बंद पड़ा है। इसका सीधा असर SECL पर भारी आर्थिक नुकसान के रूप में पड़ा है।
4000 टन कोयले की ज़रूरत,11508 टन मौजूद – फिर भी लोडिंग बंद!
जानकारी के अनुसार, कोयला साइडिंग पर 59 डिब्बों वाला एक रैक रात 9:30 बजे से खड़ा है, जिसे लोड करने के लिए कुल 4000 टन कोयले की आवश्यकता होती है। और G9 का कोयला इन्हें लोड करना जबकि साइडिंग में पहले से ही लगभग 11,508 टन कोयला उपलब्ध है, फिर भी लोडिंग का कार्य जानबूझकर रोक कर रखा गया है। सूत्रों का दावा है कि उपक्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा G6 ग्रेड का "अच्छा कोयला" चहेते ठेकेदार अथवा व्यापारी को देने के प्रयास में यह हेरा-फेरी की जा रही है।
हर घंटे पर SECL को 1 लाख रुपए का नुकसान---

रेलवे के नियमों के अनुसार, निर्धारित समय पर रैक लोड नहीं होने पर SECL को प्रति घंटे ₹1 लाख रुपए का डिमरेज (पेनल्टी) देना पड़ता है। 12 घंटे बीतने के बाद अब तक ₹8 लाख से ज़्यादा का नुकसान कंपनी को हो चुका है। यदि यही स्थिति बनी रही तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। प्रबंधन मौन, रैक लोडिंग में देरी से कंपनी को घाटा हो रहा है वहीं, प्रबंधन इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साधे हुए है।
क्या G6 ग्रेड कोयला सिर्फ "खास लोगों" के लिए?
जवाबदेही तय होनी चाहिए कि जब साइडिंग पर पर्याप्त मात्रा में कोयला मौजूद है, तो रैक क्यों नहीं लोड किया गया? क्या वाकई G6 ग्रेड कोयले को केवल चहेते व्यापारियों के लिए सुरक्षित रखा जा रहा है? क्या सरकारी कंपनी में भी अब कोयले का बंटवारा "सिफारिश" और "रिश्तों" के आधार पर होगा?
जनता के जिम्मेदारों से सवाल:
12 घंटे में 8 लाख का नुकसान आखिर किसकी ज़िम्मेदारी है?
क्या उपक्षेत्रीय प्रबंधक पर कोई कार्यवाही होगी?
इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होना अत्यंत आवश्यक है। कोयला माफियाओं और भीतरघात करने वाले अधिकारियों की मिलीभगत से न सिर्फ कंपनी बल्कि आम जनता का नुकसान हो रहा है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में यह लापरवाही और भी बड़े घोटाले का रूप ले सकती है।
रिपोर्ट- चंदन श्रीवास उमरिया, प्रभारी मध्य प्रदेश