कलहग्रस्त कांग्रेस कैसे लड़ेगी जंग?
देहरादून। उत्तराखण्ड की जनता भी कांग्रेस और भाजपा को बारी-बारी से सत्ता सौंपती रही है लेकिन इस बार 2022 के चुनाव में कांग्रेस जिस तरह से कलहग्रस्त दिख रही है, उससे राज्य की जनता का इरादा भी बदल सकता है। भाजपा नेतृत्व ने वहां त्रिवेन्द्र सिंह रावत को हराकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया है और उन्होंने पूर्व सरकार की कई नीतियों में तब्दीली भी की है। इस समय सबसे बड़ी समस्या कोरोना की महामारी पर नियंत्रण पाना है। उत्तराखण्ड में इस महामारी ने तेजी से पांव पसारे हैं। इस पर काबू पाने के साथ ही भाजपा ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रणनीति को अमली जामा पहनाना भी शुरू कर दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष इसी सिलसिले में गत 27 मई को देहरादून पहुंचे थे, जबकि कांग्रेस के नेता एक-दूसरे से सवाल-जवाब करने में लगे हैं। चुनाव जीतने से पहले उन्हें इस बात की चिंता है कि राज्य में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। किशोर उपाध्याय और हरीश रावत इसी मामले में उलझे हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति अभी से बनाने में जुट गयी है। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने गत दिनों देहरादून में प्रदेश संगठन के सातों मोर्चों की बैठक के साथ ही कोर ग्रुप की भी बैठक ली थी। बैठक में स्पष्ट रूप से कहा गया कि अब तक भले ही कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला यहां होता रहा है लेकिन अबकी बार अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, भी मुकाबले में हो सकती है। ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबले को देखते हुए भाजपा को रणनीति बनानी होगी। बीएल संतोष ने कहा कि उत्तराखण्ड में पांच साल के बाद सत्ता बदल जाती है तो इस परम्परा को हमें तोड़ना होगा। इसके लिए लोगों की विचारधारा को पार्टी की तरफ मोड़ना है। बीएल संतोष ने उत्तराखण्ड में कोरोना से बचाव और रोकथाम के लिए संगठन की तरफ से किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। बीएल संतोष ने कैडर को मजबूत करने के लिए जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और अध्ययन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसान मोर्चा प्रदेश में खेती-बागवानी को लेकर सुझाव दे सकता है। सरकार भौगोलिक स्थिति के आधार पर इन सुझावों पर काम कर सकती है। उन्होंने सभी मोर्चों पर अध्यक्षों को संवाद कायम करने का निर्देश दिया।
चुनाव के लिए सबसे बड़ी तैयारी के रूप में संगठन मंत्री बीएल संतोष ने मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर सभी मोर्चों को सेवा कार्यों के लिए अलग-अलग लक्ष्य दिये हैं। उदाहरण के लिए भाजपा के युवा मोर्चे को रक्तदान के लिए प्रेरित करने को कहा गया है। युवा मोर्चा 2000 यूनिट रक्तदान कराएगा। शेष 6 मोर्चों को कुल मिलाकर 2000 यूनिट रक्त एकत्र करने का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही युवा मोर्चे को पहली जून से 12 जून तक प्रदेश भर में मेरा गांव कोरोना मुक्त, मेरा बूथ कोरोना मुक्त अभियान चलाने को भी कहा गया है। बीएल संतोष ने सभी को बूथ व मंडल स्तर तक बिना कार्य के भी सेवा भाव से निरंतर संवाद रखने को निर्देशित किया है।
उत्तराखण्ड में पलायन बहुत पुरानी समस्या है। इसके चलते गांव लगभग खाली हैं। कोरोना काल में घर वापस लौटे प्रवासियों को यहीं पर रुकने के लिए प्रेरित करने का दूरदर्शी अभियान भी भाजपा शुरू कर रही है। बीएल संतोष ने कहा कि कोरोना की समाप्ति तक भाजपा संगठन द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्य निरंतर जारी रहने चाहिए। संगठन मंत्री ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर पर भी चर्चा की। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि कोरोना की गाइडलाइन को देखते हुए गांवों में चल रहे सेवा कार्यों में मुख्यमंत्री व मंत्री वर्चुअल माध्यम से दो गांवों में शामिल होंगे। गांवों में सेवा अभियान को लेकर प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट को प्रभारी बनाया गया है। वही तय करेंगे कि सांसद, विधायक और पार्टी प्रभारी किस गांव में जाएंगे।
इस प्रकार भाजपा की तरफ से सुनियोजित तैयारी चल रही है जबकि कांग्रेस में हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिखाई पड़ रही है और किशोर उपाध्याय इस दिवास्वप्न को लेकर ही परेशान है। उत्तराखंड कांग्रेस में सब ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने अचानक से फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी, जो चर्चा का विषय बनी हुई है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा 2016 में पूरी कांग्रेस चाहती थी कि उन्हें राज्यसभा भेजा जाए लेकिन राज्यसभा कोई और गया। जो गया उन्होंने कांग्रेस के लिए कितना काम किया और कितना वक्त दिया, यह सवाल है जो किशोर उपाध्याय ने उठाया है। उपाध्याय ने इशारों में पूर्व सीएम हरीश रावत को भी निशाने पर लिया। उपाध्याय ने कहा कि 2017 में जब कांग्रेस चुनाव हारी तो उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया, लेकिन मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत को हार के बाद सीडब्ल्यूसी का सदस्य और महासचिव बना दिया गया और इस तरह की विसंगतियां नहीं होनी चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पार्टी को पुराने गलत फैसलों से सबक लेने की सलाह दी है, ताकि 2022 में पार्टी का भला हो सके और कांग्रेस फिर सत्ता में लौट सके। जहां एक तरफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को भरोसा है कि 2022 विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी जीतेगी, वहीं 2017 में हार के बाद अध्यक्ष पद से हटाए गए किशोर उपाध्याय को भी 2022 की चिंता सता रही है। अपनी एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने इशारों में पूर्व सीएम हरीश रावत को निशाने पर लिया है, और 2016 में राज्यसभा सांसद के चुनाव और फिर 2017 की हार का जिम्मेदार बताया है। कहा है कि पार्टी 2022 चुनाव के लिए सोच समझकर काम करे। उत्तराखंड कांग्रेस को चुनाव चेहरे पर लड़ना चाहिए, इस बात की वकालत पूर्व सीएम हरीश रावत ने की थी, पर अब किशोर उपाध्याय का बयान उसी प्लान पर किसी हमले से कम नहीं है। प्रीतम सिंह का साफ कहना है कि मुख्यमंत्री कौन होगा, ये राष्ट्रीय नेतृत्त्व तय करेगा,लेकिन चुनाव में चेहरा कोई नहीं होगा। साफ है कि कांग्रेस में भले ही खुलकर 2022 के सियासी दांव-पेंच न दिख रहे हों, लेकिन अंदर खाने कुछ न कुछ चल रहा है, ये किशोर उपाध्याय के बयान ने साफ कर दिया है। (हिफी)