उत्तराखण्ड में कांग्रेस का नया प्रयोग
देहरादून। कांग्रेस इस बार उत्तराखण्ड में येनकेन प्रकारेण सत्ता पर कब्जा करना चाहती है क्योंकि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के सामने कांग्रेस क्या सपा और बसपा भी मुकाबला करते नहीं दिख रहे हैं। उत्तराखण्ड में सत्ता की लड़ाई कांग्रेस व भाजपा में ही चलती रहती है। इस बार वहां कांग्रेस ने एक नया प्रयोग किया है और हरीश रावत जैसे बड़े नेताओं को पीछे करते हुए युवा नेता मनीष खंडूरी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।
हालांकि हरीश रावत और उनके समर्थक राजनीतिक दांव पेंच में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। हरदा की चौकड़ी ने बाकायदा एक अभियान चला रखा है जिसमें यह कहा जा रहा है कि हरीश रावत को ही सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया जाए। हरदा समर्थकों ने एक गाना भी बना रखा है- हरदा हमारा, आला दुबारा, आस लागी रौ, आस लागी रौ, उत्तराखण्ड सारा। इसके बावजूद एक तरफ इंदिरा हृदयेश ने हरीश रावत के मंसूबों पर पानी फेर रखा है तो दूसरी तरफ मनीष खंडूरी के नेतृत्व में 9 नेताओं की एक कमेटी बनायी गयी है जो उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव व्यवस्था तक संभालेगी। कांग्रेस का यह नया प्रयोग कितना सफल रहता है, यह दो-तीन महीनों में ही पता चल जाएगा।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की अगुवाई कौन करेगा इसको लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सीएम हरीश रावत के समर्थक उन्हें ही चेहरा बता रहे हैं। यही नहीं हरदा समर्थकों ने तो दो कदम आगे निकलते हुए हल्द्वानी में हरदा को चेहरे तौर पर लॉन्च कर दिया है। हरदा समर्थकों ने ऐलान कर डाला है कि हरदा हमारा, आला दुबारा। आस लागी रौ, आस लागी रौ, उत्तराखंड सारा यानी हमारे हरदा दोबारा आएंगे ये आस सारा उत्तराखंड लगाए बैठा है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने एक बार फिर से साफ किया कि सीएम का चेहरा गाने से नहीं 2022 में कांग्रेस की जीत के बाद तय होगा।
गीत लॉन्च करते हुए हरीश रावत के करीबियों में शुमार किए जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने मांग कर डाली कि पार्टी आलाकमान जल्द से जल्द हरीश रावत को चेहरा घोषित कर दे जिससे परिणाम कांग्रेस के पक्ष में और बेहतर आ सके। गीत की खास बात ये है कि इसमें हरीश रावत के सीएम के तौर पर किए गए काम गिनाए गए हैं।
उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध लोक गायिका माया उपाध्याय द्वारा गाए गए हरदा पर आधारित चार मिनट 20 सेकेंड के उत्तराखंडी लोकगीत में हरीश रावत ने सीएम रहते जो योजनाएं प्रदेश में चलाई उनका जिक्र है। इसमें पहाड़ के पारंपरिक उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए किए कामों से लेकर बुजुर्गों के लिए चलाई गई स्कीम मेरे बुजुर्ग-मेरे तीर्थ, छोलिया, जगरियों के लिए चलाई गए स्कीम, गौरा-नंदा देवी कन्या धन योजना, पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाई गई म्यर पेड़, दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए म्यर दूध, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए पुष्ट आहार जैसी योजनाओं का जिक्र है। गीत के जरिये किया गया 2022 के लिए वादागीत केवल सीएम के तौर पर हरदा के किए गए कामों को ही नहीं गिना रहा बल्कि ये भी कह रहा है कि अगर हरदा 2022 में मुख्यमंत्री बने तो क्या करेंगे? गीत के बोलों में जिक्र है कि पहले जहां हरीश रावत के राज में सस्ती बिजली मिली थी अब वो मुफ्त में मिलेगी। साथ ही होम राशन, पेयजल की व्यवस्था, विधवा महिलाओं के लिए बकरी पालन योजना, गंगा गाय योजना, मेरा गांव-मेरी सड़क योजना, अस्पतालों में डॉक्टर, स्कूलों में टीचर, छोलियार, पुरोहितों और लोक कलाकारों को पेंशन के साथ ही सस्ते गेहूं-चावल और हजारों-हजार सरकारी नौकरियों का भी दावा किया गया है।
कुछ दिन पहले कांग्रेस महासचिव हरीश रावत खुलेआम सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये पार्टी आलाकमान को सुझाव दे चुके हैं कि 2022 के लिए उत्तराखंड में किसी न किसी नेता को चेहरा घोषित कर दें ताकि चुनाव मोदी बनाम कांग्रेस न हो। हालांकि हरीश रावत की इस राय का पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने विरोध किया था। दोनों नेताओं ने रावत के सुझाव को कांग्रेस की परंपरा के विपरीत करार दिया और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की पैरवी करने लगे। आलाकमान ने भी अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। हरदा पर लॉन्च गाने को लेकर जब नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की प्रतिक्रिया मांगी गयी तो उन्होंने अपने ही अंदाज में जवाब दिया। इंदिरा ने साफ कर दिया कि सीएम का चेहरा गाने से नहीं 2022 में कांग्रेस की जीत के बाद तय होगा। साथ ही कहा कि गाना बनाएं या न बनाएं लेकिन जिसकी जगह जनता दिल में बन जाती है वो खुद ही हिट हो जाता है।
कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। चुनाव से पहले प्रोग्राम को कैसे सफल बनाया जाए, इसके लिए कमेटी बनाई गई है। चुनाव से पहले होने वाला हर प्रोग्राम जनता को अपने साथ जोड़े, इसके लिए मनीष खंडूरी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई है। प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन कमेटी में गरिमा दसौनी, मथुरा दत्त जोशी, प्रदीप तिवारी, सुमित हृदयेश समेत कुल 9 नेताओं को जगह मिली है। गढ़वाल सीट सेसांसद का चुनाव लड़ चुके मनीष खंडूरी को ये अहम जिमेदारी दी गई है, ताकि खंडूरी नाम कांग्रेस के भी काम आ सके।
इसके बाद जिला और विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारी अपने काम मे जुट गए हैं और 2022 का चुनाव उत्तराखंड कांग्रेस के लिए इम्तिहान तो है ही, नए प्रभारी देवेंद्र यादव के प्रदर्शन का टेस्ट भी है। यादव ने राज्य, जिले और विधानसभा क्षेत्रों तक के कार्यकर्ताओं को काम में लगा दिया है। आने वाले दिनों में प्रभारी देवेंद्र यादव खुद जिलों का दौरा करेंगे। उससे पहले जिला, ब्लॉक और बूथ में क्या मूड है, उसी को भांपने के लिए उपाध्यक्ष, महामंत्री और सचिव जुटे हैं। कांग्रेस के नए प्रभारी देवेंद्र यादव ने तीन माह पहले ही साफ कर दिया था कि पार्टी में वही रहेगा, जो काम करेगा क्योंकि मामला सिर्फ कार्यकर्ता को जगाने का नहीं, 2022 में कुर्सी पाने का है।
कांग्रेस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मनीष खंडूरी को नए रोल में प्रोजेक्ट किया है। उन्हें कांग्रेस प्रोग्राम कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। मनीष खंडूरी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के बेटे हैं। गढ़वाल में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। जानकार कहते हैं मनीष के बहाने कांग्रेस एक तरफ बीजेपी को असहज करना चाहती है और दूसरी तरफ उनको स्थापित करना चाहती है। (हिफी)