कांग्रेस के विधायकों को घर वापसी का न्यौता
देहरादून । साल 2016 में कांग्रेस छोड़ गए नेताओं की घर वापसी के घोर विरोधी रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सीएम हरीश रावत का रुख अब कुछ नरम हुआ है।
बकौल रावत, बगावत कर जाने वाले नेता यदि लोकतंत्र और जनता से माफी मांग लें तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा। ये लोग हरीश रावत के नहीं बल्कि जम्हूरियत और अवाम के गुनहगार हैं।
रावत के इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। रावत ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि वर्ष 2016 में कांग्रेस के ही कुछ विधायकों ने सरकार गिराकर राज्य में अस्थिरता फैलाने की साजिश रची।
वे अपनी साजिश में तो कामयाब नहीं हो पाए, पर उससे राज्य को बहुत नुकसान हुआ। समय पर बजट पास नहीं हो पाया। विकास कार्य ठप हो गए। कुछ लोगों की महत्वाकांक्षाएं राज्य पर भारी पड़ी।
बकौल रावत, अब यदि ये लोग कांग्रेस में लौटना चाहते हैं तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी। मेरा उनके साथ कोई विरोध नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस में अक्सर अंदरखाने यह चर्चा होती रहती है कि वर्ष 2016 में पार्टी छोड़कर गए लोग वापसी के इच्छुक हैं। हरीश रावत कैंप को लगता है कि बदले हालात में कुछ लोगों की वापसी कराना पार्टी हित में होगा इसलिए कुछ नेता उनकी वापसी के पक्षधर हैं।
मालूम हो मार्च 2016 में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, प्रणव सिंह चैंपियन, सुबोध उनियाल, अमृता रावत,उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, शैला रानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल ने पार्टी छोड़ दी थी।
सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, रेखा आर्य ने भी बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था। सभी का कहना था कि वो तत्कालीन सीएम रावत की कार्यप्रणाली की वजह से यह कदम उठाने को मजबूर हुए हैं।