पर्यटन मंत्री ने दिया सुझाव, मास्टर प्लान में ग्लेशियर के खतरे पर भी दें ध्यान

पर्यटन मंत्री ने दिया सुझाव, मास्टर प्लान में ग्लेशियर के खतरे पर भी दें ध्यान

देहरादून। केदारनाथ की तर्ज पर बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान में ग्लेशियर के खतरे को रोकने पर विशेष ध्यान देना होगा। प्लान को अंतिम रूप देने से पहले ग्लेशियर के खतरे का अध्ययन कराया जाना चाहिए। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने प्रस्तावित बदरीनाथ मास्टर प्लान में कंसलटेंसी कंपनी को ग्लेशियर और श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने व अन्य सुविधाओं का इंतजाम करने के सुझाव दिए।

पर्यटन मंत्री के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से विभागीय और मास्टर प्लान तैयार कर रही कंसलटेंसी कंपनी आईएनआई डिजाइन के अधिकारियों के साथ बदरीनाथ मास्टर प्लान का प्रस्तुतीकरण दिया। महाराज ने कहा कि मास्टर प्लान में बदरीनाथ धाम के पीछे के तरफ बदरी वन बनाने की बात कही गई, लेकिन धाम में ऊपर से ग्लेशियर गिरने का खतरा है।

पेड़ लगाने से ग्लेशियर को रोकना संभव नहीं है। मास्टर प्लान से ग्लेशियर के खतरे पर अध्ययन किया जाए। इसे रोकने के लिए और क्या उपाय हो सकते हैं, इस पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मास्टर प्लान बनाया जाए।

श्रद्धालुओं को ठंड से बचाव के लिए बस स्टैंड, पार्किंग, मंदिर को जाने वाले पैदल रास्ते को खुला रखने के बजाए ढका होना चाहिए। वहीं, धाम में कथावाचन, दिव्यांग श्रद्धालुओं के जाने और सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर, शौचालय समेत अन्य सुविधाओं को मास्टर प्लान में शामिल किया जाए। पर्यटन मंत्री सपताल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग के माध्यम से आने वाले समय में एक सेमिनार किया जाएगा। जिसमें सभी चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञों को बुला कर मंथन किया जाएगा।

पर्यटन मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म का हब बन सकता है। यहां पर तमाम तरह की जड़ी-बूटी के साथ मन को सुकून पहुंचाने वाली आबोहवा है। डॉक्टरों के पास साइंस का ज्ञान है, लेकिन जड़ी बूटी का नहीं है। इसी तरह वैद्य को जड़ी बूटी की जानकारी है, मगर साइंस का नही। आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा, तिब्बती चिकित्सा, पंचकर्मा को लेकर पर्यटन विभाग के माध्यम से सेमिनार किया जाएगा। महाराज ने कहा कि प्रदेश में कई ऐसे पहाड़ी व्यंजन हैं, जिनसे शरीर में इम्युनिटी बढ़ती है। जैसे बाड़ी, गहत, मंडुवा से कई तरह से व्यंजन बनते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से भी इस पर काम करने को कहा गया है।

(हिफी न्यूज)

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