CM योगी की सुशासन के साथ दयालुता
नई दिल्ली। किसी भी सरकार का दायित्व राष्ट्र-राज्य में चहुंमुखी विकास का होता है। इसके लिए दलगत राजनीति को किनारे रखना पड़ता है। विपक्षी दलों के विधायक अक्सर इस बात की शिकायत करते हैं कि उनके क्षेत्र में जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के हाल के फैसलों को लेकर विपक्षी दल के विधायक भी शिकायत नहीं कर सकते। यह तो सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि का मौसम से विशेष संबंध रहता है। योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिनों पहले ही प्रदेश में पर्याप्त बारिश न होने के चलते किसानांे को सूखा राहत दिलाने के लिए सर्वेक्षण कराया। राज्य के 62 जिलों में समय से बारिश नहीं हुई। इन जिलों में किसानों को दलहन, तिलहन और सब्जियों के बीच उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। इसी बीच रिकार्ड तोड़ बारिश हो गयी। पिछले 37 वर्षों का रिकार्ड टूट गया। ऐसे में कई किसानों की फसल डूब गयी। लखनऊ के पड़ोस मंे इसी सदमें मेें एक किसान की मौत होना बताया जा रहा है। बहरहाल, सुशासन के साथ दयालुता दिखाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ से प्रभावित 12 जिलों में किसानों को मुआवजा देने के लिए 876 करोड़ रुपये जिलों में भेज दिये गये। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को कृषि के साथ गोपालन की भी सलाह दी है। इससे कृषि के जोखिम की भरपाई पशुपालन से हो सकेगी।
उत्तर प्रदेश में कमजोर मानसून और अल्पवर्षा की वजह से खरीफ की फसलों की बुआई पर बड़ा असर पड़ा। इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 75 जनपदों में 75 टीमें बनाने का निर्देश दिया, इस मामले में लापरवाही बरतने और देरी होने पर जिलाधिकारी जवाबदेह माने गये। सीएम योगी के निर्देशानुसार सभी 75 जिलों में मुख्य राजस्व अधिकारी और अतिरिक्त जिलाधिकारी, राजस्व की अध्यक्षता में एक-एक समिति बनाई गयी। इस समिति में कृषि विभाग, उद्यान विभाग और गन्ना विभाग के एक-एक अधिकारी सदस्य के तौर पर शामिल थे। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के 62 जिलों में औसत से कम बारिश हुई। अन्नदाता किसानों को कोई समस्या न हो इसको देखते हुए योगी सरकार ने प्रभावित जिलों में भूराजस्व की वसूली और ट्यूबवेल के बिजली बिल की वसूली को स्थगित कर दिया। साथ ही ट्यूबवेल कनेक्शन भी नहीं काटने का आदेश दिया। यही नहीं प्रदेश सरकार किसानों को दलहन, तिलहन और सब्जी के बीज भी उपलब्ध कराए गये। किसानों को खेतों की सिंचाई में कोई समस्या न हो इसके लिए सरकार की तरफ से सिंचाई विभाग को नहरों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया। वहीं ऊर्जा विभाग को ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बढ़ाए जाने को कहा गया, जिससे प्रभावित किसानों को राहत मिल सके। प्रदेश के कुल 96459 राजस्व ग्रामों में सत्यापन का कार्य किया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सूखा प्रभावित 62 जिलों के साथ ही साथ बाढ़ प्रभावित जिलों के किसानों की भी सुध ली है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर बाढ़ के प्रभावित 12 जिलों के किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए सहायता उपलब्ध करा दी है।उत्तर प्रदेश शासन ने बाढ़ से प्रभावित 12 जिलों में किसानों को मुआवजा देने के लिए 876 करोड़ की धनराशि को जिलों में भेजा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसान हमारा अन्नदाता है। हमको उसकी काफी चिंता भी है। हमने बाढ़ प्रभावित 12 जनपदों में किसानों को मुआवजा देने के लिए 876 करोड़ रुपये भेजे हैं। इससे पहले 62 जनपदों में समय पर बारिश नहीं हुई तो उन जनपदों में सरकार किसानों को दलहन, तिलहन और सब्जी के बीज मुफ्त में उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ इतना ही नहीं आज तो हम कुछ किसानों को ट्रैक्टर भी उपलब्ध करा रहे हैं जिससे कि यह कम समय में अधिक और उन्नत उपज का उत्पादन करने में सफल हों।योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले दस दिनों में अत्यधिक बारिश के कारण भी किसानों को नुकसान हुआ है। 12 जिलों में बाढ़ से खेती का नुकसान हुआ। इन जिलों में मुआवजे के लिए 876 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। सूखे का भी सर्वे हो रहा है। इसका भी हम मुआवजा देंगे उन्होंने किसानों से अपील की कि वह लोग जागरूक हों और सरकार की योजनाओं का लाभ लें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डबल इंजन की सरकार संकट में सदैव अन्नदाताओं के साथ खड़ी रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश के कई जिलों में सूखे और भारी बारिश व बाढ़ की स्थिति से खेती को हुए नुकसान के प्रति सरकार संवेदनशील है और किसानों को राहत देने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से किसानों की आय दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है। इसके साथ ही उन्होंने किसानों से गौ आधारित प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की।योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार की संवेदनशीलता की कसौटी विपत्ति के समय नागरिकों का संबल बनकर उनके साथ खड़ा होने से समझी जा सकती है। डबल इंजन की सरकार इस कसौटी पर खरी उतरी है। कोरोना आपदा में जब सभी सेक्टर ठप हो गए थे तो कृषि क्षेत्र ही सदी की सबसे भयानक महामारी के सामने तन कर खड़ा रहा। सरकार ने भी यह सुनिश्चित किया कि खेतों में खड़ी धान की फसल सुरक्षित तरीके से कटाई के बाद धान क्रय केंद्रों तक पहुंच सके। उसने प्रदेश की 119 चीनी मिलों को चालू रख कर गन्ना किसानों का भी साथ दिया। यह अन्नदाताओं के परिश्रम और पुरुषार्थ का ही परिणाम था कि कोरोना महामारी में भुखमरी से एक भी मौत नहीं हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर प्रदेश में पहली बार मृदा परीक्षण शुरू हुआ। किसानों की फसलों का बीमा होने लगा। राज्य सरकार ने दशकों से लंबित अधूरी सिंचाई परियोजनाएं पूरी कर 21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित की। सत्ता में आते ही लघु सीमांत किसानों के एक लाख रुपये तक के ऋण माफ किए। सही मायनों में पहली बार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद ही मिला। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब तक हम 27000 किसानों को सोलर पंप दे चुके हैं। (हिफी)