राज्य सरकार की प्राथमिकता है प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को पुनः पटरी पर लाई जाय : नवनीत सहगल
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डॉ नवनीत सहगल ने कहा कि कोविड-19 महामारी से प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि एमएसएमई इकाईयों को मजबूत बनाकर प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को पुनः पटरी पर लाया जाय। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से प्रदेश की अधिक से अधिक एमएसएमई इकाइयों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आगामी 15 सितम्बर तक विशेष अभियान चलाकर 100 फीसदी ऋण वितरण का लक्ष्य हासिल किया जाय, ताकि अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में मेगा ऋण वितरण मेले का आयोजन कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कर कमलों से ऋण वितरण कार्यक्रम सम्पन्न कराया जा सके।
डॉ सहगल यह बात आज गोमती नगर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के जोन कार्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की अध्यक्षता करते हुई कही। उन्होंने कहा कि जब भारत सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत लोन के सापेक्ष 100 फीसदी गारंटी उपलब्ध करा रही है, तब बैंकों को ऋण वितरण में संकोच नहीं होना चाहिए। अधिक से अधिक छोटे एवं मझोले उद्योगों को ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जाय। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के साथ ही पहले से चल रही योजनाओं को मिलाकर लोन दिया जायेगा, तो अर्थव्यवस्था का चक्का तेजी से चलेगा। उन्होंने कहा पिछले तीन महीनों में लभगभ 07 लाख इकाइयों को 23 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। इसमें से 12 हजार करोड़ रुपये का ऋण नई इकाइयांे को मिला है।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में इण्डस्ट्रीज को पूॅंजी की अत्यधिक आवश्यकता है। इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को ग्राउण्ड पर उतारना सभी बैंकर्स का प्रमुख दायित्व है। निजी बैंकों को भी इस योजना में बढ़-चढ़ का हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत अभी तक 10 हजार करोड़ रुपये के ऋण आवेदन स्वीकृत किये गये हैं, लेकिन डिस्बर्स केवल 7000 करोड़ रुपये का हुआ है। इस गैप को जल्द से जल्द पूरा किया जाय। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 20 लाख नई इकाइयों को लोन देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में नई एमएसएमई इकाइयों कीे स्थापना हेतु नियमों को सरल किया गया है। उद्यमियों को एक प्रोफार्मा पर 72 घण्टे के अन्दर उद्यम लगाने की स्वीकृति प्रदान करने की सुविधा दी गई है। साथ ही अन्य औपचारिकताओं को पूर्ण करने हेतु 1000 दिन का अतिरिक्त समय मिलेगा।
डॉ सहगल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के कारीगरों को मुद्रा योजना जोड़ते हुए उन्हें ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जाय। राज्य सरकार ने इस योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों को प्रशिक्षण के साथ-साथ उन्नत किस्म के टूल्स उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। यदि कारीगरों को वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, तो उनका रोजगार तेजी से आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि आगामी 17 सितम्बर को विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर लाभार्थियों में ऋण वितरण का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसके साथ ही उन्होंने रेहड़ी पटरी दुकानदारों को ऋण वितरण में भी तेजी लाने के निर्देश देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस योजना में काफी रूचि प्रकट कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने कृषकों को क्रेडिट कार्ड देने की योजना, क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम, शिशु मुद्रा ऋण योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजन, पीएमईजीपी, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार एवं ओडीओपीी कार्यक्रम के तहत ऋण वितरण के प्रगति की विस्तार से समीक्षा भी की।
बैठक में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक बृजेश कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में निजी एवं सरकार बैंकों के बैकर्स तथा औद्योगिक संगठन आईआईए एवं लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधि शामिल थे।